20 March International Day of Happiness: खुशियों के सरल उपायों को 365 दिवस स्वयं के जीवन का अविभाज्य अंग बनाएं

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International Day of Happiness

 अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस: जीवन का वास्तविक अमृत

20 March International Day of Happiness:खुशियों के सरल उपायों को 365 दिवस स्वयं के जीवन का अविभाज्य अंग बनाएं

डॉ तेज प्रकाश पूर्णानन्द व्यास,

ग्लोबल हैप्पीनेस एंबेसेडर

1. परिचय

प्रसन्नता केवल एक भावनात्मक अनुभव नहीं, बल्कि जीवन का सार और प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। संयुक्त राष्ट्र ने 20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस घोषित कर इस तथ्य को वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया कि खुशहाल समाज ही एक समृद्ध, शांतिपूर्ण और प्रगतिशील विश्व की नींव रख सकता है। इस दिवस का उद्देश्य न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि सामाजिक और वैश्विक स्तर पर प्रसन्नता को प्रोत्साहित करना है।

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आज की भागदौड़ भरी दुनिया में हम भौतिक सुख-सुविधाओं के पीछे दौड़ते हैं, लेकिन मानसिक शांति और आंतरिक संतुष्टि प्रायः अनदेखी रह जाती है। प्रसन्नता केवल अमीरी, पद या प्रसिद्धि से नहीं मिलती, बल्कि यह एक मानसिक अवस्था है, जो जीवन के प्रति हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर करती है। इसलिए, यह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में सच्ची सफलता वही है जिसमें आत्मिक शांति और आनंद बना रहे।

2. इतिहास:

अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस मनाने की प्रेरणा भूटान से मिली, जो ‘सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता (Gross National Happiness – GNH)’ को अपने विकास का मुख्य मानदंड मानता है। यह अवधारणा भौतिक संपत्ति से अधिक मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक समृद्धि को प्राथमिकता देती है।

2011 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा में भूटान ने ‘प्रसन्नता एवं कल्याण को वैश्विक विकास का लक्ष्य बनाने’ का प्रस्ताव रखा। इसके बाद, 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। 2013 से, यह दिन आधिकारिक रूप से दुनिया भर में मनाया जा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस - Gyan Sagar Times

3. प्रसन्नता का महत्व:

प्रसन्नता किसी भी समाज की प्रगति का असली मापदंड है। यह केवल एक मनोवैज्ञानिक स्थिति नहीं, बल्कि शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य का आधार है।

मानव जीवन में प्रसन्नता का स्थान:

जीवन को आनंदमय और प्रेरणादायक बनाती है।

तनाव और अवसाद से बचाने में मदद करती है।

आत्मविश्वास और रचनात्मकता को बढ़ाती है।

शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

प्रसन्नता से प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जिससे शरीर बीमारियों से बेहतर लड़ पाता है।

यह हृदय स्वास्थ्य को सुधारती है और रक्तचाप को नियंत्रित रखती है।

मानसिक रूप से प्रसन्न रहने वाले लोग सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होते हैं और सामाजिक संबंधों को बेहतर बनाते हैं।

4. प्रसन्नता की आवश्यकता के कारण:

आज के आधुनिक जीवन में लोग तनाव, प्रतिस्पर्धा, और सामाजिक अपेक्षाओं के दबाव में जी रहे हैं, जिससे प्रसन्नता का स्तर गिरता जा रहा है।

कार्यस्थल पर तनाव – अधिक कार्यभार, समय सीमा का दबाव, और असंतोषजनक कार्य संतुलन।

सामाजिक दबाव – समाज की अपेक्षाएं, तुलना की प्रवृत्ति और दिखावे का बढ़ता प्रभाव।

आर्थिक असमानता – आर्थिक सुरक्षा की कमी से उत्पन्न चिंता और असंतोष।

तकनीक का प्रभाव – डिजिटल दुनिया में बढ़ती निर्भरता, सोशल मीडिया से जुड़ी असुरक्षा और नकारात्मकता।

5. प्रसन्नता प्राप्त करने के सरल उपाय:

इन सरल उपायों को 365 दिवस जीवन का अविभाज्य अंग बनाइएगा।

प्रसन्नता किसी बाहरी वस्तु में नहीं, बल्कि हमारे विचारों और जीवनशैली में छिपी होती है। इसे पाने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:

1. सकारात्मक सोच और कृतज्ञता:

हर परिस्थिति में अच्छाई ढूंढने की आदत डालें।

प्रतिदिन कृतज्ञता व्यक्त करें:
जैसे ईश्वर द्वारा प्रदत्त मानव शरीर , प्रकृति द्वारा प्रदत्त आकाश , वायु, सूर्य प्रकाश, जल, और मां वसुंधरा, अपने परिवार, स्वास्थ्य और दोस्तों के लिए आभार प्रकट करें। कृतज्ञता मानव का सर्वोच्च गुण है।

2. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं:

संतुलित आहार लें जिसमें फल, सब्जियां, और पोषक तत्व भरपूर हों।

योग और मेडिटेशन प्रतिदिन 15 मिनिट अवश्य करें । ॐ चैटिंग, हमिंग साउंड तथा अनुलोम विलोम ऐसी अमृत तुल्य विधाएं हैं जो शरीर में NO नाइट्रिक ऑक्साइड को 14 गुना तक बढ़ा देती हैं । वेसोडिलेशन याने फ्लेक्सिबल रक्तवाहिनियों से मानव हृदय, मस्तिष्क, फेफड़ों, और सभी अंतरांगो, मस्क्युलोस्केलेटल को सुस्वास्थ्य के लिए पर्याप्त रक्त संचार मिलता है, सभी शरीर के अंग स्वस्थता प्राप्त करते हैं। प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ती है। Endurence बढ़ता है और विपरीत परिस्थिति में भी हृदय सुरक्षा सुनिश्चित होती है, जैसे तैराक, जिम्नास्ट, दौड़, भारोत्तोलन , कुश्ती आदि विधाओं में हृदय सुरक्षा श्रेयस्कर हो जाती है। मानव शरीर को दीर्घायुष्यता भी मिलती है।

नियमित रूप से व्यायाम करें, विशेष रूप से योग और ध्यान को दिनचर्या में शामिल करें।

चिंता रहित होकर पर्याप्त और गहरी नींद लें , 8 घंटा, रात में नींद खुले तो पुनः सो जाएं।

3. परिवार और मित्रों के साथ समय बिताएं:

डिजिटल दुनिया से हटकर वास्तविक संबंधों को मजबूत करें।

जीवन में प्यार और अपनापन बनाए रखने के लिए समय निकालें।

4. समाज सेवा करें:

जरूरतमंदों की मदद करने से आत्मिक संतोष प्राप्त होता है।

परोपकार और सेवा कार्य मानसिक शांति प्रदान करते हैं।

5. नकारात्मकता से दूर रहें:

नकारात्मक विचारों और व्यक्तियों से दूरी बनाए रखें।

सोशल मीडिया का सीमित और सकारात्मक उपयोग करें।

6. वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक:

संयुक्त राष्ट्र हर साल विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट (World Happiness Report) जारी करता है, जिसमें दुनिया के देशों की प्रसन्नता का स्तर मापा जाता है।

प्रसन्नता मापने के मुख्य मानदंड:

1. आर्थिक समृद्धि – प्रति व्यक्ति आय और वित्तीय स्थिरता।

2. सामाजिक समर्थन – परिवार और समाज में सहयोग का स्तर।

3. स्वस्थ जीवन प्रत्याशा – शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य।

4. आत्मनिर्णय की स्वतंत्रता – व्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन के निर्णय लेने की क्षमता।

5. उदारता – परोपकारिता और दूसरों की सहायता की प्रवृत्ति।

6. भ्रष्टाचार की धारणा – सरकार और समाज में पारदर्शिता।

7. भारत में प्रसन्नता की स्थिति:

भारत की विश्व प्रसन्नता सूचकांक में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

सामाजिक असमानता, आर्थिक अस्थिरता और बढ़ती प्रतिस्पर्धा प्रमुख कारण हैं।

हालांकि, योग, ध्यान और आध्यात्मिकता से भारतीयों में प्रसन्नता का एक अलग स्रोत मौजूद है।

व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर सकारात्मक प्रयासों से इस स्थिति को सुधारा जा सकता है।

8. निष्कर्ष

प्रसन्नता कोई विलासिता नहीं, बल्कि जीवन की एक आवश्यक आवश्यकता है। यह केवल व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि सामूहिक और वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण है।

प्रसन्नता पाने के लिए हमें आंतरिक संतुलन, स्वस्थ जीवनशैली और सकारात्मकता को अपनाना होगा।

सरकारों और संस्थाओं को प्रसन्नता को बढ़ावा देने वाली नीतियां बनानी चाहिए।

प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं की प्रसन्नता के साथ-साथ दूसरों की प्रसन्नता में योगदान देना चाहिए।

“प्रसन्नता का रहस्य दूसरों को प्रसन्न करने में छिपा है।”

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डॉ तेज प्रकाश पूर्णानन्द व्यास, ग्लोबल हैप्पीनेस एंबेसेडर,
पूर्व प्राचार्य, शासकीय, राजा भोज स्नातकोत्तर महाविद्यालय, धार, मध्य प्रदेश
बी 12, विस्तारा टाउनशिप, ईवा वर्ल्ड स्कूल के पास, इन्दौर, 452010

संदर्भ

1. संयुक्त राष्ट्र – अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस की आधिकारिक वेबसाइट।
2. विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट – संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क।
3. भूटान का सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता मॉडल।
4. मनोवैज्ञानिक शोध – प्रसन्नता और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव।
5. भारतीय संस्कृति में प्रसन्नता के तत्व – योग, ध्यान और आध्यात्मिकता पर आधारित ग्रंथ।

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