20 फीसदी विभागों ने नहीं दी 15 साल पुराने वाहनों की जानकारी

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20 फीसदी विभागों ने नहीं दी 15 साल पुराने वाहनों की जानकारी

केंद्र सरकार का पुराने वाहनों को स्क्रेप करने का आदेश अटका

भोपाल
केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के एक आदेश के बाद भी 15 साल पुराने सरकारी वाहनों को बदलने का काम अटका हुआ है। दरअसल प्रदेश सरकार के 20 फीसदी के लगभग विभागों ने इस संबंध में जानकारी शासन को भेजी ही नहीं हैं। इन्हें फिर से रिमार्इंड करवाया गया है। केंद्र की 15 साल पुराने शासकीय वाहनों को स्क्रेप करने की पॉलिसी के तहत हजारों वाहनों को सड़क से हटाया जाना है। यह पॉलिसी प्रदेश में एक अप्रैल से लागू होना थी, लेकिन एक महीना बीत जाने के बाद भी प्रदेश की सड़कों से 15 साल पुराने सरकारी वाहन नहीं हटाया जा सके।

केंद्र सरकार ने इस संबंध में 16 जनवरी को आदेश जारी कर मध्य प्रदेश को भी भेजा था। इसके बाद राज्य शासन का परिवहन विभाग सक्रिय हुआ और प्रमुख सचिव की ओर से सभी विभागों को 15 साल पुराने वाहनों की जानकारी देने को लिखा गया। इस पत्र के बाद भी अब तक कई विभागों ने यह जानकारी परिवहन विभाग को नहीं दी है। प्रदेश में इस तरह के वाहनों की संख्या हजारों में है। अकेले भोपाल परिवहन कार्यालय में रजिर्स्टड ऐसे वाहनों की संख्या चार हजार से ज्यादा है।

इधर पुलिस को फिलहाल राहत
प्रदेश पुलिस में एक हजार से ज्यादा वाहन 15 साल पुराने हो चुके हैं। इन वाहनों में पुलिस की बस, टेंकर, व्रज वाहन से लेकर पुलिस अफसरों के वाहन तक शामिल हैं। केंद्र की स्क्रेप पॉलिसी के चलते पुलिस मुख्यालय ने भी यह तय किया था कि एक अप्रैल से इन वाहनों को धीरे-धीरे कर बदलने का प्रयास किया जाएगा। पुलिस मुख्यालय को उम्मीद थी कि वाहनों के लिए उसे इस बार बजट का आवंटन होगा, ताकि बड़ी संख्या में वाहनों की खरीदी हो सके।

*दस वाहन खरीदे*
सूत्रों की मानी जाए तो अफसरों के लिए जरुर हाल ही में दस चार पहिया वाहन खरीदे गए हैं। इनमें से एक वाहन भोपाल ग्रामीण डीआईजी को दिया गया है। वहीं कुछ और डीआईजी को भी यह वाहन दिए जाने वाले हैं। इधर वाहनों की कमी के चलते भोपाल के एक बड़े अफसर किराये के वाहन में चल रहे हैं। शासन ने पुलिस मुख्यालय को पिछले साल बराबर ही इस साल किराये पर वाहन लेने की अनुमति दी है।