बलात्कार के जुर्म में 20 साल की सजा एवं 26 हजार रुपए का जुर्माना

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बलात्कार के जुर्म में 20 साल की सजा एवं 26 हजार रुपए का जुर्माना

पन्ना। बलात्कार का आरोप प्रमाणित होने पर अदालत ने मुहम्मद याकूब को 20 साल की कठोर कारावास और 26 हजार रुपए के जुर्माने से दण्डित किया है।

जिला अभियोजन के मीडिया प्रभारी ऋषिकांत द्विवेदी के अनुसार फरियादी के दो लडक़े व चार लड़कियां हैं। 9 जनवरी 2024 को सुबह फरियादी बंजी करने देहात चला गया था। घर पर फरियादी की पत्नी, लडक़ी तथा उससे छोटे भाई-बहन घर पर थे। बंजी करके फरियादी रात करीब 8 बजे देहात से घर आया तो घर पर उसकी पीडि़ता नहीं दिखी। उसने अपनी पत्नी से पूछा कि लड़की कहां है तो उसकी पत्नी ने बताया कि वह दोपहर करीब 2 बजे कोटा राशन लेने गई थी। पीडि़ता को अकेले ही घर पर छोडक़र गये थे, जब वह करीब 3 बजे घर वापस आई तो पीड़िता घर पर नहीं मिली।

आसपास मोहल्ले गांव में पता किया किन्तु उसका कोई पता नहीं चला, उसके मोबाईल नम्बर पर फोन लगाया किन्तु फोन भी नहीं लग रहा है। फिर उसने अपनी रिश्तेदारियों में पता लगाया किन्तु उसका कोई पता नहीं चला। उसने 9 जनवरी 2024 से 16 जनवरी 2024 तक अपनी लड़की की तलाश की, किन्तु कोई पता नहीं चला तब उसने थाना बृजपुर में पीड़िता की गुमशुदगी की रिपोर्ट लेख कराई, जिसके आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख कर प्रकरण विवेचना में लिया गया।

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विवेचना के दौरान पीड़िता को 31 जनवरी 2024 को फतेहगंज से बरामद किया गया। पूछताछ कर पीड़िता के कथन लेख किये गये उसके द्वारा बताया गया कि अभियुक्त द्वारा उसे कमरे में बंद रखकर उसकी इच्छा के विरूद्ध एवं सहमति के बिना कई बार गलत काम किया गया एवं अभियुक्त यह जानते हुए की पीड़िता अनुसूचित जनजाति की है उसके साथ गलत काम किया।

संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियुक्त के विरूद्ध अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

अरविन्द कुमार शर्मा, विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) के न्यायालय में प्रकरण का विचारण हुआ। शासन की ओर से पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी मानवेन्द्र सिंह द्वारा की गयी। अभियोजन द्वारा साक्ष्य को क्रमबद्ध तरीके से लेखबद्ध कराकर न्यायालय के समक्ष आरोपी मोहम्मद याकूब के विरूद्ध अपराध को संदेह से परे प्रमाणित किया तथा आरोपी के कृत्य को गंभीरतम श्रेणी का मानते हुये कठोर से कठोरतम दंड से दंडित किया जाने का अनुरोध किया।

अभिलेख पर आई साक्ष्य और अभियोजन के तर्कों एवं न्यायिक दृष्टांतो से सहमत होते हुए न्यायालय द्वारा आरोपी मोहम्मद याकूब को धारा 37(2)(एन) भादसं. में 20 वर्ष का कठोर कारावास एवं 7 हजार रूपए का अर्थदण्ड, धारा 363 भादसं में 5 वर्ष का कठोर कारावास एवं 3 हजार रूपए अर्थदण्ड एवं धारा 344 भादंसं में 1 वर्ष कठोर कारावास एवं 1 हजार रूपए अर्थदण्ड एवं धारा 3(1)(डब्लू)(2) एससी/एसटी में 3 वर्ष का कठोर कारावास एवं 5 हजार रूपए अर्थदण्ड व धारा 3(2)(व्ही) एससी/एसटी में आजीवन कारावास एवं 10 हजार रूपए अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।