2019 LS Poll Memoir: पत्थरबाजों के बीच चुनावी ड्यूटी

1219

2019 LS Poll Memoir: पत्थरबाजों के बीच चुनावी ड्यूटी

जब 2024 का लोकसभा चुनाव अभियान पूर्णता की ओर है और अनंतनाग से पचास प्रतिशत मतदान की खबरें आ रहीं हैं तब पिछला याने 2019 के लोकसभा चुनाव की रोमांचक यादें आपसे साझा कर रहा हूँ .श्रीनगर से बुलेट प्रूफ गाड़ी और सशस्त्र सुरक्षा लिए जब हमारा क़ाफ़िला अनंतनाग की ओर बढ़ा तो रास्ते में पुलवामा विस्फोट स्थल देखने की सहज उत्सुकता थी जो NH में बीचों बीच सफ़ेद पेंट से चिह्नित किया गया था .पत्थरबाज़ी से टूटे पिटे वाहन अजीब लग रहे थे .
हम आतंक के गर्भ गृह में जा रहे थे अब एक माह वहीं रहना था और वह चुनाव कराना था जो महबूबा मुफ़्ती के मुख्य मंत्री बनने के बाद भी कराया नहीं जा सका था .मेरे साथी पर्यवेक्षकों में पंजाब के आईएएस अधिकारी डी एस मंगत भी थे जिनके पिता पंजाब में आतंकवाद के चरम दिनों में पंजाब के पुलिस प्रमुख रह चुके थे .

images 2024 05 26T163152.073

अनंतनाग, शोपियां, पुलवामा, पहलगाम ये जगहों के नहीं जैसे हादसों के नाम थे .त्रि स्तरीय सुरक्षा के घेरे में रहते हुए हमें जहाँ भी जाना हो, उस इलाक़े को फ़ौज और अर्द्ध सैनिक बल सैनिटाइज कर हरी झंडी देंगे तभी हम जा सकेंगे .दौरे से किसी भी हालत में सूर्यास्त से पहले लौट आना था .मुझे छोड़कर जो शेष पर्यवेक्षक थे, सब अपनी ड्यूटी कटवा चुके थे इसलिये उनके स्थान पर जूनियर अधिकारी तैनात किये थे .

यह भी पढ़े -Manipulation in EVM:शंका की लंका का विकराल रूप! 

मैं सबसे वरिष्ठ था इसलिये सबमें समन्वय का जिम्मा मेरा था .पुलिस प्रेक्षक जो उप्र के आईपीएस थे उन्होंने एक दिन लौटने की समय सीमा के पालन में ढिलाई बरती और अपनी बुलेट प्रूफ़ गाड़ी तुड़वा कर लौटे .मेरी गाड़ी पर तो अनंतनाग शहर में दिन दहाड़े फ्रंट ग्लास पर एक सुंदर सा बच्चा पूरी ईंट ठोककर भाग गया .रोज़ एनकाउंटर,रोज़ शहीद, रोज़ बंद,रोज़ हमले सामान्य दिनचर्या थी .कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को तो चहुमुखी युद्ध लड़ना पड़ रहा था .शोपियां कलेक्टर हमारी बैठक से वापस गए तो पत्थरबाज़ों ने उनकी जिप्सी के बुलेट प्रूफ काँच को ही तोड़ दिया .उनके घर की छत भी उस रात चकनाचूर कर दी गई था .असल में हम एक युद्ध क्षेत्र में थे जहाँ बिना घोषणा के युद्ध लड़ा जा रहा था .भारत सहित दुनिया की प्रमुख जासूसी संस्थाएँ और मीडिया वहाँ सक्रिय था .

Learning From Nature: जब सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक बना ठूंठ!

चुनाव आयोग से सूचना आई कि एक स्पेशल वीडीओ कॉन्फ़्रेन्सिंग केवल हमारे साथ होनी है .नियत समय यह बैठक हुई .मैंने सभी DM-SP और साथी पर्यवेक्षकों से चर्चा के बाद आयोग को बताया कि हमें कुछ असाधारण कदम उठाने होगें तभी चुनाव संभव है .आयोग ने सभी सुझाव मान लिये .हमारा सुझाव था -मतदान केंद्र दूरदराज़ गाँव के स्थान पर प्रमुख गाँवों में ही केंद्रित रखें,मतदान का समय लंच तक ही रहे जिससे हमारे दल दिन के उजाले में लौट आयें ,ईवीएम हेलीकॉप्टर से वापस लायें आदि .आयोग के पूर्ण समर्थन से चुनाव बढ़िया संपन्न हुआ .असाधारण उपायों का कोई काट आतंकियों के पास नहीं था .लोकतंत्र अनंतनाग में भी जीत गया था .

images 2024 05 26T163216.989

अनंतनाग से श्रीनगर लौटते हुए हमारे क़ाफ़िले पर पत्थर आये तो मैंने अपने साथ बैठे डी एस मंगत से कहा यह आपको ख़ुदा हाफ़िज कहने आये हैं .पथराव झेलकर हमारी गाड़ी आगे निकल आई थी और शेष काश्मीर को भी इस पथराव से आगे निकलना था .