
मध्यप्रदेश के समृद्ध इतिहास,गौरवशाली विरासत से रूबरू कराएंगे 22 कम्युनिकेटिव संग्रहालय
~नीलिमा तिवारी
दुनियाभर में हीरों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना शहर में हीरे कैसे निकलते है, कैसे उन्हें तराशा जाता है यह अब आप यहां बन रहे पन्ना डायमंड म्यूजियम में जान सकेंगे। इसी तरह में सालों के भूगर्भीय विकास के बाद तैयार जबलपुर के भेड़ाघाट की संगमरमरी संरचनाओं की क्या कहानी है, यह आप जबलपुर के जियोलॉजिकल म्यूजियम में जाकर जान सकेंगे। भीमबैठका में तीस हजार साल पुराने रॉक आर्ट कैसे तैयार हुए। दुनियाभर में कहां-कहां इस तरह के रॉक आर्ट है, यह बताने भीमबैठका में रॉक आर्ट म्यूजियम तैयार हो रहा है।
मध्यप्रदेश की प्राचीन संस्कृति, धरोहर और हर जिले में जां वहां की पहचान है उससे प्रदेश ही नहीं दुनियाभर के पर्यटकों, शोधकर्तां और आमजनों को अवगत कराने के लिए मध्यप्रदेश सरकार पूरे प्रदेश में हर जिले की गाथा बताने वाले 22 संग्रहालय तैयार कर रही है। इन संग्रहालयों में पहुंचकर आप उस शहर की विरासत, समृद्ध इतिहास का खुद अनुभव कर सकेंगे। हमारी युवा पीढ़ी मध्यप्रदेश के समृद्ध इतिहास से रुबरु होगी।
प्रदेश के अलग-अलग जिलोें और शहरों की पहचान वहां की जिस विरासत या काम को लेकर है, इन सबको इन संग्रहालयों में प्रदर्शित किया जाएगा। मध्यप्रदेश के इन प्रमुख स्थलों के इतिहास, संस्कृति, विशेषताओं से इन संग्रहालयों के जरिए आने वाले पर्यटकों को अवगत कराया जाएगा। ये संग्रहालय केवल जानकारियों का केन्द्र ही नहीं बनेंगे बल्कि पर्यटकों का आनंद भी बढ़ाएंगे। यहां फूड कोर्ट भी होंगे, सोविनियर शॉप भी होगी। यहीं नहीं पुराने बने हुए सभी संग्रहालयों को नई तकनीक, लाइटिंग इफेक्ट से लैस कर और अधिक आकर्षक बनाया जाएगा।
भोपाल शहर के निर्माण से लेकर अब तक हुए विकास की कहानी बताने यहां सिटी म्यूजियम बनाया जाएगा। इसमें भोपाल के इतिहास, मध्यप्रदेश का इतिहास, यहां के शासकों का क्या क्या योगदान रहा, यह बताया जाएगा।
इस म्यूजियम में भोपाल शहर के विकास की पूरी गाथा एक ही जगह देखी और अनुभव की जा सकेगी। यहां कितने शासक और नबाव हुए है। उनके क्या प्रमुख योगदान रहे है। किसने यहां वास्तुशिल्प सौंदर्य का प्रयोग कर झीलों के शहर को गठित किया। बड़े तालाब और छोटे तालाब की क्या कहानी है। भोपाल में एशिया की सबसे बड़ी ताजुल मसाजिद और सबसे छोटी मसाजिद कहां है। भारत भवन, वन विहार, रविन्द्र भवन, सदर मंजिल, शहर की बावड़ियों और हर छोटी-बड़ी प्राचीन इमारत और उसके विकास का खाका यहां देखा जा सकेगा। भोपाल के निर्माण में प्रमुख योगदान देने वाले राजा भोज पर केन्द्रित भोज म्युजियम में यह बताया जाएगा कि वे केवल एक शासक ही नहीं साहित्यकार और कुशल वास्तुविद भी थे। उनसे जुड़ी बात केकला-संस्कृति की हर जानकारी यहां आने वालों को मिलेगी।
हीरों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना शहर में डायमंड म्यूजियम बनेगा। यहां आप हीरे के खनन से लेकर तराशने तक की कहानी, भारत के प्रमुख हीरे और दुनियाभर के हीरों के बारे में जान पाएंगे। जबलपुर के भेड़ाघाट में लाखों सालों में हुए भूगर्भीय विकास से बनी संगमरमर की संरचनाओं की कहानी बताने ज्योलॉजिकल म्यूजियम बनेगा। इनकी क्या कहानी है। इनका क्या उपयोग हो रहा है यह बताने के लिए जबलपुर में जियोलॉजिकल म्यूजियम तैयार किया जाएगा। भीमबैठका में तीस साल पुराने रॉक आर्ट है ये कितने पुराने है। इनका क्या महत्व है, ये कब बने, कैसे बने,किसने इन्हें बनाया भारत में इस तरह के राक आर्ट और कहा-कहां पर है यह भारत में कितनी पुरानी है इसे बताने यहां राक आर्ट म्यूजियम बनेगा।
ग्वालियर संगीत का शहर है यूनेस्को ने इसे म्यूजिक सिटी घोषित किया है। यहां बन रहे म्यूजिक म्युजियम में आने वाले यह जान सकेंगे कि घराने का क्या महत्व है। शास्त्रीय संगीत क्यों कहा जाता है । इससे हमे आनंद मिलता है। इसकी क्या विशेषता है यह सब म्यूजियम ऑफ म्यूजिक में अनुभव कर सकेंगे। उज्जैन में त्रिवेणी म्यूजियम का विस्तार किया जाएगा। उज्जैन में ही वीर भारत म्यूजियम सरकार बना रही है। यह यूनिक म्यूजियम होगा।
उज्जैन में वीर भारत म्युजियम में भारत के निर्माण में प्राचीन से लेकर अभी तक के विभिन्न शासको, वैज्ञानिकों, साहित्यकार के योगदान को दर्शाया जाएगा। इसका काम शुरु हो गया। यह म्यूजियम दो सौ करोड़ का होगा। ग्वालियर में अटल म्यूजियम बना रहे है। ट्राइबल आर्ट को बताने खजुराहो में आदिवर्त, जनगण श्याम के गांव डिंडोरी में एक म्यूजियम बन रहा है जहां जनगण श्याम की चित्रकला के नायाब नमूने और उनकी विशेषताओं को प्रदर्शित किया जाएगा। ट्रायवल कल्चर पर उमरिया में बांधवगढ़ नेशनल पार्क के पास संग्रहालय बन रहा है। इंदौर का संग्रहालय,पुरातत्व का गुजरी महल संग्रहालय, ग्वालियर का महल संग्रहालय स्टेट जिला और स्टे आर्कियालालिकल म्यूजियम, ट्राइबल आर्ट को बताने खजुराहो में आदिवर्त, जनगण श्याम के गांव डिंडोरी में म्यूजियम बनने जा रहा है। रानी दुर्गावती संग्रहालय जबलपुर को आधुनिक बनाया जा रहा है
नये संग्रहालय तो बन ही रही है जो मौजूदा संग्रहालय है उनका रुपांतरण किया जा रहा है। तकनीक का इनपुट देकर, लाइटिंग इफेक्ट, साउंड सिस्टम से इन्हें लैस कर इन्हें और अधिक आकर्षक, उपयोगी बनाया जा रहा है।
सभी संग्रहालयों को तकनीक से लेस कर टूरिस्टफ्रेंडली बनाया जा रहा है। यहां सोविनियर शॉप, फूड कोर्ट, पाइंट होंगे।
इतिहास,संस्कृति पुरातत्व, प्रकृति, मध्यप्रदेश की विशेषताएं, पर्यटकों के लिए आनंद लेने की जगह भी यहां रहेगी। छोटी फिल्मों के माध्यम से भी इन शहरों के इतिहास को बताया जाएगा। प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के अपर मुख्य सचिव शिवशेखर शुक्ला कहते है कि प्रदेश में बीस से बाईस संग्रहालयों की श्रृंख्ला तैयार की जा रही है। पुराने संग्रहालयों को भी नई तकनीक से लैस किया जा रहा है। हर शहर की विशेषता बताने के लिए वहां एक संग्रहालय आने वाले समय में उपलब्ध होगा।
(गजानंद फीचर सर्विस)





