MP के 23 हजार पूर्व सरपंचों को नहीं मिला 18 माह का मानदेय, आंदोलन की चेतावनी

पूर्व सरपंच प्रतिनिधि मण्डल ने मंदसौर विधायक को दिया ज्ञापन

MP के 23 हजार पूर्व सरपंचों को नहीं मिला 18 माह का मानदेय, आंदोलन की चेतावनी

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मन्दसौर। अपनी मानदेय राशि के भुगतान के लिए प्रदेश भर के कोई 23 हजार ग्राम पंचायतों के पूर्व सरपंचों ने अपने कार्य अवधि की बकाया राशि के लिए मांग उठाई है। लंबी अवधि बीत जाने पर और प्रशासनिक व जनप्रतिनिधियों के माध्यम से स्मरण दिलाने पर भी सुनवाई नहीं हुई और राशि भी अबतक नहीं मिली है।

मंगलवार को जिले के पूर्व सरपंच प्रतिनिधि मण्डल ने विधायक श्री यशपाल सिंह सिसौदिया को जिला मुख्यालय मंदसौर में ज्ञापन देकर 18 माह के मानदेय शासन से दिलाने की मांग की।

प्रतिनिधि मंडल ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि मानदेय नहीं मिलने से प्रदेश के 23 हजार से अधिक पूर्व सरपंच आंदोलन की राह पकड़ने को मजबूर होंगे।

प्रतिनिधि मण्डल में पूर्व सरपंच प्रतिनिधि गोपाल धनगर आकोदड़ा, पूर्व सरपंच प्रतिनिधि महेश गेहलोद धंधोड़ा, पूर्व सरपंच जगदीश शर्मा देहरी, पूर्व सरपंच कमलाशंकर मालवीय मजेसरा आदि ने विधायक श्री सिसोदिया से मिलकर बताया कि पूर्व सरपंचों को 18 माह का मानदेय बकाया है। वर्तमान सरपंचों का मानदेय जमा हो चुका है। मानदेय के संबंध में अधिकारियों को मंत्री व जनप्रतिनिधियों को कई बार अवगत कराया गया लेकिन अभी तक मानदेय प्राप्त नहीं होने से पूर्व सरपंचों में रोष व्याप्त है।

विधायक श्री सिसौदिया ने पंचायत मंत्री श्री महेन्द्रसिंह सिसौदिया के ओ.एस.डी. से फोन पर चर्चा कर पूर्व सरपंचों की इस समस्या से अवगत कराया।

विधायक श्री सिसौदिया ने आश्वासन दिया कि जल्द ही मानदेय मिले, इसके पूरे प्रयास किये जायेंगे।

पूर्व सरपंच प्रतिनिधि मण्डल ने बताया कि प्रदेश में करीबन 23 हजार पूर्व सरपंच हैं तथा डेढ़ साल से मानदेय के लिये बाट जोह रहे हैं। पूर्व सरपंचों ने महामारी कोरोना काल में कार्य अवधि बढ़ जाने से ग्राम पंचायतों के साथ कार्य किया और गांव गांव कोरोना नियंत्रण के प्रयास किये लेकिन सबकी हितैषी होने का दावा करने वाली शिवराजसिंह चौहान की भाजपा सरकार पूर्व सरपंचों के इस कार्य की अनदेखी कर रही है। जबकि वर्तमान सरपंचों को हर माह नियमित रूप से मानदेय दिया जा रहा है।

अगर जल्द पूर्व सरपंचों को मानदेय नहीं मिला तो चरणबद्ध आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

ज्ञातव्य है कि महामारी कोरोना के दौरान ग्राम पंचायत के निर्वाचन नहीं हो पाए और सरपंचों की कार्य अवधि वृद्धि की गई थी। लगभग 18 माह तक यह स्थिति रही । बढ़ी हुई कार्य अवधि में प्रत्येक सरपंच को 1750 रुपये की राशि प्रति माह देय है जो 23 हजार पूर्व सरपंचों की कुल 7 करोड़ रुपये से अधिक की बकाया है। बकाया मानदेय भुगतान के लिए कलेक्टर कार्यालय की जनसुनवाई में भी आवेदन दिया है।

पूर्व सरपंच संगठन के गोपाल धनगर ने बताया कि मंदसौर जिले के 440 पूर्व सरपंचों का मानदेय शेष है इसी प्रकार प्रदेश भर के 23 हजार से अधिक सरपंच बकाया की मांग कर रहे हैं।

विधायक श्री सिसोदिया ने आश्वस्त किया है अन्यथा पूर्व सरपंचों को आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा।