

Accused of Digital Arrest Were Caught : 4.89 लाख ठगने वाले डिजिटल अरेस्ट के 3 आरोपी पकड़ाए!
Indore : चार माह पहले पार्सल में अवैधानिक सामग्री मिलने का झांसा देकर महिला को डिजिटल अरेस्ट करने के मामले में तीन आरोपियों को पुलिस ने पकड़ा है। आरोपियों को पकड़ने में पुलिस को खासी मशक्कत करना पड़ी। आरोपी ठग गैंग के सदस्यों को खुद के बैंक खाते किराए पर देते थे। कई राज्यों में वारदात कर चुके ठगों ने महिला से 4 लाख 89 हजार 658 रुपए की धोखाधड़ी की थी। महिला वारदात के बाद महीनों तक सहमी रही। फिर हिम्मत जुटाकर पुलिस को शिकायत की। पुलिस को तकनीकी साक्ष्य इकट्ठा कर छतरपुर से तीन ठगों को गिरफ्तार किया है।
करीब एक माह पहले भी डिजीटल अरेस्ट मामले में पुलिस आधा दर्जन से अधिक ठगों को सलाखों के पीछे धकेल चुकी है। फरियादी ने बताया कि 9 नवंबर 2024 को मेरे पास अनजान नंबर से कॉल आया। कॉलर ने खुद का परिचय फेड-एक्स के अधिकारी के रूप में देते हुए कहा कि आपके नाम से मुंबई से ईरान भेजे गए पार्सल को मुंबई एयरपोर्ट पर कस्टम अधिकारियों ने. रोक लिया है। आपके नाम के पार्सल में 3 अलग-अलग नाम के पासपोर्ट, लेपटॉप एवं 350 ग्राम एमडी ड्रग्स आदि सामान मिला है।
आधार कार्ड से लिंक होना बताया
इसके जवाब में मैंने बताया कि ऐसा कोई पार्सल नहीं भेजा है। इसके बाद ठग ने कहा कि मेरा आधार कार्ड पार्सल से लिंक है। मुझसे कहा कि कोई आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल कर रहा है, इसकी कंपलेन आपको मुंबई साइबर क्राइम करनी होगी। मुझसे इजाजत लेते हुए मेरे कॉल को मुंबई साइबर क्राइम में ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद कॉलर ने मुंबई साइबर क्राइम ने बात की। अधिकारी ने मुझे मुंबई आने को कहा।
वीडियो कॉल पर दर्ज करेंगे
इस पर मैंने मुंबई जाने से मना कर दिया तो ठग ने मुझसे स्काइप एप्लीकेशन डाउनलोड कराया गया। आपकी कंप्लेंट हम वीडियो कॉल पर दर्ज करेंगे, इसके बाद मुझे कॉल पर स्काइप आईडी मुंबई साइबर सेल डिपार्टमेंट बताई। मेरे द्वारा मैसेज करने पर ठग ने वीडियो कॉल किया। इस दौरान सामने की स्क्रीन ब्लैक थी। कॉल शुरू होते ही उन्होंने अपना परिचय मुंबई साइबर क्राइम अधिकारी प्रदीप सावंत के रूप में दिया।
प्रदीप ने डीसीपी मिलिंद का आईडी कार्ड भी दिया। बाद में मेरे आधार कार्ड का फोटो मांगा, जो उन्होंने वेरीफाई किया। बैंक से लिंक होना पाया गया। इसके बाद कहा कि आपका आधार कार्ड आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बैंक खातों से लिंक पाया गया। फिर कहा कि यह खाता मनी लांड्रिंग में इस्तेमाल किया जाता है।
ठग ने बताया कि खातों में करोड़ों रुपए की मनी लांड्रिंग हुई जिसमें से मुझे भी उन पैसों का हिस्सा प्राप्त हुआ है। ठग ने कहा कि लोगों की जानकारियों का गलत इस्तेमाल क्रिमिनल्स द्वारा किया जाता है। यदि आप सहयोग करती हो तो हम आपको निर्दोष साबित करने में मदद करेंगे। जिसके लिए पीसीसी सर्टिफिकेट भी जारी करेंगे, लेकिन आप दोषी पाई जाती है तो अरेस्ट वारंट जारी होगा।
मोबाइल से स्क्रीन शॉट मांगे
डीसीपी मिलिंद ने पूछा कि क्या आपने किसी प्रकार का लोन लिया है। इसके लिए मेरे बैंक के एप आई मोबाइल से लोन सेक्शन के स्क्रीन शॉट मांगे। मुझसे कहा कि हमारे आरबीआई के अधिकारी आपके पैसों का विश्लेषण करेंगे जिसके लिए मुझे नोटिस भेजा। इसमें सारा प्रोसेस लिखी थी, कि मेरे पैसों का आईपी एड्रेस ट्रेस करेंगे। यदि पैसे लीगल हुए तो वापस कर देंगे, अन्यथा खाता सीज हो जाएगा। तब मैंने ठग के खाते में रुपए ट्रांसफर किए। मामले में पुलिस ने आरोपियों पर धारा 318(4), 316(5), 111(4) का केस पंजीबद्ध किया था।
एक-दूसरे को दिए बैंक खाते
मामले में पुलिस ने छतरपुर से नरेन्द्र कुमार अहिरवार, अनिकेत पटेल तथा ओमनारायण अहिरवार को पकड़ा। आरोपियों ने बताया कि वे कॉलेज में पढ़ते हैं। पढ़ाई के साथ जल्दी रुपए कमाने की नियत से नरेंद्र ने अपना बैंक खाता अनिकेत को दिया। अनिकेत ने नरेंद्र का खाता ओमनारायण को दिया। बैंक खाता उपलब्ध कराने के लिए नरेंद्र और अनिकेत को 5 से 10 हजार रुपए मिले। आरोपी ओम, नरेंद्र के खातों को डिजिटल अरेस्ट गैंग को 30 से 40 हजार में देना कबूला। ओम नारायण का टेलीग्राम के माध्यम से फर्जी डिजिटल अरेस्ट गैंग के संपर्क हुआ। उसके बाद ओम नारायण ने दिल्ली स्थित ठग गैंग को रेपिडो, अन्य माध्यमों से बैंक खाता एवं अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराए।