3 New Districts: चुनावी बेला में अशोक गहलोत का एक और मास्टर स्ट्रोक

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3 New Districts: चुनावी बेला में अशोक गहलोत का एक और मास्टर स्ट्रोक

गोपेंद्र नाथ भट्ट की खास रिपोर्ट 

नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा से ठीक पहले एक और मास्टर स्ट्रोक चल कर चुनावी बाजी अपनी ओर मोड़ने की कौशिश की है ।गहलोत ने सुजानगढ़, मालपुरा और कुचामन सिटी को भी जिला बनाने की घोषणा कर प्रदेश में जिलों की संख्या 50 से बढ़ा कर 53 करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। सुजानगढ़, मालपुरा और कुचामन सिटी को जिला बनाने को लेकर पिछले लम्बे अर्से से आन्दोलन चल रहे थे।इसके साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यह कह कर कि राम लुभाया समिति की सिफ़ारिश पर और नए जिले भी बन सकेंगे, लोगों की उम्मीदों को ज़िंदा रखा है । ऐसा कह कर उन्होंने आन्दोलन की राह पर चले अन्य इलाक़ों के नेताओं और मत दाताओं को भी साधने का काम किया है।

गहलोत ने अपनी राजनीतिक जादूगरी का एक बार फिर से प्रदर्शन कर राजस्थान में तीन और नए जिलों के गठन की घोषणा की है जिसके कई राजनीतिक मायने भी है। इसके पहले उन्होंने 19 नए जिले और 3 नए संभाग बांसवाड़ा, सीकर और पाली बनाने की घोषणा कर उन्हें मूर्त रूप दिया है।

उन्होंने राम लुभाया कमेटी का कार्यकाल छह महिने बढ़ाने की घोषणा कर और उसकी रिपोर्ट आने के बाद नए जिलों के बारे में कोई फैसला लेने के बारे में कहा था लेकिन ऐन चुनाव से पहले यह मास्टर स्ट्रोक लगा कर सभी को चकित कर दिया है।

गहलोत ने कहा कि राजस्थान भौगोलिक दृष्टि से देश का सबसे बड़ा जिला है और प्रशासनिक व्यवस्थाओं को बेहतर और चुस्त दुरुस्त बनाने के लिए नए जिले और संभाग बनाए की जरुरत को देखते हुए निर्णय किए है।

इसके साथ ही अब राजस्थान में 53 जिले और 10 संभाग से कमोबेश राजस्थान का भूगोल एक बात फिर बदल जायेगा।

देश में क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान में इससे पहले भेरोसिंह शेखावत वसुन्धरा राजे और स्वयं अशोक गहलोत के कार्यकाल में नए जिले और संभाग बने और इसके बाद पिछले कुछ वर्षों में पुनः नए जिलों के गठन की मांग परवान चढ़ी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा चुनावी वर्ष सही समय पर सही मास्टर स्ट्रोक लगा कर अपनी राजनीतिक कुशलता का परिचय दिया है। लेकिन भारतीय चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा करने के बाद लागू होने वाली आदर्श आचार संहिता से पहले नए जिलों का नोटिफ़िकेशन जारी करना भी जरुरी होगा।

पिछले दशकों में भारत सरकार ने सर्वांगीण और बेहतर विकास के आधार पर छोटे राज्यों का गठन किया एवं मध्य प्रदेश से अलग होकर जब छत्तीसगढ़ बना तो राजस्थान भारत का भू भाग की दृष्टि से सबसे बड़ा प्रांत बन गया। हालाँकि इससे पहले भी राजस्थान देश के बड़े प्रदेशों में शुमार था।

राजस्थान की विषम भौगोलिक परिस्थितियों और प्रायः सूखा और अकाल जैसे हालातों को देखते हुए साठ एवं सत्तर के दशक में राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के तत्कालीन नेता महारावल लक्ष्मण सिंह डूंगरपुर ने विश्व की सबसे प्राचीन अरावली की प्रदेश से गुजर रही पर्वत श्रृंखला को आधार मान कर राजस्थान को दो भागों में विभक्त करने और एक अलग “मरू-प्रदेश” बनाने की मांग रखी थी जिसे एकीकृत राजस्थान बनाने में महारावल के योगदान की दुहाई देते हुए स्वीकार नहीं किया गया था लेकिन अब इसकी तोड़ के रूप में गहलोत ने आजादी के बाद प्रदेश में एक साथ सबसे अधिक जिले बनाने का एक नया रिकार्ड बनाया है। साथ ही इतने अधिक जिलों का गठन कर वे प्रदेश के सबसे अग्रणी मुख्यमंत्री बन गए है और उन्होंने अपनी ज़बर्दस्त राजनीतिक दूरदर्शिता का परिचय भी दिया है।

राजस्थान में इस वर्ष के अंत में विधान सभा के चुनाव होने हैं। इसलिए गहलोत की इस घोषणा को राजनीतिक लाभ लेने की मंशा से भी इंकार नहीं किया जा सकता। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि गहलोत इस बार अपनी सरकार को रिपीट करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं और यदि ऐसा होता है तो वर्षों से प्रदेश में बारी बारी से भाजपा और कांग्रेस की सरकारें बनने की परम्परा टूटने के साथ ही उन पर खुद की पार्टी के नेताओं द्वारा सरकार रिपीट नहीं करने की अक्षमता का आरोप लगाने वाले लोगों को उनका करारा जवाब हो सकता है। गहलोत की पुरानी पेंशन योजना पूरे देश में एक आंधी में तब्दील हो रही है। साथ ही उनकी स्वास्थ्य तथा अन्य जन कल्याणकारी योजनाओं का डंका भी चारों ओर बज रहा है अब देखना होगा कि गहलोत की यह गुगली अपने विरोधियों के सत्ता में आने के मार्ग में कही रोडा तो नही बन जायेंगी?