3 Seats of Indore : भाजपा ने इंदौर की 3 सीटें क्यों रोकी, कौन है दावेदार!

कहीं उम्मीदवार कमजोर, कहीं विरोध तो कहीं पार्टी की रणनीति में फिट नहीं!

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3 Seats of Indore : भाजपा ने इंदौर की 3 सीटें क्यों रोकी, कौन है दावेदार!

Indore : जिले में विधानसभा की 9 सीटें हैं। इनमें से 2018 के चुनाव में भाजपा ने 5 और कांग्रेस ने 4 सीटें जीती थी। लेकिन, ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद कांग्रेस की जीती सांवेर सीट कम हो गई। इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इंदौर-1, इंदौर-2, इंदौर-4, राऊ, सांवेर और देपालपुर सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। अभी भी इंदौर-3, इंदौर-5 और महू सीट पर उम्मीदवारों घोषणा बाकी है। जबकि, कांग्रेस की अभी कोई लिस्ट नहीं आई।

भाजपा ने जिन 3 सीटों के उम्मीदवार तय नहीं किए उनको लेकर असमंजस के हालात है। 2018 में इंदौर-3 से आकाश विजयवर्गीय, इंदौर-5 से महेंद्र हार्डिया और महू से उषा ठाकुर चुनाव जीती थीं। लेकिन, इन तीन सीटों पर पार्टी उलझन में है। क्योंकि, किसी न किसी कारण इन तीन सीटों पर पार्टी को कमजोर करने वाले फैक्टर ज्यादा प्रभावी होते दिखाई दे रहे हैं और फ़िलहाल स्थिति में पार्टी कोई रिस्क लेने की स्थिति में नहीं है। 2018 में भाजपा को बहुमत के लिए एक-एक सीट के लाले पड़ गए थे।

इंदौर-3 से आकाश विजयवर्गीय को टिकट न दिए जाने का कारण उनके पिता कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर-1 से टिकट दिया जाना है। स्वाभाविक है कि एक ही शहर से पिता और पुत्र दोनों को टिकट देना पार्टी के लिए शायद संभव न हो। आकाश के समर्थकों ने भोपाल तक जाकर संगठन के सामने टिकट के लिए आवाज उठाई, पर अभी तक ऐसे कोई संकेत नहीं है कि पार्टी उन्हें टिकट देगी।

इंदौर-5 से महेंद्र हार्डिया का नाम पार्टी की घोषित चारों लिस्ट में नहीं है। बताया गया कि के 2018 का चुनाव बहुत कम अंतर से जीतने की वजह से उनका टिकट अभी तक रुका हुआ है। इसके अलावा उनको टिकट न दिए जाने की कुछ कार्यकर्ताओं ने मांग भी की थी। बकायदा एक होटल में बैठक करके प्रस्ताव पास किया और संगठन को भेजा था। कुछ कार्यकर्ता खुलकर भी सामने आए।

उधर, महू से उषा ठाकुर को टिकट न दिए जाने की मांग पार्टी के अंदर से ही मांग उठी। स्थानीय व्यक्ति को टिकट की मांग पर महू के भाजपा नेता और मतदाता अब उषा ठाकुर को अपना प्रतिनिधि बनाने के पक्ष में नहीं है। इसलिए भी कि उषा ठाकुर पिछले चुनावों में जहां से भी उम्मीदवार बनी, जीतने के बाद वहीं उनका विरोध हुआ। वे पहले इंदौर-1 से विधायक थी, फिर उन्हें टिकट नहीं दिया गया। तब तो मुख्यमंत्री जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान रास्ता रोककर उनको क्षेत्र-1 से टिकट न देने का हंगामा हुआ था। 2013 में उन्हें इंदौर-3 से उम्मीदवार बनाया गया, वे चुनाव जीतीं पर विरोध के चलते 2018 में उन्हें वहां से हटाकर महू भेज दिया। अब महू से भी उनका विरोध शुरू हो गया। इन बार उन्हें कहां से टिकट दिया जाएगा, तय नहीं है! यह भी संभव है कि उन्हें टिकट दिया ही न जाए।

कौन कहां से ताकतवर उम्मीदवार
बची हुई तीन सीटों पर तय है कि पार्टी नए चेहरों को भी मौका दे सकती है। इंदौर-3 को वैश्य समाज बहुल सीट माना जाता है। लेकिन, भाजपा ने यहां से कभी वैश्य को उम्मीदवार नहीं बनाया। जानकारियां बताती है कि इस बार पार्टी वैश्य को टिकट दे सकती है। इस फेहरिस्त में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता गोविंद मालू का नाम आगे है। इलाके में उनका प्रभाव भी है। वैसे महू से हटाए जाने पर उषा ठाकुर भी कोशिश में है, पर पार्टी लगता नहीं कि कोई रिस्क लेगी। यहां से पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन अपने बेटे या बेटे की पत्नी को टिकट दिलवाने की कोशिश कर रही है। तर्क यह दिया जा रहा कि ये मराठी बहुत क्षेत्र है। जबकि, ये सही नहीं है। पहले कभी ये मराठी बहुत इलाका था, पर अब ज्यादातर महाराष्ट्रीयन परिवार यहां से पलायन कर गए।

इंदौर-5 से अभी भी सबसे सशक्त उम्मीदवार महेंद्र हार्डिया को ही माना जा रहा है। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि पार्टी एक-एक सीट पर नजर गड़ाए है और कोई नया प्रयोग करने की स्थिति में नहीं है। वे लगातार चार बार यहां से चुनाव जीते हैं और उनका क्षेत्र में जीवंत संपर्क है। लगता नहीं कि पार्टी उन्हें बदलने का साहस करेगी। जबकि, यहां से पूर्व पार्षद दिलीप शर्मा, पार्टी के इंदौर अध्यक्ष गौरव रणदिवे और संघ से जुड़े नानूराम कुमावत भी दावेदारी कर रहे हैं, पर पार्टी शायद ही उनके दावे को स्वीकार न करे। क्योंकि, पिछले पांच सालों में इनका जनता से सीधा संपर्क नहीं रहा।

महू सीट से उषा ठाकुर के बाद कौन उम्मीदवार होगा, फ़िलहाल ये असमंजस में है। यही कारण है कि पार्टी ने इस सीट को अभी होल्ड पर रखा है। वैसे राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार का नाम भी उम्मीदवारों में लिया जा रहा है। लेकिन, पार्टी उन्हें कई पदों से नवाज चुकी है। यदि उन्हें उम्मीदवारी दी जाती है तो पार्टी को जनता की नाराजगी झेलना पड़ सकती है। शिवराज सिंह के पसंदीदा डॉ निशांत खरे भी टिकट की उम्मीद से हैं। लेकिन, वे भी स्थानीय नहीं है, तो उनका विरोध हो सकता है। इसके अलावा हिन्दू जागरण मंच के नेता राधेश्याम यादव भी दावेदारों में शामिल हैं।