‘दो जन्मदिन’ के बीच के ‘365 दिन’ …ह्रदय प्रदेश में ‘कर्मयोगी’ साबित हुए ‘मोहन’…

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‘दो जन्मदिन’ के बीच के ‘365 दिन’ …ह्रदय प्रदेश में ‘कर्मयोगी’ साबित हुए ‘मोहन’…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

25 मार्च 2025 को मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश में अपना दूसरा जन्मदिन मनाया। वर्ष 2024 में जब मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अपना पहला जन्मदिन मनाया था, तब लोगों के मन में वह तस्वीर जिंदा थी कि पीछे की पंक्ति में बैठा एक विधायक पर्ची में लिखे नाम से मुख्यमंत्री के ताज पर विराज गया है। हर जन के मन में बहुत से सवाल बाकी थे, जिनके जवाबों को लेकर बहुत सारे ‘यदि और लेकिन’ कोलाहल कर रहे थे। पर मोहन की खासियत यह रही कि विनम्रता के साथ चुपचाप वह अपनी यात्रा पर आगे कदम बढ़ाते रहे। और हंसते-मुस्कुराते रहे। ऐसे ही ऐसे पूरे 365 दिन बीत गए और जब मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अपना दूसरा जन्मदिन मनाया, तब तक हर जन के मन ने यह स्वीकार कर लिया है कि मोहन के साथ मध्यप्रदेश को स्वर्णिम दौर की लंबी यात्रा तय करनी है। पीछे की पंक्ति में बैठा वह व्यक्ति वास्तव में मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के काबिल था। इन 365 दिन में मोहन ने भाजपा सरकार की पूर्व की योजनाओं को जारी रखा तो नीतिगत तौर पर बहुत कुछ या कहें तो सब कुछ बदल दिया। और मध्यप्रदेश को विकसित बनाने की भावी इमारत की मजबूत नींव में अपने विजन की नई लकीर खींचकर यह बता दिया कि मोदी की सोच से मोहन का विजन उर्वर भी है और प्रदेश के स्वर्णिम भविष्य को लेकर उनका मन निडर भी है। और उन्होंने यह मिथक पूरी तरह से तोड़ दिया है कि परिश्रम की पराकाष्ठा में उनसे कोई आगे है। मोहन ने खुद को परिश्रम की पराकाष्ठा का पर्याय साबित कर दिया है। तो यह दिखा दिया है कि उनसे बड़ा योगी भी राजनेताओं में शायद ही कोई हो। और कर्मयोगी में भी वह किसी से कम तो नहीं आंके जा सकते।

वास्तव में राजभवन में “कर्मयोगी बने” कार्यशाला में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के विचार एक स्थापित मुख्यमंत्री के विजन का ही बखान कर रहे हैं। यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश ‘राष्ट्र नीति’ के संकल्प पथ पर प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ रहा है। हमारी विभिन्न भाषाए, बोलियां, मनोभाव और मूकभाव सभी ‘संस्कृति’ के वह आभूषण है, जिन पर हमें गर्व है। प्रदेश में अन्य भाषाओं तमिल, तेलुगू आदि पढ़ने वाले विद्यार्थियों को प्रदेश में प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ‘मिशन कर्मयोगी’ के लिए राष्ट्रीय विशेषज्ञों को शामिल करते हुए कमेटी बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि ‘कर्मयोगी’ कार्य शाला का आयोजन अद्भुत है। कार्यक्रम का ‘भाव’ और ‘भावना’ अभूतपूर्व है। सौभाग्य की बात है कि 5 हजार वर्ष पूर्व ‘प्रदेश की धरती से शिक्षित कर्मयोगी’ के ‘कर्मवाद’ का पुनर्जागरण प्रदेश से ही हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर्मयोगी ऋषि परंपरा का अक्षरक्ष: प्रतिरूप हैं। प्रधानमंत्री के मनोभावों के आधार पर ‘सुशासन के दृष्टिगत’ होने वाले ‘सभी सुशासन के प्रयोगों’ को अंतिम कड़ी तक पहुँचाने का प्रयास ‘मिशन कर्मयोगी’ है। निष्काम भाव, अहंकार से मुक्त बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय के लिए निरंतर कार्य करना ही कर्मयोग है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की विशालता अद्भुत है, जो ‘अतिरंजित बातों’ को भी सुन लेती है। सही, अच्छी बातों को सद्भावना के साथ लेकर आगे चलती है। इसी लिए आज दुनिया भारतीय दर्शन से प्रेरणा प्राप्त कर रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारतीय संस्कृति का दायरा असीमित है, जिसमें ‘सारे ब्रह्मांड के कल्याण का चिंतन’ है। भारत के तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय जैसे ज्ञान के केंद्र सम्पूर्ण मानवता के लिए कार्य करते थे। भारत ने कभी दूसरे देशों पर आक्रमण नहीं किया।

कर्मयोग पर विचारों में डॉ. मोहन यादव की पूरी विचारधारा प्रतिबिंबित हो रही है। ‘राष्ट्र नीति’ के संकल्प पथ पर प्रतिबद्धता, ‘संस्कृति’, ‘मिशन कर्मयोगी’, ‘प्रदेश की धरती से शिक्षित कर्मयोगी’ के ‘कर्मवाद’ का पुनर्जागरण, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर्मयोगी ऋषि परंपरा का अक्षरक्ष: प्रतिरूप, ‘सुशासन के दृष्टिगत’ होने वाले ‘सभी सुशासन के प्रयोगों’ को अंतिम कड़ी तक पहुँचाने का प्रयास,निष्काम भाव, अहंकार से मुक्त बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय के लिए निरंतर कार्य,भारतीय दर्शन जैसे भाव मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की विचारधारा के मूल में हैं। ‘विरासत के साथ विकास’ इन भावों का निचोड़ है। तो ‘कृष्ण पाथेय’ तो मोहन के इन्हीं विचारों की झलक है। राम वनगमन पथ संस्कृति की सनातनता को समेटे है। गीता भवन निर्माण कार्य कर्मयोग को जन-जन तक पहुंचाने की सीढी हैं। और 365 दिन के बीच में राजधानी भोपाल में आयोजित “ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट-2025” यह प्रमाणित करने के लिए काफी है कि “मोदी-शाह” संग मोहन का विजन मध्यप्रदेश को विरासत के साथ विकास का नया अध्याय लिखने के लिए संकल्पित और प्रतिबद्ध है। तो मोदी का ‘ज्ञान’ यानि गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी तो मोहन की योजनाओं में समाई है। वहीं सबसे भव्य ‘सिंहस्थ’ का भाव मोहन की सोच की भव्यता को स्थापित कर रहा है। अब मध्यप्रदेश में चर्चा मोहन की सहजता, सरलता, विनम्रता और संवेदनशीलता की हो रही है। तो दो जन्मदिन के बीच के 365 दिन ने यह साबित कर दिया है कि ह्रदय प्रदेश में मोहन कर्मयोगी साबित हो गए हैं…अब उनके कदम स्थायित्व के साथ मंजिल की तरफ बढ़ते जा रहे हैं…।