

42% Reservation for Backward Classes in Telangana: कैबिनेट का ऐतिहासिक फैसला, पंचायत चुनावों में बढ़ेगा BC प्रतिनिधित्व
रुचि बागड़देव की रिपोर्ट
हैदराबाद: मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में तेलंगाना कैबिनेट ने स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़े वर्गों (BC) के लिए 42% आरक्षण को मंजूरी दे दी। यह फैसला मार्च में विधानसभा द्वारा शिक्षा, रोजगार और स्थानीय निकायों में BC को 42% आरक्षण देने के लिए विधेयक पारित किए जाने के बाद आया है। अब पंचायत राज अधिनियम-2018 में संशोधन कर इसे लागू किया जाएगा और जल्द ही अध्यादेश जारी किया जाएगा।
राज्य सरकार ने यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों, तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश (30 सितंबर तक चुनाव कराने की डेडलाइन) और राज्य में कराई गई जाति जनगणना के अनुभवजन्य आंकड़ों के आधार पर लिया है। ताजा सर्वे के अनुसार, BC की आबादी राज्य में 56% है, जिसे आधार बनाकर आरक्षण बढ़ाया गया है। पंचायत चुनावों में ग्राम पंचायत के सरपंच और एमपीटीसी के लिए मंडल स्तर, एमपीपी और जेडपीटीसी के लिए जिला स्तर, और जिला परिषद अध्यक्ष के लिए राज्य स्तर की इकाई तय की गई है।
इस फैसले के बाद BC को स्थानीय निकायों में 42%, अनुसूचित जातियों को 18% और अनुसूचित जनजातियों को 10% आरक्षण मिलेगा, जिससे कुल आरक्षण 70% पहुंच जाएगा—जो सुप्रीम कोर्ट की 50% सीमा से अधिक है। सरकार ने दलील दी है कि केंद्र द्वारा लागू EWS कोटा और तमिलनाडु जैसे राज्यों में 60% से ज्यादा आरक्षण पहले से लागू है, इसलिए तेलंगाना का फैसला कानूनी और सामाजिक रूप से उचित है।
राज्य सरकार ने एक समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया और जाति जनगणना कराई, जिसके आधार पर यह फैसला लिया गया। कांग्रेस पार्टी ने चुनावी वादे के तहत बीसी आरक्षण बढ़ाने का वादा किया था, जिसे अब पूरा किया गया है। सरकार का कहना है कि इन उपायों से स्थानीय शासन में पिछड़े वर्गों को न्यायोचित प्रतिनिधित्व और अवसर मिलेंगे।
तेलंगाना कैबिनेट के इस ऐतिहासिक फैसले को सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है, जिससे राज्य की राजनीति और स्थानीय प्रशासन में बीसी वर्ग की भागीदारी मजबूत होगी।