5 Ex CM’s Sons Are Also Candidates : पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे MP से चुनाव मैदान में!
Bhopal : अपनी पार्टी को वंशवाद से मुक्त करने का दावा करने वाले नेता खुद अपने बेटों को नेता बनाने और चुनाव लड़ाने का कोई मौका नहीं चूकते। इस चुनाव में भी कई नेताओं के बेटे, पत्नियां और रिश्तेदार चुनाव मैदान में हैं। सबसे बड़ी बात यह कि मध्य प्रदेश के पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे भी चुनाव लड़ रहे हैं।
ये हैं दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह, अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह, कैलाश जोशी के बेटे दीपक सिंह, गोविंद नारायण सिंह के बेटे ध्रुवनारायण सिंह और वीरेंद्र कुमार सकलेचा के बेटे ओमप्रकाश सकलेचा चुनाव मैदान में हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं कि प्रतिद्वंदी पार्टियों के बड़े नेता अपने बेटों को राजनीति में स्थापित करने की कोशिश में हैं। जबकि, दोनों ही पार्टियां ऐसा कोई मौका नहीं चूकती।
अजय सिंह (कांग्रेस)
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कहे जाने वाले और चुरहट सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार अजय सिंह के पिता अर्जुन सिंह मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री रहे थे। बाद में वे पंजाब के राजयपाल और केंद्र में मानव संसाधन विकास मंत्री भी बने। उनके बेटे अजय सिंह विंध्य क्षेत्र की चुरहट सीट से मैदान में हैं। अर्जुन सिंह छोटी सी रियासत चुरहट वंशज थे। उन्हें कांग्रेस की राजनीति में कुशल राजनीतिज्ञ माना जाता था। अजय सिंह पिता के मुख्यमंत्री बनने के बाद 1985 में राजनीति में शामिल हुए। उन्होंने अपने पिता की खाली चुरहट सीट से उपचुनाव में जीत हासिल की। 1991 में भी सीट बरकरार रखी, लेकिन 1993 में भाजपा के गोविंद प्रसाद से हार गए। 1998 में उन्होंने यह सीट दोबारा हासिल की और दिग्विजय सिंह के मंत्रिमंडल में मंत्री बने। उन्होंने 2003, 2008 और 2013 में फिर यह सीट जीती। लेकिन, 2018 में वह भाजपा के शरदेन्दु तिवारी ने उन्हें 6,402 वोट से हरा दिया। अब फिर दोनों प्रतिद्वंदी फिर मैदान में जोर आजमाइश कर रहे हैं।
ओमप्रकाश सकलेचा (भाजपा)
मध्यप्रदेश के 1978 से 1980 तक जनता पार्टी कार्यकाल में मुख्यमंत्री रहे वीरेंद्र कुमार सकलेचा के बेटे ओमप्रकाश सकलेचा भी नीमच जिले की जावद सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके पिता ने 1962 में विपक्ष के नेता (एलओपी) और गोविंद नारायण सिंह के अधीन उप मुख्यमंत्री के रूप में भी काम किया था। 2003 से ओमप्रकाश सकलेचा भाजपा के टिकट पर लगातार जीत रहे है। शिवराज मंत्रिमंडल में लघु और मध्यम उद्योग मंत्री हैं। लगातार चार बार जावद से जीतने का रिकॉर्ड ओमप्रकाश सकलेचा के नाम है।
जयवर्धन सिंह (कांग्रेस)
दिग्विजय सिंह गुना जिले की राघौगढ़ रियासत से जुड़े हैं। यह विधानसभा क्षेत्र उनके परिवार का गढ़ रहा है। उनके बेटे और कांग्रेस के मौजूदा विधायक जयवर्धन सिंह को पार्टी ने फिर चुनाव में उतारा है। उनका मुकाबला भाजपा के हिरेंद्र सिंह बंटी बना से है, जिन्हें 2013 के चुनाव में जयवर्धन सिंह ने 46,697 वोटों से हराया था। कमलनाथ की सरकार में जयवर्धन सिंह मंत्री रहे। उनके पास शहरी विकास और आवास विभाग थे। जयवर्धन ने 2018 में जीत का अंतर 64 हजार से ज्यादा रखा था। वे तीसरी बार चुनाव में हैं।
दीपक जोशी (कांग्रेस)
दीपक जोशी के पिता कैलाश जोशी 1977 से 1978 तक जनता पार्टी के मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। प्रदेश में भाजपा की जड़ें ज़माने में उनका योगदान रहा है। दीपक जोशी 2008 और 2013 में अपने गृहनगर हाटपिपलिया से जीत हासिल की। 2018 तक वे शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट में मंत्री भी रहे। लेकिन, 2018 में वे कांग्रेस उम्मीदवार मनोज चौधरी से हाटपिपल्या में 13,519 वोटों से हार गए थे। राजनीतिक उठापटक के दौर में मनोज चौधरी 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में चले गए। इसी साल दीपक जोशी भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। दीपक जोशी 2003 में भाजपा के टिकट पर देवास जिले की बागली विधानसभा सीट जीतकर राजनीति में आए थे।
ध्रुव नारायण सिंह (भाजपा)
गोविंद नारायण सिंह 1967 से 1969 के बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। उनके बेटे ध्रुवनारायण सिंह (64) भोपाल (मध्य) सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने 2008 में भी यही सीट जीती थी। लेकिन, भाजपा ने उन्हें 2013 में टिकट नहीं दिया। क्योंकि, उनका नाम आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद की हत्या मामले में सामने आया था। वहां से क्लीन चिट मिलने के बाद उन्हें पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। ध्रुवनारायण 2003 से 2007 तक भोपाल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रहे। इस बार उनका मुकाबला मौजूदा कांग्रेस उम्मीदवार आरिफ मसूद से है।