रिश्वतखोर रोजगार सहायक को 5 साल का कारावास,PM आवास दिलाने के बदले मांगी थी रिश्वत

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रिश्वतखोर रोजगार सहायक को 5 साल का कारावास,PM आवास दिलाने के बदले मांगी थी रिश्वत

राजेश चौरसिया की रिपोर्ट

छतरपुर: प्रधानमंत्री आवास योजना में कुटीर स्वीकृत कराने के एवज में रिश्वत लेने वाले रोजगार सहायक को विशेष न्यायाधीश की अदालत ने 5 साल की कैद एवं 10 हजार रूपए के जुर्माने की सजा सुनाई है।

एडवोकेट लखन राजपूत ने बताया कि 24 मई 2017 को फरियादी लखन कुशवाहा ने लोकायुक्त पुलिस सागर में इस बात की शिकायत दी कि उसके नाम पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कुटीर स्वीकृत की गई है एवं उसके खाते में पहली किश्त की राशि 40 हजार रूपए भी आ गई है।
रोजगार सहायक राममिलन चतुर्वेदी ग्राम पंचायत सूरजपुराखुर्द तहसील बड़ामलहरा फरियादी लखन कुशवाहा से कुटीर स्वीकृत कराने के एवज में 15 हजार रूपए रिश्वत की मांग कर रहा है। वह रोजगार सहायक को रिश्वत नहीं देना चाहता और उसे रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है। 24 मई को ही लखन कुशवाहा ने रोजगार सहायक की रिश्वत संबंधी बातचीत वॉयस रिकार्डर में रिकार्ड कर ली है।

●किश्तों में रिश्वत देने की बात हुई..

5 हजार रूपए वह पहले दे चुका है। लोकायुक्त पुलिस अपने ट्रेप दल के साथ फरियादी को लेकर रोजगार सहायक के बड़ामलहरा निवास के पास पहुंची। लखन कुशवाहा ने जैसे ही रोजगार सहायक को 5 हजार रूपए रिश्वत की राशि दी तब ट्रेप दल ने पीछे से आकर रोजगार सहायक को रंगे हाथों रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया।

अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक केके गौतम ने पैरवी करते हुए दलील रखी कि भ्रष्टाचार से व्यक्ति का नैतिक व चारित्रिक पतन होता है। भ्रष्टाचार से जनता की नजर में अधिकारियों की विश्वनीयता कम हो रही है। गरीब व्यक्तियों के जीवन जीने के प्राकृतिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। आरोपी को कठोर से कठोर सजा से दण्डित किया जाए। विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार जैन की अदालत ने फैसला सुनाया कि लोक सेवकों द्वारा भ्रष्टाचार किया जाना एक विकराल समस्या हो गई है जो समाज को खोखला कर रही है। भ्रष्टाचार लोकतंत्र और विधि के शासन की नींव को हिला रहा है।
अदालत ने आरोपी रोजगार सहायक राममिलन चतुर्वेदी को दोषी ठहराते हुए 5 साल की कठोर कैद के साथ 10 हजार रूपए के जुर्माने की सजा सुनाई है।