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मेरे मन/मेरी स्मृतियों में मेरे पिता
पिता को लेकर mediawala.in ने शुरू की हैं शृंखला-मेरे मन/मेरी स्मृतियों में मेरे पिता।इस श्रृंखला की 56 th किस्त में आज हम प्रस्तुत कर रहे है इंदौर की समाज सेविका /लेखिका प्रभा जैन को। प्रभा जैन कई सामजिक संस्थाओं से जुडी हुई है और अखिल भारतीय दिगम्बर जैन परिषद की वाइस प्रेसिडेंट हैं ,उनके पिताजी श्री कल्याणमलजी चौधरी,डेरी साइंस में रिसर्च ऑफिसर थे। प्रभाजी ने अपने पिता को नमन करते हुए बताया कि उन्होंने अपने पिता को णमोकार मंत्र बोलते हुए इस दुनिया से विदा किया। णमोकार मन्त्र जैन धर्म का सर्वाधिक महत्वपूर्ण मन्त्र है। इसे नवकार महामंत्र, नमस्कार मन्त्र या ‘पंच परमेष्ठि नमस्कार’ भी कहा जाता है। इस मन्त्र में अरिहन्तों, सिद्धों, आचार्यों, उपाध्यायों और साधुओं का नमस्कार किया गया है। पिता से बड़ा आचार्य कौन ?जन्मदाता को नमस्कार ही देव को नमस्कार है।इसी भाव के साथ प्रभा अपनी भावांजलि दे रही हैं –
56 . In Memory of My Father-Shri Kalyanmal Chowdhary: मेरे पापा ने मेरे कांधे पर आखरी सांस ली
मेरे जीवन की सच्चाई थोड़ी बड़ी और कठिन है। पापा को चेकअप करवाते जाते समय मेरे पापा ने मेरे कांधे पर आखरी सांस ली।अचानक बात करते करते खून की उल्टी करते हुए उनकी तबियत बिगड़ी और 10 मिनिट में सारा खेल खत्म।उनके आखरी समय में उन्हें णमोकार मंत्र बोलते हुए इस दुनिया से विदा किया। पिता दुनिया से तो चले गए पर मन से और स्मृतियों से कभी नहीं जाते। वे हैं नमस्कार मन्त्र या ‘पंच परमेष्ठि नमस्कार’ भी कहा जाता है। इस मन्त्र में अरिहन्तों, सिद्धों, आचार्यों, उपाध्यायों और साधुओं का नमस्कार किया गया है। पिता भी तो आचार्य और उपाध्याय ही होते है उन्हें ही इस मन्त्र से भावांजलि दे रही हूँ।
पूज्यनीय पापा की हर कदम पर दी गई प्यार भरी डांट आज क्या ! मरते दम तक याद रहेगी, क्योंकि माँ, पापा, दादी की मैं लाड़ली को ,उनकी दुनिया मे प्रथम बच्चे के रूप में जन्म दे पाल पोस कर, हरदम मेहनत के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहे।जीवन मे हमेशा हर क्षेत्र में चांद सितारे की महिमा गाते हुए ,हर क्षेत्र में अव्वल रह कर हर बाजी जितना है।लकड़ी की काठी का घोड़ा पहले जन्मदिन पर लाए और घोड़े सी तेज दौड़ से जीत की सीख देते।पिक्चर जाते या बागीचा य्या सर्कस हमेशा उनका लेक्चर चलता। देखो स्टेज परफॉर्मन्स नृत्य का देखो, कितनी अच्छी कसरत होती है अनुशासन के साथ।और भर्ती कर दिया डांस क्लास में।एन.सी.सी. स्कॉउट तो बचपन से ही, निशानेबाजी में जब नम्बर आता तो बहुत शाबासी देते। कैम्पिंग करना ही चाहिए तुम्हें। कम साधनों में ऊंचाई तक जाने का पाठ पढ़ाते। सचमुच पापा ने शुरुआत की छोटी सी नॉकरी में ईमानदारी और शिद्दत से कार्य करते हुए बड़ी रिसर्च ऑफिसर डेरी साइंस की पोस्ट को हासिल किया।
उनकी बड़ी बेटी एवं पहली संतान होने की वजह से लाड़ प्यार और स्ट्रिक्ट रहकर जीवन मे आगे बढ़ाया। उनकी आँखें दिखाने पर ,स्नेहिल भाव के साथ हर काम करने का लक्ष्य बना देते। मानवता की घुट्टी पीलाते हुए हरदम मदद करने को तत्त्पर रहते ।एक बार भारी बारिश में छोटी बहन की स्कूल बस कॉलोनी में नही आई, और आधा किलोमीटर दूर खड़ी थी। बीच मे तालाब सा भर जाता प्लॉट्स में। पापा ने कहा ,तुम ही टुन्नी को छोड़ कर आओगी बस पर। गुस्सा भी आ रहा था, डर से रुलाई भी।मेंढकों की टर टर। बहना पर झुंझलाहट करते हुए छोड़ा। किन्तु वापसी में तो बाप रे खूब डर लगा।किन्तु जीवन भर क़े डर को भगा दिया ।सचमुच हर काम करने पर मजबूरी ,एक अच्छी ट्रेनिंग दे गई। पतंग बाजी में गुज़रात का त्योहार सक्रांति खूब मनाते। लूटी गई पतंग उड़ाने में मुझे आनंद आता। मेरी पतंग लूटते लूटते एक कुत्ते ने मंजे का बॉल मुंह मे ले लिया,मैं खूब दहाड़े मार मार कर रोती हुई चिल्ला रही थी। आवाज सुनते ही हताश होते हुए बोले,,,आज तो पप्पी छत से गिर गई पतंग उड़ाने में। और बागीचे में उन्होंने दौड़ लगाई, मुझे ढूँढते हुए। जैसे ही मुझे उन्होंने पतंग खेलते लूटते देखा जोर से मुझे भींच लिया, हमारी शैतानियों पर गुस्सा तो ऐसा आता उन्हें ,,किन्तु उस दिन बाहों में भींच लिया। तुम मेरा बेटा हो बेटी नहीं ये शब्द उनके आज भी आशीर्वाद के रूप में मुझे हर क्षेत्र में अग्रिम करते हैं।पापा आपकीं आत्मिक शक्ति की जड़ी बूटी मेरे रग रग में बसी रहेगी सदैव।मेरा सादर नमन प्रणाम।
57. In Memory of My Father- जानी वॉकर इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज में मेरे पिता के साथ पढ़ते थे!
श्रीमती प्रभा जैन
जन्मतिथि-29 जनवरी
शिक्षा-Bhsc, B. A, हिदी साहित्य विषय
प्रकाशित कृतियां-क्षेत्रीय भाषा निमाड़ी साँजा संकलन में रचना प्रस्तुति,5 हिंदी साँजा संकलन में रचना प्रस्तुति,स्वयं की 1 बाल पुस्तक प्रकाशित,गुल्लक
संस्थागत पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित,
पुरस्कार- कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित ,अथाई कोर कमिटी सदस्य,लायंस इंटरनेशनल,अखिल भारतीय दिगम्बर जैन महिला परिषद में सेवाओं हेतु 500 से अधिक सम्मान.मल्टिपल स्टेट प्रेसिडेंट 2016 ,अखिल भारतीय दिगम्बर जैन परिषद वाइस प्रेसिडेंट।आल इंडिया लिनेस मेम्बर,केंद्रीय महिला परिषद की महामंत्री।
पता-118, स्कीम न.74/BG विजयनगर,इंदौर(M.P.)
मोबाइल नं.-8989504551
ई-मेल- lns.prabhaj@gmail.com
63. In Memory of My Father-shri Rajaram Verma : मेरे पिता विद्यादान को सबसे बड़ा दान कहते थे