

सार्वजनिक बसों के संचालन में घाटा, अपराध और दुर्घटनाओं को रोकेंगे 6 विशेष कैमरे
भोपाल: मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा के संचालन में होंने वाली सभी खामियों को रोकने के विशेष इंतजाम परिवहन विभाग द्वारा किए जा रहे है। तीसरी आंख (छह विशेष कैमरों)की मदद से इस पूरी कवायद कों अंजाम दिया जाएगा।
सार्वजनिक परिवहन बसों में घाटे का सबसे बड़ा कारण बस में बैठने वाले सभी यात्रियों से प्राप्त किराए का बस आॅपरेटरों तक नहीं पहुंचना है अक्सर बस के कंडक्टर और ड्राइवर मिलकर बीच में जम कर सवारियां बिठाते है कभी उन्हें टिकिट नहीं देते तो कभी नकली टिकिट कट्टों से राजस्व का घाटा पहुंचाते है। इसे रोकने के लिए अब बस के प्रवेश और निकासी द्वार पर दो कैमरे लगाए जाएंगे। एक कैमरा अंदर भी लगेगा। इन तीन कैमरों को कंट्रोल रुप से जोड़ा जाएगा। अंदर आने वाले यात्रियों और बाहर निकलने वाले यात्रियों की गणना करने का इंतजाम इन कैमरों से किया जाएगा। यात्री गणना के अलावा टिकिट से कितनी राशि मिली यह भी आॅनलाईन देखा जा सकेगा। अंदर हो कैमरा लगा होगा वह बस के अंदर होंने वाले असामाजिक तत्वों, आपराधिक घटनाओं की तत्काल रिपोर्टिंग करने में मददगार होंगे।
अक्सर दुघर्टना का कारण बस ड्राइवर के द्वारा नियमों का उल्लंघन करना, बस चलाते समय मोबाइल पर बात करना और नशे का सेवन करना या उसकी थकावट के कारण झपकी लगना, अनियंत्रित तेज गति से वाहन चलाना होता है। वाहन चलाते समय बातचीत मेंं संलग्न रहने या अन्य कार्य भी करने से दुर्घटनाएं होती है। एक कैमरा ड्राइवर की हर गतिविधि को आॅनलाईन दिखाएगा और रिकार्ड भी करेगा।
इसी तरह बस के आगे और पीछे की ओर लगे कैमरे से बस की ओवर स्पीड, ओवरटेकिंग, पीछे आ रहे वाहनों की गल्तियों को आॅनलाईन देखा जा सकेगा और इसकी रिकार्डिंग भी होगी जिससे इन पर नियंत्रण हो सकेगा। वाहन बीच में कहां-कहां रुका, मार्ग पर चला या नहीं इसपर भी इन कैमरों से मानीटरिंग की जा सकेगी।
यदि बस के ड्राइवर ने नियमों का उल्लंघन किया है तो आॅपरेटर को तत्काल मेल चला जाएगा। उसमें उल्लंघन का समय, प्रकार भी रिकार्डिग के साथ मिल जाएगा।
प्राइम रुट के साथ गांवों में भी जाएंगी बसें-
मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा के तहत जो परमिट जारी होंगे उनमें प्राइम रुट के साथ आसपास की ग्राम पंचायतोें में भी वाहनों का संचालन करना होगा। यदि भोपाल से इंदौर के लिए बस का संचालन करना है तो परमिट में बीच में मार्ग से डायवर्ट कर कुछ पंचायतों में या फिर इंदौर और भोपाल के आगे के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल कर परमिट जारी होंगे और अनुबंध के आधार पर ये बसें चलेंगी। रुट पर रोजाना बसों का संचालन न होंने की शिकायतों पर भी निजी बस मालिक का अनुबंध खत्म हो जाएगा। बसों को कुल मार्ग का पंद्रह प्रतिशत तक ग्रामीण क्षेत्र में संचालन करना होगा।
हर जिलें में बनेंगे बस स्टाप,बड़े शहरों में दो स्टाप-
प्रदेश के सभी जिलों में इन बसों के लिए स्टाप बनाए जाएंगे। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर जबलपुर जैसे बड़े शहरों में एक से अधिक बस स्टाप बनेंगे मौजूदा स्टापों का कायाकल्प कर सर्वसुविधायुक्त स्टाप बनाए जाएंगे। यहां यात्रियों को सभी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।