600 Hajis Died : मक्का में भीषण गर्मी से 600 से ज्यादा हज यात्रियों की मौत, इनमें 90 भारतीय!
Makka (Saudi Arab) : यहां गर्मी ने कहर ढा रखा हैं। इससे करीब 600 से ज्यादा हज यात्रियों की मौत हो गई। इनमें 90 भारतीय हाजी भी शामिल हैं। मरने वाले हज यात्रियों में सबसे ज्यादा मिस्र के नागरिक हैं। हज से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक, एक को छोड़कर सभी मौत गर्मी के कारण हुई। मक्का के सबसे बड़े मुर्दाघरों में से एक अल-मुआइसम में कल तक 550 से ज्यादा शव पहुंचे।
यहां भीषण गर्मी से कई जायरीन के हालात खराब है, भीषण गर्मी के कारण हुई बीमारियों से 2700 से ज्यादा तीर्थयात्री बीमार हैं। इसकी जानकारी खुद सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी है। इस साल भारत से करीब 1,75,000 यात्री हज के लिए सऊदी अरब गए थे। इतनी बड़ी तादाद में हज यात्रियों की मौत की खबर के बाद भारत से हज के लिए गए तीर्थयात्रियों के परिवारों की चिंता बढ़ गई है। बुधवार को यात्रा से जुड़े एक सूत्र के अनुसार मरने वाले लोगों में 90 भारतीय की संख्या हैं।
ये मौतें पिछले एक हफ्ते के दौरान हुई हैं और हज के आखिरी दिन 6 भारतीय की मौत हुई। कई मौतें प्राकृतिक कारणों और बुजुर्गों की हुई है। जबकि, कुछ मौतों की वजह भीषण गर्मी है। भारतीय नागरिकों की मौत पर अभी तक भारत सरकार की और से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया।पिछले साल विभिन्न देशों ने कम से कम 240 तीर्थयात्रियों की मौत की सूचना थी, जिनमें से अधिकांश इंडोनेशियाई थे। इस बार अब तक 136 इंडोनेशियाई हज यात्रियों की मौत की जानकारी मिली। खबरों के मुताबिक मारे गए हज यात्रियों के शव वापस देश नहीं भेजे जाएंगे। उनका दफिना सऊदी अरब में ही किया जाएगा।
गर्मी से इतनी ज्यादा मौत क्यों
ओमान, सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों में गर्मी के साथ साथ बारिश भी जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ती जा रही है. सऊदी अरब का तापमान आमतौर पर 45 डिग्री के दरमियान ही रहता है लेकिन इस साल ये तापमान 50.8 डिग्री के पार पहुंच गया है. प्राप्त खबर के मुताबिक मक्का की ग्रैंड मस्जिद में इस साल तापमान 51 डिग्री तक पहुंच गया है. जिस क्षेत्र में हज यात्री अनुष्ठान करते हैं, वहां का तापमान हर दशक में 0.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ रहा है.
सऊदी अरब का एक नियम यह है कि मुस्लिम देशों की हर एक हजार आबादी पर एक व्यक्ति हज यात्रा पर जा सकता है। दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी इंडोनेशिया में है, इसलिए वहां के सबसे ज्यादा यात्री हज पर जाते हैं। ऐसे ही मिस्र और जॉर्डन से भी अधिक यात्री हज पर पहुंचते हैं। ऐसे में मक्का में होने वाली घटनाओं-दुर्घटनाओं की चपेट में भी यही लोग ज्यादा आते हैं।
तापमान का ज्यादा असर मिस्र, जॉर्डन और इंडोनेशिया के लोगों पर ज्यादा पड़ा। क्योंकि वहां के लोग इतनी गर्मी झेलने के आदी नहीं होते। जॉर्डन घाटी में गर्मियों में अधिकतम पारा 38-39 डिग्री सेल्सियस तक ही जाता है। देश के रेगिस्तानी इलाकों में अधिकतम तापमान 26-29 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहता है।
मिस्र के तटीय क्षेत्रों में तो सर्दियों में औसत तापमान न्यूनतम 14 डिग्री सेल्सियस और गर्मियों में अधिकतम औसत तापमान 30 डिग्री सेल्सियस रहता है। वहीं, इंडोनेशिया में पूरे साल औसत तापमान 27-28 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहता है। शुष्क गर्मी पड़ने पर भी यह 33-34 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं रहता। जो लोग अधिकतम 34-35 डिग्री सेल्सियस में स्थायी निवास करते हैं, और अचानक उन्हें 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान में रहना पड़े तो वे बेचैन हो जाते हैं।
हालांकि सऊदी अरब की सरकार ने सभी जायरीन को छाते का इस्तेमाल करने और हमेशा पानी पीते रहने की सलाह के बावजूद हालात बिगड़ गए। आने वाले सालों में इस तरह जलवायु परिवर्तन से आबोहवा रहने के चलते कुछ एक्सपर्ट कर रहे हैं कि कम से कम बुजुर्गों के लिए आने वाले वर्षों में हज करना बहुत मुश्किल हो सकता हैं।
बिना पंजीकरण वाले जायरीन को सुविधाएं नहीं
भीषण गर्मी से जायरीनों की मौत की की बड़ी एक वजह यह भी है कि हज की आधिकारिक प्रक्रियाओं में बहुत पैसा लगता है. इससे बचने के लिए बड़ी संख्या में यात्री बिना पंजीकरण कराए ही मक्का पहुंच जाते हैं। पंजीकरण न होने के कारण इन यात्रियों को सऊदी अरब सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता। वहीं, पंजीकरण वाले यात्रियों को वातानुकूलित स्थान पर रहने आदि की सुविधा मिलती है। बिना पंजीकरण वाले जायरीनों के कारण मक्का के शिविरों में हालात बिगड़ गए। इसके कारण कई सेवाएं तो पूरी तरह से ठप हो गईं। कई लोगों खाना-पानी तक नहीं मिल पाता। कई को एयर कंडीशनर की सुविधा भी नहीं मिल पाई। इस कारण गर्मी की चपेट में आने से अनेक जायरीन की मौत हो गई।