Skeleton Revealed the Secret : 7,100 साल पुराने महिला के कंकाल ने रहस्यमयी सच का राज खोला 

यह कंकाल चीन के शिंगयी पुरातात्विक स्थल पर मिला, शेंगयी ईएन का जीन तिब्बतियों और घोस्ट वंश से जुड़ा! 

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Skeleton Revealed the Secret : 7,100 साल पुराने महिला के कंकाल ने रहस्यमयी सच का राज खोला 

Shengyi (China) : आज जितनी भी मानव प्रजातियां हैं, उन सभी में एक दूसरे के जीन्स मिले हैं। फिर भी कुछ मानव समूह ऐसे हैं जिनके पूर्वजों के कंकाल वैज्ञानिकों को कभी नहीं मिले। इसी वजह से उनका अध्ययन नहीं किया जा सका। ऐसे मानव समूहों को वे ‘घोस्ट वंश’ कहते हैं। हाल ही में पुरातत्वविदों ने एक प्राचीन महिला के अवशेष खोजे, जो तिब्बतियों की ऐसी ही एक रहस्यमयी वंशावली की जानकारी दे रहे हैं। इस खोज ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया।

यह खोज चीन के शिंगयी पुरातात्विक स्थल पर हुई। अवशेष नवपाषाण काल (7000 से 2000 ईसा पूर्व) के हैं। इस महिला को शिंगयी ईएन नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों ने प्राचीन चीन में आनुवंशिक विविधता का अध्ययन करने के लिए कई कंकालों की जांच की. इस दौरान शिंगयी ईएन के जीन ने एक अनजान मानव समूह का सुराग दिया। शेंगयी ईएन के जीन तिब्बतियों और एक रहस्यमयी ‘घोस्ट वंश’ के बीच की कड़ी साबित हुए. इससे यह खोज चर्चित हो गई।

इससे एक बड़ी उम्मीद जागी 

तिब्बती पठार के निवासियों की पैदाइश कैसे हुई, यह लंबे समय से एक रहस्य रहा है। पहले के अध्ययनों से पता चला था कि तिब्बतियों में उत्तरी पूर्वी एशियाई वंश के साथ एक अनोखा ‘घोस्ट वंश’ भी है। यह ‘घोस्ट वंश’ वैज्ञानिकों के लिए पहेली बना हुआ था. शिंगवी ईएन की खोज ने इस पहेली को सुलझाने में मदद की बड़ी उम्मीद जगाई।

जिनोम से हुए खुलासे

वैज्ञानिकों ने शिंगयी ईएन के आहार का आइसोटोप विश्लेषण किया, जिससे पता चला कि वह शिकारी संग्रहकर्ता थी। उसका जीनोम पूर्व और दक्षिण एशियाई लोगों से बहुत अलग था। वह करीब 7,100 साल पहले जिंदा थी और उसका वंश एक बहुत ही ज्यादा अलग एशियाई समूह से जुड़ा था। इस समूह का डीएनए आज के तिब्बतियों में मौजूद घोस्ट वंश से मिलता है।

 

एक बिल्कुल ही अलग वंश

‘घोस्ट वंश’ ऐसा मानव समूह माना जाता है जिसके कंकाल नहीं मिले, लेकिन डीएनए विश्लेषण से उनकी मौजूदगी का पता चलता है। शिंगवी ईएन का वंश निएंडरथल या डेनिसोवन से मेल नहीं खाता। ये दोनों प्राचीन मानव समूह हैं, जिनका डीएनए कुछ हद तक आधुनिक मनुष्यों में मिलता है। वैज्ञानिकों ने इस नए वंश को बेसल एशियन शिंगयी वंश नाम दिया है।

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खास क्यों है ये वंश

यह वंश हजारों साल तक अन्य मानव समूहों से अलग रहा। इस दौरान कोई मिश्रण नहीं हुआ। अध्ययन के सह-लेखक किया ओमेई फू ने कहा कि संभवत शेंगयी ईएन जैसे और लोग थे, लेकिन उनके नमूने अभी नहीं मिले। अध्ययन में कहा गया है कि इस क्षेत्र में रहने वाले प्राचीन लोग पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया की प्रागैतिहासिक आबादी के सवालों को हल करने की कुंजी हो सकते हैं। शिंगवी ईएन का मिश्रित वंश लंबे समय तक रहा. इसने आज के कुछ तिब्बतियों के जीन में योगदान दिया।

यह खोज प्राचीन मानव इतिहास को समझने में एक बड़ा कदम है। हालांकि वैज्ञानिकों ने सावधानी बरतने की सलाह दी है कि यह अध्ययन केवल एक व्यक्ति के आनुवंशिक साक्ष्य पर आधारित है। शिंगवी ईएन और तिब्बती घोस्ट वंश के बीच संबंध को बेहतर समझने के लिए और शोध की जरूरत है। यह खोज साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुई है।