8 मार्च महिला दिवस विशेष:प्रतिभा की पर्याय है  -डॉ. श्रुति बटवाल

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8 मार्च महिला दिवस विशेष:प्रतिभा की पर्याय है  -डॉ. श्रुति बटवाल

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( ब्रजेश जोशी , मंदसौर )

 

मीडियावाला न्यूज़

 

बहुआयामी प्रतिभा की धनी मन्दसौर की यशस्वी

डॉ. श्रुति बटवाल ने एक शैक्षिक प्रशासक ,एक

गहन अध्येता ,एक शोधकर्ता और एक सफल गृहिणी के रुप में सफलता के जो उच्च मानदण्ड

कायम किये हैं वो गौरव का विषय तो है ही साथ ही उससे यह भी साबित होता है कि यदि आप दृढ़ संकल्प और असीम इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ें

तो कुछ भी असम्भव और अलभ्य नहीं है । अपनी सक्रियता और कर्मठता से आगे बढ़ते हुए महिला सशक्तिकरण का श्रेष्ठ उदाहरण बन गई है ।

 

लाइफ साइन्स में पीएचडी ,

एक लोकोपयोगी कदम

 

उल्लेखनीय उपलब्धियों की अपनी अनंत यात्रा में श्रुति ने पिछले दिनों एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की जब इस अँचल के लब्धप्रतिष्ठित मन्दसौर विश्वविद्यालय ने उन्हें लाईफ साइन्स संकाय में उनके विशिष्ट शोधकार्य के लिये डॉक्टर ऑफ

फिलासफी (पीएचडी ) की उपाधि प्रदान की ।

डॉ श्रुति बटवाल ने मन्दसौर विश्वविद्यालय के गाइड एवम् डीन ऑफ़ लाइफ़ साइन्स तथा विश्वविद्यालय के डीन ऑफ़ एकेडमिक अफेयर्स प्रोफेसर

( डॉक्टर ) श्री अरुणवा दास के निर्देशन में यह थीसिस पूर्ण की ।

 

मन्दसौर विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग में अध्ययरत

डॉ श्रुति बटवाल ने ” मॉलिक्युलर कैरेक्टराइजेशन ऑफ़ कैंडिडेट्स , लिबेरिबेक्टर एसीएयाटिक्स फ्रॉम मालवा रीजन ऑफ़ मध्यप्रदेश एण्ड इन सिलिको ड्रग डिजाइनिंग अगेंस्ट इट्स वाइटल प्रोटीन्स ” विषय में गहन शोध करते हुए यह पी एच डी प्राप्त की है ।

डॉ.श्रुति बटवाल ने मन्दसौर विश्वविद्यालय के प्रबन्धन एवम् गाइड तथा स्टाफ़ व परिवार के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि लाइफ़ साइंस में किये उनके शोध कार्य का लाभ विज्ञान , कृषि एवं समाज के लिए लोकोपकारी सिद्ध होगा । वे अपने इस शोधकार्य की लोकोपयोगिता के प्रति सन्नद्ध भी हैं ओर उनका शोध मालवा अंचल के कृषि विज्ञान में कैसे उपयोगी हो सकता है इस पर भी केंद्रित अवदान करने आतुर हैं ।

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श्रुति की उपलब्धियों का आधार

उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि है

 

श्रुति की शैक्षिक पृष्ठभूमि अत्यंत पुष्ट रही है और यही उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों का आधार भी रही है । राजस्थान के भीलवाड़ा के शिक्षाविद् श्री शिवदयाल पारीक, श्रीमती सुनीता भँवरलाल पारीक ( रूपायली ) परिवार में जन्मीं श्रुति ने जयपुर में ही आरम्भिक शिक्षा और उच्च शिक्षा प्राप्त की। हायरसेकंडरी , बीएससी और एमएससी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया और आपने जयपुर विश्वविद्यालय तथा ज्योति विद्यापीठ वुमन्स यूनिवर्सिटी में विभिन्न विषयों में अध्यापन का काम भी किया ।

डॉ श्रुति कंप्यूटर में पारंगत हैं और राष्ट्रीय स्तर की कार्यशालाओं में कोयंबटूर , कानपुर , जयपुर आदि में प्रतिभागी रही । इंटरनेशनल लेवल के साइंस जनरल्स में आपके शोधपत्रों का प्रकाशन हुआ है ।

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डॉ श्रुति सामाजिक और सांस्कृतिक सरोकारों से भी जुड़ी रहकर कार्य कर रही हैं , अच्छी वक्ता , कुशल मंच संचालक होने के साथ कविता भी लिखती हैं । कई पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हुई हैं ।

आप फॉनिक्स , स्टेम के साथ नृत्य में भी दक्षता रखती हैं ।

विवाह के बाद आपने शिक्षा क्रम जारी रखते हुए बीएड किया और मन्दसौर में मन्दसौर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी, मन्दसौर इंटरनेशनल स्कूल और करणी इन्टरनेशनल स्कूल सहित अनेक प्रमुख शिक्षण संस्थाओं में अध्यापन का कार्य भी किया । विवाह के बाद भी श्रुति ने शिक्षण और अध्ययन के प्रति संकल्पबद्ध रहीं । बायो इंफेर्मेटिक्स में स्नातकोत्तर एवं बी .एड. उपाधि प्राप्त डॉ श्रुति बटवाल मन्दसौर के प्रमुख प्ले स्कूल विबोध की फाउण्डर प्रिंसिपल हैं और वरिष्ठ पत्रकार ,समाजसेवी एवं जनपरिषद मन्दसौर चैप्टर अध्यक्ष डॉ घनश्याम बटवाल की पुत्रवधू हैं ।

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डॉ श्रुति में आरंभ से ही प्रतिभा रही बेस्ट स्टूडेंट अवॉर्ड , बेस्ट टीचर अवॉर्ड और नेशनल सेमिनार में बेस्ट रिसर्च पेपर अवॉर्ड भी मिल चुके हैं ।

मंदसौर का ” विबोध ” प्रचलित और पारम्परिक ढाँचे पर बनाया गया प्ले स्कूल है मगर डॉ श्रुति के शैक्षिक नवाचार ओर मॉड्यूलर कॅरिकुलम से उसे एक सम्पूर्ण और आदर्श प्ले स्कूल का दर्जा प्रदान कर‌ दिया है विबोध प्ले स्कूल की संस्थापिका डॉ श्रुति शिक्षा को ज्ञान से कहीं आगे संस्कारों की संवाहक मानती है । उनका मानना है कि प्ले स्कूल में खेल-खेल में शिक्षा के साथ यदि हमने शिशुओं को संस्कार का शिक्षण नहीं दिया तो वो शिक्षा औपचारिक रह जायेगी ।

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डॉ श्रुति बटवाल का मानना है कि छोटे नन्हे मुन्नों के भविष्य और जीवन आधार मजबूती के लिये प्ले स्कूली कालखंड में संस्कारों के साथ नैतिक अनुशासन , कार्य व्यवहार बुनियादी रूप से आवश्यक है और यही फ़ोकस रखते हुए कार्य कर रही हूं ।

 

 

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