93 प्रतिशत जिले रोजगार लक्ष्य से दूर: विधायक डॉ हीरालाल अलावा ने सरकार से मांगा जवाब

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93 प्रतिशत जिले रोजगार लक्ष्य से दूर: विधायक डॉ हीरालाल अलावा ने सरकार से मांगा जवाब

▪️राजेश जयंत▪️

INDORE : मध्य प्रदेश में रोजगार को लेकर सरकार के दावों और जमीनी हकीकत के बीच बढ़ते फासले को लेकर मनावर विधायक डॉ हीरालाल अलावा ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार मंचों से रोजगार को युवाओं का भविष्य बताती है, लेकिन अप्रैल से अक्टूबर 2025 तक के आधिकारिक आंकड़े यह दिखाते हैं कि यह भविष्य फाइलों में ही अटका हुआ है। डॉ अलावा के अनुसार राज्य के 55 में से 51 जिले, यानी लगभग 93 प्रतिशत जिले, रोजगार और स्वरोजगार के तय लक्ष्यों से पीछे चल रहे हैं। यह स्थिति केवल योजनाओं की कमजोरी नहीं, बल्कि सीधे तौर पर क्रियान्वयन की विफलता को उजागर करती है।

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▪️जिलों की स्थिति ने खोली पोल

▫️डॉ हीरालाल अलावा ने बताया कि सरकारी समीक्षा आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के अधिकांश जिलों में रोजगार सृजन का प्रदर्शन बेहद कमजोर है। हैरानी की बात यह है कि इंदौर और भोपाल जैसे बड़े महानगर, जहां उद्योग, व्यापार और सेवाक्षेत्र के अधिक अवसर माने जाते हैं, वहां भी 60 से 83 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। यह स्थिति बताती है कि समस्या केवल ग्रामीण या पिछड़े क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि शहरी युवाओं को भी पर्याप्त रोजगार नहीं मिल पा रहा है।

▪️आदिवासी जिलों में हालात और गंभीर

▫️विधायक डॉ अलावा ने विशेष रूप से आदिवासी बहुल जिलों का उल्लेख करते हुए कहा कि डिंडोरी, अलीराजपुर और झाबुआ जैसे जिलों में 90 प्रतिशत से अधिक रोजगार लक्ष्य अधूरे पड़े हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब इन क्षेत्रों में हालात इतने खराब हैं, तो आखिर समीक्षा बैठकों में सब कुछ संतोषजनक कैसे बताया जा रहा है। डॉ अलावा के अनुसार यह स्थिति सामाजिक और क्षेत्रीय असमानता को और गहरा कर रही है, जिससे आदिवासी युवाओं को मजबूरी में पलायन करना पड़ रहा है।

▪️स्वरोजगार और स्टार्टअप के दावे, जमीन पर अड़चन

▫️सरकार स्टार्टअप, स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता के बड़े-बड़े नारे देती है, लेकिन डॉ हीरालाल अलावा का कहना है कि युवाओं को बैंक ऋण तक आसानी से नहीं मिल पा रहा। स्वरोजगार योजनाएं कागजों में मौजूद हैं, पर व्यवहार में अधिकांश युवा पूंजी, मार्गदर्शन और बाजार के अभाव में आगे नहीं बढ़ पा रहे। यही कारण है कि रोजगार के नाम पर घोषित लक्ष्य पूरे नहीं हो रहे।

▪️चार जिलों की सफलता पर जश्न, बाकी 51 जिलों का क्या

▫️डॉ अलावा ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यदि चार जिले किसी तरह लक्ष्य पूरा कर लेते हैं, तो सरकार अपनी पीठ थपथपा लेती है, लेकिन बाकी 51 जिलों के बेरोजगार युवाओं की जिम्मेदारी कौन लेगा। उनका कहना है कि रोजगार नीति का मूल्यांकन कुछ चुनिंदा आंकड़ों से नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की स्थिति से होना चाहिए।

▪️युवाओं का भविष्य और सरकार की जिम्मेदारी

▫️डॉ हीरालाल अलावा के अनुसार राज्य के लाखों युवा रोजगार की तलाश में पंजीकृत हैं, जिनमें शिक्षित और प्रशिक्षित युवा भी शामिल हैं। इसके बावजूद नौकरी और स्वरोजगार के अवसर सीमित हैं। उन्होंने कहा कि नारेबाजी से नहीं, ठोस नीति और प्रभावी क्रियान्वयन से ही रोजगार पैदा होंगे। सरकार को चाहिए कि वह जिलावार वास्तविक स्थिति सार्वजनिक करे और जवाबदेही तय करे।

▪️और अंत में ••••••

▫️डॉ हीरालाल अलावा के वक्तव्यों और उपलब्ध आंकड़ों से साफ है कि मध्य प्रदेश में रोजगार को लेकर सरकार के दावे और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर है। नारे बहुत हैं, लेकिन नौकरियां नहीं, और यही स्थिति धीरे-धीरे प्रदेश के युवाओं के भविष्य पर सवाल खड़े कर रही है।