नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले को 20 वर्ष की कड़ी सजा

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सिंहस्थ-2004

नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले को 20 वर्ष की कड़ी सजा

रतलाम/जावरा : नाबालिग बालिका को बहला फुसलाकर कर घर से ले जाकरउसकी मर्जी के विरुद्ध दुष्कर्म करने के मामले में आरोपी को न्यायाधीश श्रीमती उषा तिवारी विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट जावरा द्वारा राहुल पिता लालू कीर,निवासी तहसील जावरा जिला रतलाम को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 3/4 (2) में 20 वर्ष सश्रम कारावास व 5 हजार रूपए अर्थ दण्ड एवं धारा 366 भादवि में 07 वर्ष सश्रम कारावास व 1 हजार रुपए अर्थ दंड की सजा सुनाई।

दुष्कर्म प्रकरण के बारे में मामले की जानकारी देते हुए 

सहा.अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी भूपेन्द्र कुमार सांगते ने बताया कि 16.दिस.2019 को थाना औद्योगिक क्षेत्र जावरा में 15 वर्षीय अवयस्क बालिका के पिता ने थाने पर पहुंचकर बताया कि 15.दिस.2019 की दोपहर में,मैं अपने खेत पर चला गया था,खेत से शाम को घर आया तो पता चला कि मेरी बालिका घर पर नही हैं,जिसकी तलाश गांव में तथा रिश्तेदारों में की गई पर उसका कोई पता नहीं चला।

मुझे शंका हें कि राहुल उसकी नाबालिक बालिका को बहला -फुसला कर भगाकर ले गया हैं।फरीयादी द्वारा बताई गई घटना पर राहुल के विरूद्ध थाना औद्योगिक क्षेत्र जावरा पर अपराध पंजीबद्ध कर अनुसंधान में लिया गया।

अनुसंधान के दौरान 29. दिसम्बर.2021 को जोधपुर राजस्थान से आरोपी राहुल के कब्जे से बालिका को बरामद कर पुलिस द्वारा उससे पुछताछ करने पर उसने बताया कि पूर्व परिचित राहुल घटना 15.दिसम्बर.2019 को शादी करने का कहकर मोटर साइकल पर बिठाकर मंदसौर ले गया।

मंदसौर में आरोपी ने मोटरसाइकल किसी पहचान वाले के यहां रखी और फिर उसे बस से जोधपुर ले गया और वहां पर 13 दिनों तक उसे फुटपाथ पर झौपडी बना कर रखा,इस दौरान राहुल ने कई बार इच्छा के विरुद्ध शारीरिक सम्बंध बनाए।

बालिका के बयान के आधार पर दुष्कर्म की धाराओं का इजाफा कर आरोपी राहुल को गिरफ्तार किया गया एवं नाबालिग बालिका का मेडिकल कराया गया।

एवं नाबालिग की अवयस्कता के सम्बंध में उसके स्कूल से दस्तावेज प्राप्त कर आवश्यक अनुसंधान करने के बाद आरोपी के विरुद्ध अभियोग पत्र 17.मार्च.2020 को विशेष न्यायालय में धारा 363, 366-क, 376 भारतीय दण्ड संहिता 1860 एवं धारा 5 (प) /6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम,2012 के अंतर्गत प्रस्तुत किया।

प्रकरण में न्यायालय में अभियोजन द्वारा कुल 14 साक्षियों की साक्ष्य को अपने समर्थन में परीक्षित कराया गया एवं घटना को प्रमाणित कराने हेतु मौखिक,दस्तावेजी एवं वैज्ञानिक,मेडिकली साक्ष्य तथा लिखित बहस प्रस्तुत कर आरोपी को आरोपित धाराओं में अधिकतम सजा सुनाने के तर्क प्रस्तुत किए।

न्यायालय ने अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य को विश्वसनीय मानतेे हुए,आरोपी राहुल को दोषसिद्ध किया।

प्रकरण की पैरवी विशेष लोक अभियोजक विजय पारस द्वारा की गयी।