Solar Flare :सामने आया सबसे ताकतवर सोलर फ्लेयर, न्‍यूजीलैंड-ऑस्‍ट्रेलिया में रेडियो ब्‍लैकआउट

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सोलर फ्लेयर

Solar Flare : सामने आया सबसे ताकतवर सोलर फ्लेयर, न्‍यूजीलैंड-ऑस्‍ट्रेलिया में रेडियो ब्‍लैकआउट

सूर्य का एक जीवन चक्र है जिसे सौर चक्र या Solar Cycle कहा जाता है जो सौर गतिविधियों के बारे में बताता है। सूर्य पर गतिविधियां शांत से सक्रिय और तूफानी होती हैं और फिर से शांत हो जाती हैं। नासा के अनुसार इस 11 साल के सौर चक्र की विशेषताएं सौर लहरें और कोरोनल मास इजेक्शन के रूप में जाने जाने वाले बड़े विस्फोट हैं।

सूर्य अपने 11 साल के चक्र से गुजर रहा है और बहुत सक्रिय अवस्था में है। इस वजह से सूरज में सनस्पॉट देखे जा रहे हैं, जिससे सोलर फ्लेयर्स, कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं।

इसका असर धरती पर पड़ रहा है। आज भी सूर्य में एक सौर ज्वाला गतिविधि देखी गई है। इस एक्स-क्लास सोलर फ्लेयर ने पृथ्वी पर शॉर्टवेव रेडियो ब्लैकआउट का कारण बना, जिससे ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे दक्षिण प्रशांत के क्षेत्र प्रभावित हुए।

सोलर फ्लेयर

कल एक रिपोर्ट में हमने आपको बताया था कि आने वाले कुछ दिन हमारे ग्रह के लिए काफी अहम हैं। दरअसल, सूर्य में दूर छिपे एक सनस्पॉट से चुंबकीय प्लाज्मा का एक विशाल बादल फूटा है, जिसे सीएमई (कोरोनल मास इजेक्शन) भी कहा जाता है। इससे पृथ्वी को कोई खतरा नहीं है, लेकिन सूर्य में छिपा सनस्पॉट जल्द ही पृथ्वी की ओर केंद्रित हो सकता है। बाद के विस्फोटों से पृथ्वी प्रभावित हो सकती है। इससे पहले बुधवार को भी पृथ्वी को छोटे सौर तूफान का सामना करना पड़ा था। इसने एक उपग्रह को प्रभावित किया और उसे कक्षा से बाहर ले गया।

और आज के सौर प्रज्वलन का सीधा असर पृथ्वी पर पड़ा है। इसने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित दक्षिण प्रशांत क्षेत्र को प्रभावित किया है, जहां शॉर्टवेव रेडियो ब्लैकआउट हुआ है। SpaceWeather.com ने बताया है कि पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रहों ने X1.2-श्रेणी के सौर भड़कने का पता लगाया है। इसका स्रोत सूरज उभरता हुआ सनस्पॉट AR3182 है। सौर भड़कना इतना मजबूत था कि इसने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित दक्षिण प्रशांत के अधिकांश हिस्से को प्रभावित किया, जिससे शॉर्टवेव रेडियो ब्लैकआउट हो गया।

सुबह करीब 6 बजकर 27 मिनट पर सैटेलाइट्स ने इस सोलर फ्लेयर का पता लगाया। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि इस सोलर फ्लेयर की वजह से किसी सैटेलाइट को नुकसान तो नहीं हुआ है। गौरतलब है कि एक्स-क्लास का सोलर फ्लेयर सबसे शक्तिशाली सोलर फ्लेयर्स में से एक है। इसके कारण जीपीएस और वायरलेस संचार प्रभावित हो सकते हैं। पावर ग्रिड से लेकर सुपरकंप्यूटरों को भी नुकसान पहुंच सकता है।

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