मेजबान भी हुए भावुक और भावों से भरे मेहमान …

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मेजबान भी हुए भावुक और भावों से भरे मेहमान …

तीन दिन का प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन आखिर पूरा हो गया।‌ सम्मेलन के दूसरे दिन जिन प्रवासी भारतीयों को प्रवेश में तकलीफ हुई, सम्मेलन के समापन से ठीक पहले मेजबानों में शामिल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भावुक होते हुए उन सभी से दोनों हाथ जोड़कर माफी मांग ली। अनुरोध किया कि वह अपने देश ह्रदय में अच्छी यादें लेकर जाएं। तो वजह भी बताई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता इतनी ज्यादा है कि कार्यक्रम स्थल का हॉल छोटा पड़ गया। निश्चित तौर पर प्रवासी भारतीयों ने माफ कर दिया होगा। शिवराज की खासियत यही तो है कि बिना गुमान के अतिथियों को सम्मान देने में आखिर बुराई क्या है? इधर मेजबान भावुक थे, तो उधर अमेरिका, सिंगापुर, लंदन और दुनिया के अलग-अलग देशों से आए प्रवासी भारतीय महाकाल मंदिर और महाकाल लोक के दर्शन कर भावनाओं से इतने भर गए कि अब सब कुछ मिल गया। अब मरेंगे तो कोई दु:ख नहीं रहेगा। प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन और इंदौर तो स्मृतियों में रहेगा, लेकिन पर्यटन विभाग ने महाकाल के दर्शन कराकर मानो जीवन को उन असीम खुशियों से भर दिया जिसकी कल्पना भी प्रवासी भारतीयों ने नहीं की थी। स्वर्ग मिल गया, चैन से मरूंगी, महाकाल दर्शन हो गए अब कुछ भी देखने की चाहत नहीं है सब कुछ मिल गया, इतनी खुश हूं कि अभिव्यक्ति के लिए शब्द नहीं बचे… जैसी अभिव्यक्ति यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि महाकाल सभी की आस्था का केंद्र हैं, चाहे कोई भारतीय हो या प्रवासी भारतीय।
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निश्चित तौर पर प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के समापन पर दुर्लभ अवसर था कि एक ही मंच पर तीन राष्ट्रों के राष्ट्रपति मौजूद थे। तीन दिन आनंद, उमंग, उत्सव के थे, जो कैसे बीत गए पता ही नहीं चला। मुख्यमंत्री ने भाव व्यक्त किए कि मन यह सोचकर भारी हो रहा है कि आप चले जाओगे। अरे यहीं रुक जाओ। सम्मेलन का आकर्षण था पधारो म्हारे घर कार्यक्रम,जहाँ प्रवासी भारतीय भावविभोर थे। वास्तव में घरों में ठहरकर मेहमान और मेजबान एक हो गए। यह स्मृतियां मेहमान और मेजबान दोनों को ताउम्र याद रहेंगी। तो मुख्यमंत्री ने सीईओ की तरह अपने मन की बात भी रख ही दी कि ‘मैं आपसे निवेदन कर रहा हूँ, एमपी को भूलना मत। निवेश में जो योगदान हो सकता है, करें। आप खुद भी निवेश करें, दूसरों से भी करवाएं।’
हम और आप दूर नहीं हैं। हमने फ्रेंड्स ऑफ एमपी बनाया है। आप भी मध्यप्रदेश के दोस्त बनो। अपनी मातृभूमि के लिए छोटा-मोटा योगदान जरूर दो। आप अभी भी घूमकर ही जाना, एकदम से मत चले जाना। आपको मैं चीता देखने फरवरी में बुलाऊँगा। आप समिट के अलावा भी मध्यप्रदेश आयें। विदाई की बेला आ गई है। इंदौर की यादों, मध्यप्रदेश की पावन स्मृतियों और हृदय में हमारे प्रेम को लेकर विदा लें। आपके बिना ये कन्वेन्शन सेंटर, राजवाड़ा, 56 दुकान, सराफा और इंदौर सूना लगेगा। लगे हाथों शायरी भी कर डाली कि ‘सितारों को आँखों में महफूज रखना, बड़ी दूर तक रात ही रात होगी। मुसाफिर हो तुम, मुसाफिर हैं हम, फिर किसी मोड़ पर मुलाकात होगी।’ और फिर आपको जो असुविधा हुई, उसके लिए मैं आपसे दोनों हाथ जोड़कर क्षमा माँगता हूँ।हमने कसर तो नहीं छोड़ी लेकिन प्रधानमंत्री जी की लोकप्रियता ऐसी थी कि हॉल छोटा पड़ गया। मैं दोनों हाथ जोड़कर आपसे माफी मांगता हूं अगर कोई असुविधा हुई है तो मैं दोनों हाथ जोड़कर आपसे माफी मांगता हूं। हमारे प्यार को ह्रदय में रखकर जाइए और हमें क्षमा कीजिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
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तो अब प्रवासी भारतीय सम्मेलन का अध्याय पूरा और अब अगले दो दिन ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के नाम रहेंगे।‌ 11-12 जनवरी को इंदौर के उसी ब्रिलिएंट कंवेंशन सेंटर में उद्योगपतियों का जमावड़ा होगा। “मध्यप्रदेश-भविष्य के लिए तैयार राज्य” थीम पर होने जा रही ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में पर्यावरण-संरक्षण का पूरा ध्यान रखा गया है। यह पूरी तरह “कार्बन न्यूट्रल” और “जीरो वेस्ट” पर आधारित होगी। इन्वेस्टर समिट में देश और विदेश के निवेशकों को राज्य में लाने के लिए मध्यप्रदेश में औद्योगिक निवेश के लिये अनुकूल वातावरण की तमाम परिस्थितियों का प्रदर्शन किया जायेगा। समिट का उद्देश्य राज्य की नीतियों को बढ़ावा देना, उद्योग अनुकूल नीतियाँ बनाने के लिए औद्योगिक संगठनों के साथ परामर्श कर प्रदेश में निवेशक फ्रेंडली वातावरण बनाना, सहयोग के अवसर और निर्यात क्षमता को बढ़ावा देना है। वर्ष 2007 से ही मध्यप्रदेश की ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट दुनिया भर के निवेशकों और व्यापार समुदाय के लिए बहुत बड़ा सुअवसर बना है। इस बार भी जीआईएस एक ऐसा मंच होगा, जहाँ वैश्विक नेता, उद्योगपति और विशेषज्ञ उभरते बाजारों पर अपने विचार साझा करने, निवेश क्षमता का दोहन करने और फ्यूचर रेडी, मध्यप्रदेश की सफलता की कहानी का हिस्सा बनने के लिए एक साथ आएंगे।इंदौर में होने रही इस ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 65 से अधिक देशों के प्रतिनिधि-मंडल भाग लेंगे। इसमें 20 से अधिक देशों के राजदूत, उच्चायुक्त, वाणिज्य दूतावास और राजनयिक भाग लेंगे। जीआइएस के अंतर्राष्ट्रीय मंडप में 9 भागीदार देश और 14 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संगठन अपने देशों के विभिन्न पहलुओं का प्रदर्शन करेंगे। समिट से राज्य के निर्यातकों को संभावित विदेशी खरीददार से जुड़ने का अवसर भी मिलेगा।  जिन प्रमुख उद्योगपतियों ने ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में शामिल होने की सहमति दी है, उनमें कुमार मंगलम बिड़ला, नोएल टाटा, नादिर गोदरेज, पुनीत डालमिया और अजय पीरामल सहित भारत के 500 से अधिक प्रमुख उद्योगपति शामिल हैं। कार्यक्रम में फार्मा, आईटी, ऑटोमोबाइल, कपड़ा, वस्त्र, रसायन, सीमेंट, खाद्य प्र-संस्करण, रसद, पेट्रोकेमिकल, पर्यटन, नवकरणीय ऊर्जा, सेवाओं आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख उद्योगपतियों की भागीदारी होगी। समिट के दौरान राज्य के एमएसएमई को वैश्विक बाजार तक पहुँचाने और राज्य से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए क्रेता-विक्रेता मीट का आयोजन किया जा रहा है। इसमें मुख्य रूप से यूएसए, कनाडा, इंग्लैंड, जापान, इजराइल, नीदरलैंड, सिंगापुर, थाईलैंड, कंबोडिया, बांग्लादेश और अफ्रीकी देशों के खरीदार शामिल हैं। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों जैसे फार्मास्युटिकल, टेक्सटाईल, इंजीनियरिंग, कृषि और आईटी सेवाओं के 1500 से अधिक निर्यातक सहभागिता करेंगे।
वहीं मध्यप्रदेश के विपक्षी दल कांग्रेस ने प्रवासी भारतीयों के अपमान पर चिंता जताई है और आरोप भी लगाया है कि नेताओं ने प्रवासी भारतीयों की जगह पर कब्जा कर लिया और प्रवासी भारतीय बैठने से वंचित रह गए। तो ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट पर हमेशा की तरह सवालिया निशान लगाया है कि खर्च ज्यादा और आमद कम। जवाब सरकार को देना है, अगर जरूरी समझे तो। वरना विधानसभा सत्र में सवाल-जवाब और वाद-विवाद का अधिकार तो हर विधायक को है ही, चाहे भाजपा का विधायक हो या कांग्रेस का।
अंत में यही कि प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के समापन समारोह में इंदौर आईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की यह बात मन को अच्छी लगी कि आने वाले 25 वर्ष भारत के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। भारत निरंतर विश्व गुरु बनने की महत्वाकांक्षी यात्रा पर है। वर्ष 2047 में जब हमारा देश  आजादी की सहस्राब्दी मना रहा होगा, तब तक हमारा देश आत्म निर्भर और विश्व गुरु बन चुका होगा। तो एक बार फिर वही बात कि भारत भावना प्रधान देश है और इसकी झलक इंदौर में प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के समापन समारोह में दिखी, जब मेजबान प्रवासी भारतीयों को हुई असुविधा के लिए दोनों हाथ जोड़कर माफी मांगते नजर आए। तो प्रवासी भारतीय भी महाकाल महाराज के दर्शन कर भावों से भर गए।