भगवान सूर्य उत्तरायण होने पर आपका स्वागत है…

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भगवान सूर्य उत्तरायण होने पर आपका स्वागत है…

बात जब मकर संक्रांति पर्व की होती है तो अक्सर यह भी दिमाग में आ ही जाता है कि भगवान सूर्य उत्तरायण हो रहे हैं। दरअसल सूर्य अपनी राशि में परिवर्तन करते हैं। इस वर्ष सूर्य, धनु राशि से 14 तारीख की रात्रि में और 15 जनवरी के ब्रम्ह मुहूर्त में मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य, मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे मकर संक्रांति कहा जाता है। विशेष बात यही है कि सूर्य इसी दिन दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। सूर्य के उत्तरायण होने को बहुत ही शुभ दायक माना जाता है।

सूर्य के उत्तरायण होने का महाभारत काल के संदर्भ में विशेष तौर पर याद किया जाता है। भीष्म बाणों की शैय्या पर अपार कष्ट भोग रहे थे। मृत्यु उनकी इच्छा के अधीन थी, फिर भी उन्होंने अपनी देह का त्याग नहीं किया, क्योंकि वह सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार करते रहे। मकर संक्रांति के दिन जब सूर्य उत्तरायण हुए यानी उत्तरी गोलार्ध में आए तब भीष्म ने भगवान श्रीकृष्ण को प्रणाम करते हुए देह का त्याग किया। ऐसी मान्यता है कि जो लोग मकर संक्रांति के दिन शरीर त्याग करते हैं उन्हें फिर जन्म-मरण के चक्र में उलझना नहीं पड़ता है।

सूर्य के उत्तरायण होने पर देवलोक के द्वार खुल जाते हैं।
सूर्य के उत्तरायण होने को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझें तो उत्तरायण 6 महीने का होता है जिसमें सूर्य उत्तरी गोलार्ध में रहते हैं और दिन बड़ा और रातें छोटी होती हैं। गीता और धार्मिक ग्रंथों में सूर्य के उत्तरायण का बड़ा ही महत्व बताया गया है। इन्हीं मान्यताओं के कारण उत्तरायण को उत्सव के रूप में मनाया जाता है। उत्तरायण का सामान्य अर्थ है उत्तरी भाग। सूर्य पूरे साल में उत्तरी गोलार्ध और दक्षिणी गोलार्ध में भ्रमण करता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश करते हैं।ज्योतिषीय दृष्टि से देखें तो सूर्य मकर राशि से मिथुन राशि तक संचार करते हैं तब तक सूर्य उत्तरी गोलार्ध में होते हैं और जब सूर्य कर्क से धनु राशि में होते हैं तब दक्षिणी गोलार्ध में होते हैं।

सूर्य के उत्तरायण होने के पर्व को गुजरात में उत्तरायण के नाम से ही जाना जाता है, जबकि देश के अलग-अलग भागों में इसे अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। उत्तराखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश में इसे मकर संक्रांति और खिचड़ी पर्व के नाम से लोग जानते हैं। जबकि असम में इस पर्व को बिहू और दक्षिण भारत में पोंगल के नाम से उत्साह पूर्वक मनाते हैं। पंजाब में लोहड़ी पर्व के नाम से मनाया जाता है। नाम कोई हो, पर इस पर्व में सूर्य देव की पूजा होती है और उन्हें तिल, गुड़, चावल से बने व्यंजनों का भोग अर्पित किया जाता है।

अंत में थोड़ा फील गुड करते हैं। सूर्य के उत्तरायण होने और मकर राशि में प्रवेश करने पर कुछ राशियों के जातकों की किस्मत बदलने वाली है। मकर शनि के स्वामित्व वाली राशि है और सूर्य शनि देव के पिता हैं, इसलिए मकर राशि में पिता-बेटे का यह दुर्लभ संयोग कई राशि के जातकों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मेष राशि के जो जातक हैं, जो काफी लंबे समय से बीमार हैं उन्हें स्वास्थ संबंधी फायदे होंगे, आर्थिक मदद भी प्राप्त हो सकती है। वृष राशि के लिए कृषि कार्य में सफलता मिल सकती है। सफलता के योग बन रहे हैं। मिथुन राशि के जातकों को धन लाभ के योग बन रहे हैं। कार्य क्षेत्र में पदोन्नति के योग बन रहे हैं। मिथुन राशि के लोगों को सूर्य का उत्तरायण होना विशेष फलदाई होगा।कर्क राशि पर भी असर पड़ रहा है और इस राशि के जातकों की कार्य क्षमता में वृद्धि होगी। इस राशि के युवाओं, बेरोजगारों को काम मिलने के भी आसार हैं। अटके कार्य सुलझेंगे। मकर राशि के जातकों को बहुत लाभ होगा। इस राशि के जातकों को सूर्य बलवान बनाएगा। सूर्य की तरह ही इनकी किस्मत चमक सकती है। यह सब ज्योतिषीय आकलन हैं।

पर असल बात यह भी है कि जो सूर्य की आराधना करेगा, सूर्य भगवान उन जातकों को कभी निराश नहीं करते। तो आइए हम सब मिलकर उत्तरायण होने पर भगवान सूर्य का स्वागत करें और प्रार्थना करें कि सूर्य का उत्तरायण होना सभी राशि के जातकों के लिए फलदाई साबित हो। यही कामना कि सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित दुख भागभवेत।