ह्रदय प्रदेश में विचार मंथन से नैतिक मूल्यों से समृद्ध होगी दुनिया…
जी-20 यानि दुनिया की 85 फीसदी जीडीपी, 75 फीसदी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और विश्व की दो तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले देशों के संगठन का थिंक टैंक यानि टी-20 की बड़ी कवायद ह्रदय प्रदेश की राजधानी में अगले दो दिन तक होगी। जिसका उद्देश्य यही है कि वसुधैव कुटुंबकम् का भाव नैतिक मूल्यों से सराबोर होकर पूरी दुनिया को समस्याओं से मुक्ति दिला दे। तीन सौ प्रतिनिधि विचार मंथन को नया आयाम देंगे। इनमें 44 देशों के 94 अंतर्राष्ट्रीय सहभागी शामिल हैं। जी-20 की यह सोच तब आकार ले रही है, जब भारत को इसकी अध्यक्षता से नवाजा गया है। नैतिक मूल्यों की बात उस हद तक हो रही है, जैसे दुनिया समझ गई है कि “बिन नैतिक मूल्य, सब शून्य”। चाहे जितनी भी आर्थिक तरक्की हो जाए, चाहे जितनी भी वैज्ञानिक तरक्की हो जाए और चाहे जितना भी विकास का दावा कर लिया जाए।
मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर, बौद्धिक राजधानी भोपाल और मानें तो सांस्कृतिक राजधानी खजुराहो पूरे देश के साथ जी-20 के विश्व कल्याण के मनोभावों को समृद्ध करेंगे। नैतिक मूल्यों से सराबोर विचारों को उर्वरता प्रदान करेंगे। सांची में महात्मा बुद्ध का करुणा का संदेश जी-20 सहित पूरी दुनिया को प्रेम और सह्रदयता से भर देगा। तब नैतिक मूल्यों के विचारों के मंथन में अमृत की जो बूंदे टी-20 के निष्कर्ष बनकर विश्व पटल पर अंकित होंगीं, वह सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय का पर्याय जरूर बनेंगीं।
भारत की जी-20 की अध्यक्षता का सार “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” की थीम में सन्निहित है। इसे ही प्राचीन संस्कृत लोकाचार में “वसुधैव कुटुंबकम्” के रूप में व्यक्त किया गया है। भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिलने के बाद डिजाइन किए गए लोगो में खिलता हुआ कमल और उसकी सात पंखुड़ियों पर विश्व को दर्शाया गया है। यह जीवन के सभी मूल्यों-मानव, पशु, पौधे और सूक्ष्म जीव तथा पृथ्वी, ब्रह्माण्ड में उनकी परस्पर संबद्धता की पुष्टि करता है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जी-20 के लोगो में कमल का प्रतीक आशा का प्रतिनिधित्व करता है। कमल की सात पंखुड़ियां विश्व के सात महाद्वीपों और संगीत के सात सुरों का प्रतिनिधित्व करती हैं। जी-20 दुनिया को सद्भाव सहित एक साथ लाएगा। और मोदी की इस बात में ही ह्रदय प्रदेश की बौद्धिक राजधानी में यह बात भी जुड़ रही है कि जी-20 दुनिया को नैतिक मूल्यों सहित एक साथ लाएगा। भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए जी-20 की अध्यक्षता का भारत को मिला यह अवसर अमृतकाल की शुरुआत का प्रतीक है। जिसमें भू-राजनीतिक तनावों का पूरी दुनिया से खात्मा होगा और सभी तरह के संकट समाधान पाकर दुनिया को सुंदरतम बनाकर रहेंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की यह सोच भी उत्कृष्ट है कि मध्यप्रदेश आदिगुरु शंकराचार्य के आदर्शों पर आधारित एकात्म धाम विकसित कर रहा है। जो भारत के उस दर्शन का प्रतिनिधित्व करता है कि सम्पूर्ण विश्व हमारा परिवार है। सर्वे संतु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया:। भारत का सौभाग्य होगा कि वो विश्व का आधात्यमिक गुरु और नैतिक शिक्षक बने। जी-20 के विचारों को समृद्ध करने में सहभागी बनने के लिए मध्यप्रदेश को एक महत्वपूर्ण भामिका निभाने का अवसर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिया गया है। मोदी के नेतृत्व में भारत ‘नियम स्वीकार’ करने वाले ‘नियम बनाने’ वाला बन रहा है। भारत ने कोविड-19 महामारी से निपटने, भोजन, खाद और चिकित्सा उत्पादों की सप्लाई को राजनीति से दूर रखने में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रयासों को साबित किया है और मान्यता हासिल की है। इससे साबित हुआ है कि दुनिया के सामने आई समस्याओं को साथ मिलकर सुलझाया जा सकता है। वैश्विक दक्षिण और विकासशील देशों की जरूरतें बड़ी हैं और इन पर ज्यादा फोकस की आवश्यकता है।
जी-20 वैश्विक विद्वानों और नीति-निर्माताओं को एक मंच देता है कि वे साथ आएं, विचार करें और समस्याओं का समाधान निकालें। और विचारों का यह अमृत भोपाल में हो रहे दो दिवसीय विचार मंथन से निकलकर ही रहेगा। निश्चित तौर पर ह्रदय प्रदेश में विचार मंथन से नैतिक मूल्यों से दुनिया समृद्ध होगी …।