चुनावी रंग जमीन पर बिखरने लगा है…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
लो अब यह प्रदेश अध्यक्ष, तो वह प्रदेश अध्यक्ष… मुख्यमंत्री शिवराज और फिर मंत्री भी पीछे नहीं, सभी चुनावी रंग में डुबकी लगा रहे हैं। विष्णु गुजरात मॉडल पर कमल खिला रहे हैं, तो नाथ ज्योतिष को धता बताकर मुस्करा रहे हैं। यकीन अपना-अपना है, पर सरकार बनाना सबका सपना है। तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने क्षेत्रीय समीकरणों को तवज्जो देते हुए निगम, मंडल, बोर्ड में नियुक्तियों की शुरुआत कर दी है। यानि चुनावी रंग मध्यप्रदेश की जमीन पर बिखरने लगा है। धीरे-धीरे रंग चटक होता रहेगा और सियासत की नदियां उफान पर होंगीं।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने भरोसा जताया है कि पार्टी नेतृत्व, संगठन तंत्र और योजनाओं के दम पर प्रदेश में भी गुजरात जैसी आंधी चलेगी। उन्होंने गुजरात में भाजपा को 53 फीसदी वोट मिलने और 182 सदस्यीय विधानसभा में 156 सीटें मिलने का हवाला भी दिया है। तो 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में जीत का इतिहास बनने और 200 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करने की बात भी दोहराई है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा सहित अन्य नेताओं का मार्गदर्शन मिला। खास यह कि 9 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए विजय का संकल्प पारित किया गया, इनमें मध्यप्रदेश भी शामिल है। आगामी 24 जनवरी को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक आयोजित होने वाली है। 26 जनवरी को सभी जिलों में तथा 27 जनवरी को सभी मंडलों में कार्यसमिति की बैठकें आयोजित की जाएंगी। 28 जनवरी को शक्ति केंद्र स्तर पर बैठकें आयोजित होंगी और 29 जनवरी को सभी 64100 बूथों पर प्रधानमंत्री मोदी की मन की बात कार्यक्रम सुना जाएगा तथा बैठकें होंगी। पांच फरवरी को संत रविदास जयंती है और 5 से 25 फरवरी तक मध्यप्रदेश सरकार पूरे प्रदेश में विकास यात्राएं निकालेगी। विधानसभा स्तर पर आयोजित होने वाली इन यात्राओं में प्रदेश सरकार के मंत्री, विधायक और पार्टी के जनप्रतिनिधि शामिल होंगे। 11 फरवरी को पं. दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि समर्पण दिवस के रूप में मनाई जाएगी एवं 14 अप्रैल को डॉ. अंबेडकर जयंती पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। तो मोदी से लेकर संत रविदास, पं. दीनदयाल उपाध्याय और डॉ.अंबेडकर तक सब कुछ चुनावी सियासत की खुशबू बिखेर रहा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की विकास यात्रा मध्य प्रदेश के मतदाताओं को गुमराह करने के लिए और ध्यान मोड़ने के लिए है। मुझे मध्य प्रदेश के सभी मतदाताओं पर पूरा भरोसा है कि वे आने वाले समय में सही मतदान करके मध्यप्रदेश के भविष्य को सुरक्षित करेंगे। भारतीय जनता पार्टी को “हिसाब” यात्रा करनी चाहिए, जिसमें वे मध्यप्रदेश की जनता को अपने 18 वर्षों के कामों का हिसाब दें। जनता अब भाजपा की ध्यान मोड़ने ध्यान भटकाने और जनता के साथ फ्रॉड करने की साजिश को अच्छी तरह समझ रही है। समय-समय पर संगठन में बदलाव होते रहते हैं। हाल ही में हमारे संगठन के चुनाव संपन्न हुए। हर जिले में हमारे डीआरओ पहुंचे थे, उन्होंने अपनी रिपोर्ट दे दी है। सभी से विचार-विमर्श करके आगे निर्णय लिए जाएंगे। संगठन पूरी तरह एक्टिव है। मेरी सभी प्रकोष्ठों के साथ बैठक है, सभी अपने-अपने क्षेत्रों में पूरी तरह एक्टिव हैं। भोपाल में भीड़ इकट्ठा करने से कोई फायदा नहीं है। भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में हुए निर्णयों से मध्यप्रदेश पर कोई असर होने वाला नहीं है। पंचांग को लेकर नाथ ने साफ किया कि पंचांग और ज्योतिष पर नहीं जनता पर भरोसा है। यानि कि यहां भी सियासी रंग पूरी गति से झरने की तरह ऊपर से नीचे गिर रहा है।
तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सक्रियता का लोहा तो सभी मानते ही हैं। चुनावी साल में निगम, मंडल और बोर्ड में भाजपा नेताओं की जातीय, क्षेत्रीय और सियासी समीकरण साधने पर केंद्रित नियुक्तियां शुरू हुई हैं, जो सभी क्षेत्रों में चुनाव पूर्व संतुलन के रंग बिखेरेंगीं। तो कमलनाथ को भी शिवराज आइना दिखाना नहीं भूलते। हाल ही में धार में शिवराज ने कहा था कि कमलनाथ जी ने तो अपनी सवा साल की सरकार में कुछ नहीं किया। अभी ट्वीट करते हैं कि मैं ये कर दूंगा, वो कर दूंगा। अरे 15 माह में कुछ क्यों नहीं किया? कमलनाथ जी को तो माफी मांगो अभियान चलाना चाहिए। कमलनाथ ने तो बच्चों के लैपटॉप, स्मार्टफोन और छात्रवृत्ति छीन ली, अब माफी मांगो। बेटियों की शादी में 51,000 रुपये नहीं दिए, अब माफी मांगो। संबल योजना बन्द कर दी, तीर्थदर्शन योजना बन्द कर दी, कमलनाथ, अब माफी मांगो।
तो राघौगढ़ से पंचायत मंत्री की आवाज आई है कि भाजपा की सरकार फिर बन रही है और शिवराज का बुलडोजर तैयार है। कहा तो उन्होंने यही है कि कांग्रेसी धीरे-धीरे भाजपा में आ जाएं। बाकी सब समझदार है। मतलब साफ है कि चुनावी रंग आगे गली-गली में बहने वाले हैं। फिलहाल चुनावी रंग जमीन पर बिखरने लगा है…।