Local Technology Database: हर जिले का लोकल टेक्नालॉजी डेटाबेस तैयार करेगी सरकार
भोपाल: प्रदेश सरकार अब सभी 52 जिलों में वहां की लोकल जियोग्राफिक स्थिति के आधार पर स्थानीय कला और तकनीक का डेटा बेस तैयार करेगी। इसके माध्यम से एक जिला एक उत्पाद समेत जिले की उन एक्टिविटीज के लिए एक प्लेटफार्म तैयार किया जाएगा जो जिले के विकास में सहयोगी होगा।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ओपी सकलेचा ने कहा है कि मध्यप्रदेश में इस व्यवस्था पर जल्द ही अमल किया जाएगा। वे चाहते हैं कि हर जिले की लोकल टेक्नोलॉजी का डेटा बेस तैयार हो। इसका फायदा यह होगा कि लोगों को साइंस एंड टेक्नालॉजी डिपार्टमेंट की इस व्यवस्था के जरिये यह पता हो सकेगा कि एमपी के किस जिले की जियोग्राफिकल स्टेटिक्स क्या है, संबंधित जिले की कला और संस्कृति क्या है और वहां किस तरह की व्यूह रचना करके इम्प्रूवमेंट किया जा सकता है। इसके लिए अपेक्षित लोग इम्प्रूवमेंट के लिए आगे आएंगे और सरकार को प्रस्ताव देंगे। इसका फायदा जिले के नागरिकों के साथ प्रदेश के लोगों को मिलेगा। जिला स्तर पर तैयार डेटा उत्पादों का राष्ट्रीय स्तर पर एक डेटाबेस तैयार होने से हमारी विरासत और समृद्ध होगी। प्रदेश में कारीगरी से जुड़ी विभिन्न विधाओं में विज्ञान को जोड़ कर युवा अपनी वैज्ञानिक रुचि बताते हैं और सोशल मीडिया के माध्यम से यह जानकारी सामने आतीहै। ऐसे में इन युवाओं को लिए एक मंच भी मिल सकेगा। इसके अलावा स्टेट टेक्नालॉजी एडवायजरी बोर्ड भी बनाया जाएगा। सकलेचा ने कहा कि वे मानते हैं कि यह व्यवस्था एमपी के साथ देश के हर जिले में हो। राज्यों की विज्ञान परिषदों की साल में दो बार बैठक हो जिसमें क्षमताओं और कमियों की समीक्षा भी होना चाहिए।
विज्ञान परिषदों का नेटवर्क मजबूत बनाने पर जोर
उधर सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में चल रहे साइंस एंड टेक्लालॉजी कांफ्रेंस के बाद राज्य सरकार विज्ञान परिषद की ताकत बढ़ाने पर भी जोर देगी। इसमें यह बात सामने आई है कि राज्यों की विज्ञान परिषदें ताकत हैं, जो जिला स्तर पर विज्ञान प्रसार और छोटे-छोटे विकास और वित्त पोषण में योगदान करती हैं। विज्ञान परिषदें एसटीआई इको सिस्टम में उत्प्रेरक की भूमिका निभाती हैं। विज्ञान परिषदों के नेटवर्क को मजबूत करने की जरूरत है।