Liquor Sale: राज्यों की इकोनॉमी का सबसे बड़ा सहारा है ये लड़खड़ाते कदम!

जानिए, किस राज्य को कितनी मदद देती है शराब से होने वाली कमाई! 

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Liquor Sale: राज्यों की इकोनॉमी का सबसे बड़ा सहारा है ये लड़खड़ाते कदम!

New Delhi : भाजपा नेता उमा भारती शराबबंदी की मांग पर अड़ी है। जबकि, शराब की बिक्री से किसी को राज्य की इकोनॉमी को बड़ी मदद मिलती है। मध्यप्रदेश को ही शराब पर टैक्स से 11,873 करोड़ की कमाई हुई है। यदि वास्तव में सरकार वास्तव में शराबबंदी की मांग पर कदम उठाती है, तो उसके पास इस क्षतिपूर्ति की भरपाई का कोई रास्ता नहीं है।

शराब पीना बुरी आदत है, इससे इंकार नहीं! देश में यदा कदा शराबबंदी की मांग भी उठती रहती है। लेकिन, सच्चाई यह है कि शराब की देश की इकॉनामी में महत्वपूर्व भूमिका है। जीएसटी और पेट्रोल-डीजल के बाद राज्य सरकारों की सबसे ज्यादा कमाई शराब से ही होती है। यही वजह है कि कोरोना का प्रकोप कम होने के बाद सरकार ने सबसे पहले शराब के ठेके खोले।

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (India Ratings & Research) के मुताबिक राज्यों की टैक्स रेवन्यू में 39.9 फीसदी हिस्सा स्टेट जीएसटी (State GST) का और 21.9% हिस्सा पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले वैट (VAT) का होता है। इसके बाद एक्साइज का नंबर आता है। राज्यों की 11.2 फीसदी कमाई एक्साइज से होती है। इसमें सबसे ज्यादा हिस्सा शराब पर एक्साइज से आता है। आइए जानते हैं कि शराब से कमाई के मामले में कौन राज्य है सबसे आगे!

अल्कोहल यानी शराब का ग्लोबल मार्केट 1448.2 अरब डॉलर का है और 2022 से 2028 के बीच इसमें सालाना 10.3% की दर से बढ़ने का अनुमान है। 2025 तक यह 1976 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। मजेदार बात यह है कि दुनिया में भारत का अल्कोहल मार्केट सबसे तेजी से बढ़ रहा है। अभी यह 52.5 अरब डॉलर का है। भारत का अल्कोहल मार्केट सालाना आठ फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले कुछ साल में देश शराब का प्रॉडक्शन 25% बढ़ा है। इसकी वजह यह है कि भारत में शहरी आबादी तेजी से बढ़ रही है और साथ ही लोगों की इनकम भी बढ़ रही है।

 

सबसे ज्यादा कमाई उत्तर प्रदेश में 

अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग एक्साइज ड्यूटी है। अल्कोहल की पूरी सप्लाई चेन पर राज्यों का पूरा कंट्रोल है। इनमें प्रॉडक्शन से लेकर डिस्ट्रीब्यूशन, रजिस्ट्रेशन और रिटेल शामिल है। यह सेक्टर विदेशी निवेश के लिए खुला है। महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्य वाइन बनाने के लिए स्थानीय कंपनियों को सब्सिडी देते हैं। अल्कोहल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। पूर्वोत्तर राज्यों का एक्साइज रेवेन्यू कहीं ज्यादा है। यह इंडस्ट्री करीब 15 लाख लोगों को रोजगार देती है। इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक 2015 में 21 करोड़ लोग शराब पीते थे। अब यह संख्या 30 करोड़ के ऊपर पहुंच चुकी है।

2020-21 के आंकड़ों के मुताबिक पूरे देश में एक्साइज से करीब एक लाख 75 हजार करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। शराब से सबसे ज्यादा कमाई करने वाला राज्य उत्तर प्रदेश रहा। यूपी का एक्साइज रेवेन्यू 31,517 करोड़ रुपए रहा। यह राज्य के कुल रेवेन्यू का 21.8% है। इस मामले में कर्नाटक 20,950 करोड़ के साथ दूसरे नंबर पर है। राज्य के कुल रेवेन्यू में एक्साइज का हिस्सा 20.6% था। महाराष्ट्र ने एक्साइज से 17,477 करोड़ कमाए थे। मध्य प्रदेश को शराब पर टैक्स से 11,873 करोड़ की कमाई हुई थी। तमिलनाडु 7,262.30 करोड़ रुपये की कमाई के साथ इस लिस्ट में पांचवें नंबर पर है। यह इनकम शराब की लीगल बिक्री है।

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इन राज्यों में शराब से इतनी कमाई 

पू्र्वोत्तर राज्य मिजोरम में सरकार के कुल रेवेन्यू में 58% हिस्सा एक्साइज से आता है। इसी तरह पुड्डुचेरी में कुल रेवेन्यू में 55% हिस्सा एक्साइज का है। मेघालय में यह 47% और तेलंगाना में 31% रेवेन्यू शराब से आता है। बिहार में शराब पर पाबंदी है। इस कारण वहां शराब से सरकार को कोई इनकम नहीं होती है। गुजरात में भी शराब पर पाबंदी है। वहां के कुल रेवेन्यू में एक्साइज की हिस्सेदारी मात्र 0.20% है। मणिपुर में यह 7%, असम में 8%, गोवा में 9% है। बिहार में शराब पर पाबंदी से राज्य सरकार को सालाना 3,500 करोड़ का नुकसान हो रहा है। हालांकि इसका फायदा उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों को मिल रहा है। इन राज्यों को एक्साइज से रेवेन्यू बढ़ गया है।