भगवा बिकनी विवाद के नाम पै मालामाल हो गई पठान…

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भगवा बिकनी विवाद के नाम पै मालामाल हो गई पठान...

भगवा बिकनी विवाद के नाम पै मालामाल हो गई पठान…

वो एक डॉयलॉग है फिल्म में कि बिजनेसमैन हैं, हमारा कोई देश नहीं। हम जहां खड़े हैं, वही हमारा देश है। ऐसेई बिजनेस माइंड को खूब फायदा उठाओ है पठान ने। भगवा बिकनी में ऐसो उलझाओ पूरे देश खों कि सोशल मीडिया के जमाने में हर कनपट्टे में घुस गई पठान मूवी। फिर का कमाई के सब रिकॉर्ड तोड़वे में कौनऊ कसर थोड़ी छोड़ी। वोई एक मरियल सो गाना बेशर्म रंग फिल्माओ अलग-अलग रंग की बिकनी पैना कें और ट्रेलर रिलीज कर कै बना दई कंट्रोवर्सी कै‌ बिकनी को रंग भगवा है। और कौनऊ पिक्चर में भगवा होतों तो बात अलग थी, पर पठान फिल्म, पठान हीरो और भगवा रंग की बिकनी…न भैया जौ बर्दाश्त न कर पाए भगवा भक्त। सो खूब भई बयानबाजी और खूब भओ हंगामा। ई चक्कर में मोदी जी ने भी पूरी रिपोर्ट तलब कर कें अपनो माथो ठोक लओ हुईए। सोई मौका पाकर पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दूसरे दिन उनने अपनी पार्टी के सब नेतन खौं सार्वजनिक तौर पेई तो फटकारो तो कै फिल्मन पे बोलवै की जरूरत नईंयां कोऊ खौं। ऊ दिन से सब चुप भयै वरना तो ऐसो लगत तौ कि फिल्म को ट्रेलर आओ और नेतन खौं बोलवै को मसालो मिलो।
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का बताएं भैया हम सोऊ ई चक्कर में पठान के लफड़े में आ गए। कै पूरो देश फिल्म देख रओ तो हमें भी देख लय चईए। सो तीसरे रविवार खों बारई बजे के शो में घुस गए हम। जावे के पैले तक को अपडेट करो सो 572 करोड़ की कमाई कर लई ती पठान ने 18वें दिन तक सब भारतीय भाषाओं में और ईमे हिंदी भाषा में तो सबसे ज्यादा 472 करोड़ कमा कै रिकॉर्ड बना दओ। 25 जनवरी खौं रिलीज भई थी। हमने भी सोची कै अब तक तो गम्म खा लई मगर अब तो देखई लो भैया। नई तो ऐसो न होय कै कछु खास चीज नजरन से बची रै जाए। पर का बताएं ऐसो लगौ फिल्म देख कैं कि हमई निपट गए। पठान ने निपटा दओ, न तो स्टोरी को पतौ चलो और न लड़ाई-भिड़ाई, कभऊं बस और हैलीकॉप्टर और कभऊं ट्रेन और हैलीकॉप्टर, कभऊं हैलीकॉप्टर से कूदवे  की नौटंकी खौं भी हम पचा न पाए। लगत ऐसौ रओ के रियल से तो नई जनरेशन खौं कोसन दूर लै जावै की कसमई खा ली इन फिलम वालन ने। पठान कम पड़ो सो टाइगर खों बुला लओ। जनानी होकैं भी कितने हट्टे कट्टे मर्दन पै भारी परी वौ हीरोईन कै सांस बाहर की बाहर और अंदर की अंदर अटकी रै गई। कुल मिलाकें भगवा बिकनी के नाम पै ठगौ गओ, मैं का पूरौ देश और विदेशी ब्याज में ठगवे बारे हैं। और मजा की बात जौ, कै वो भगवा बिकनी दिखावे में भी पीछै नईं रओ पठान। हम तो थोड़ी देर मेंई पौंचे थे, तब वो भगवा बिकनी में नजर आईती देवी। लगत कै मोदी जी के बोलवै के बाद पठान टीम की चांदी हो गई और फिर न मध्यप्रदेश से आवाज आई और न असम से।
अब सीधी सी बात कर लें तो पठान फिल्म में सिवाय तकनीक और सिनेमेटोग्राफी का बेहतर इस्तेमाल के प्रदर्शन के अलावा कुछ भी नहीं है। राष्ट्रभक्ति की चासनी में पठान को बेचने की उम्दा कोशिश का नमूना है यह फिल्म। कश्मीर, अनुच्छेद 370 का हटाया जाना, कोविड, भारत और पाकिस्तान, आईएसआई जैसे शब्द और आजकल की फिल्मों का चहेता शब्द ‘रक्तबीज’ का बेहतर इस्तेमाल किया गया है फिल्म में। और फिर आर्मी और जवान शब्द का छौंका लगाकर राष्ट्रभक्ति की अलख जगाने की बातें फिल्मी बनावटी माहौल में दिखावा ही लगती हैं। इसीलिए बिजनेसमैन माइंड से भगवा रंग की बिकनी की कंट्रोवर्सी का ट्रेलर रिलीज कर हंगामा करवाकर बहुत उम्दा तरीके से रंग चोखा कर लिया है पठान ने। वाह पठान मान गए। बच्चों को भी फिल्म देखने के बाद लग रहा है कि क्या देखकर आ गए और क्या दिखा दिया उन्हें। भगवा रंग की बिकनी के नाम पै मालामाल हो गए पठान साहब और उधर पठान साहब ने रियल में कंट्रोवर्सी लग रही  ‘गांधी गोडसे: एक युद्ध’ की आमदनी की उम्मीदों की बारह बजा दी सो अलग…इसकी आमदनी की बर्बादी ऐसी है कि गूगल बाबा ने भी मौन साधना ही बेहतर समझा है। बहुत तलाशा पर मायूसी ही हाथ लगी। खैर हमारे लिखने का मतलब यह कतई नहीं कि फिल्म प्रेमी हमारी राय से अपना फैसला करें। फिल्म देखकर सबकी अपनी-अपनी व्यक्तिगत पसंद और निजी राय अलग हो सकती है। सो जिसका मन फिल्म देखने का हो, वह जरूर‌ देखे। बाकी हम फिर से वही बात दोहराएंगे कि भगवा बिकनी विवाद के नाम पै मालामाल हो गई पठान…और पठान फिल्म की टीम। विवाद न होता तो शायद दर्शकों का इतना आशीर्वाद भी पठान को न मिल पाता…।