इस समाज में शादी के लिए लड़के को गुजरना पड़ता है कठिन परीक्षा से

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इस समाज में शादी के लिए लड़के को गुजरना पड़ता है कठिन परीक्षा से

बड़वानी से सचिन राठौर की रिपोर्ट

नाथ जोगी समाज में शादी के लिए लड़के को गुजरना पड़ता है कठिन परीक्षा से यहां लड़के को शादी से पहले सिद्ध करना होती है अपनी योग्यता , तब जाकर हो पाती है लड़का लड़की की शादी

बड़वानी-हिंदुस्तान में लगभग 3000 जातियां और 25000 उपजातियां है हर जाति , उपजाति की अपनी एक अलग परंपरा अपनी एक अलग वेशभूषा और संस्कार होते हैं। हर समाज हर, जाति हर धर्म में शादी की भी एक अपनी अलग ही परंपरा होती है लेकिन सभी परंपराओं में एक बात सम्मान्य है लड़का लड़की का रिश्ता तय होने के पश्चात ब्याह करना।
इन सब के विपरीत अगर नाथ जोगी समाज की बात करें तो यह समाज शादी के लिए अपनी अलग ही परंपरा रखता है। यहां शादी से पहले लड़के को अपने होने वाले ससुराल में जाकर रहना पड़ता है और अपनी कार्यशैली, चाल चलन दिखाने होते हैं तब जाकर कहीं लड़के की शादी हो पाती है या यूं कहें शादी से पहले लड़के को ससुराल जाकर अपनी योग्यता सिद्ध करनी होती है। इस अग्नि परीक्षा में पास होने के पश्चात ही लड़के को लड़की का हाथ दिया जाता है।

नाथ जोगी समाज के धन्ना नाथ बताते हैं कि हमारे समाज में ब्याह से पूर्व लड़के को अपने होने वाले ससुराल में जाकर कम से कम 6 महीने रहना पड़ता है। इन 6 महीनों में लड़के का चाल चलन और कार्यशैली को देखा जाता है। लड़के को यहां अपने ससुराल पक्ष के खर्चे उठाने होते हैं। ससुराल पक्ष में खाने पीने की व्यवस्था सास ससुर और होने वाली पत्नी के अतिरिक्त खर्चे की व्यवस्था लड़के को स्वयं ससुराल में रहकर करनी पड़ती है।

लड़का यह पैसे चाहे तो किसी रोजगार कुशल के जरिए कमाकर एकत्रित करें या वह भिक्षा मांग कर व्यवस्था करें। अगर ससुराल पक्ष लड़के की कार्यशैली योग्यता से संतुष्ट होता है तो अपनी लड़की का ब्याह उस लड़के से करने को तैयार होता है नहीं तो शादी के लिए मना कर देता है। कई बार लड़का 6 महीने में अपनी योग्यता सिद्ध नहीं कर पाता तो उसे और अवसर दिए जाते हैं लेकिन जब तक लड़का अपनी योग्यता सिद्ध नहीं करता उसे लड़की का हाथ नहीं दिया जाता । लड़के को अपनी योग्यता सिद्ध करने तक ससुराल में ही रहना पड़ता है।

नाथ जोगी समाज के कान्हा नाथ जिनकी शादी लगभग 5 से 6 माह पूर्व हुई है, बताते हैं कि शादी करने के लिए वह अपने ससुराल योग्यता सिद्ध करने गए थे लेकिन अपनी योग्यता सिद्ध करने और ससुराल वालों को संतुष्ट करने के लिए उन्हें 4 से 5 साल का वक्त लगा। वह 4 से 5 साल तक अपने ससुराल में रहे। इस दौरान उन्होंने काम करने के अलावा भिक्षा मांग कर भी अपनी योग्यता सिद्ध की।

सास ससुर के खर्चे परिवार के खर्चे के लिए पैसों की व्यवस्था काम करने के साथ-साथ गांव गांव जाकर भिक्षा मांग कर भी करी।

जब हमने नाथ जोगी समाज के इस परंपरा के बारे में जानना चाहा कि आखिर का समाज में इस तरह की व्यवस्था क्यों है तो समाज के संतोष नाथ ने हमें बताया कि नाथ जोगी समाज के अधिकांश लोग खानाबदोश जिंदगी जीते हैं।

हमारे पास नाही अपनी कोई जमीन जायदाद है और ना ही कोई स्थाई रोजगार। हम शासकीय जमीन पर या खाली पड़ी जमीनों पर डेरा लगाकर रहते हैं। हमें जमीन मालिक द्वारा या सरकार द्वारा कभी भी हटा दिया जाता है इसलिए हमारे समाज में इस तरह की व्यवस्था की गई की लड़के को विवाह से पूर्व अपने ससुराल में रहकर ससुराल पक्ष को कमा खिलाकर यह सिद्ध करना होता है कि वह किसी भी परिस्थिति में आपकी बेटी और अपनी होने वाली सन्तानो का भरण पोषण करने के योग्य है। इसलिए हमारे समाज में यह परंपरा कई पीढ़ियों से चली आ रही है। साथ ही हमारे समाज में एक व्यवस्था यह भी है कि अगर एक परिवार में कहीं रिश्ता हो जाता है तो उस परिवार में 7 पीढ़ियों तक पुनः रिश्ता नहीं हो सकता। मान लीजिए अगर मेरा किसी परिवार में रिश्ता हो गया तो उस परिवार में मेरे भाई का रिश्ता तो हो सकता है लेकिन मेरे बच्चे मेरे बच्चों के बच्चे और उनकी 7 पीढ़ियों तक उसी परिवार में रिश्ता नहीं कर सकती ।