The Great Brahmin : IAS नियाज खान की किताब ‘द ग्रेट ब्राह्मण’ का कवर रिलीज!

चाणक्य और सुदामा से प्रभावित होकर ही इस किताब को लिखा! 

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The Great Brahmin : IAS नियाज खान की किताब ‘द ग्रेट ब्राह्मण’ का कवर रिलीज!

Bhopal : चर्चित आईएएस नियाज खान की नई किताब ‘द ग्रेट ब्राह्मण’ का कवर रिलीज हो गया। मार्च में ये किताब बाजार में आएगी। वे अभी तक सात किताब वे लिख चुके हैं। उनकी आने वाली किताब ब्राह्मणों पर केंद्रित है। इस नई किताब में नियाज खान ने ब्राह्मणों को नेतृत्व करने वाला और बेहतरीन सलाहकार की तरह प्रस्तुत किया है। इस किताब में उन्होंने ब्राह्मणों के तेज दिमाग को लेकर काफी कुछ लिखा और उन्हें ‘सुपर ब्रेन’ बताया। नियाज खान का मानना है कि अगर हर क्षेत्र में ब्राह्मणों को मौका दिया जाए तो वे देश को बदलने की क्षमता रखते हैं।

नियाज खान का किताब के बारे में कहना है कि उन्होंने चाणक्य के बारे में बहुत पढ़ा है। चाणक्य के हर पक्ष को जाना और समझा है। यही वजह है कि वे चाणक्य से बहुत ज्यादा प्रभावित रहे हैं। उनका कहना है कि चाणक्य का बुद्धिमता स्तर बहुत ज्यादा था। नियाज खान ने चाणक्य के अलावा सुदामा के बारे में भी बहुत पढ़ा और यही कारण है कि उन्होंने ब्राह्मणों को हर दृष्टि से श्रेष्ठ पाया।

आईएएस नियाज को इस विषय पर किताब लिखने का विचार चाणक्य और सुदामा को विस्तार से पढ़ने के बाद आया। इसके बाद उन्होंने तय किया कि वे ब्राह्मणों पर किताब जरूर लिखेंगे। उन्होंने कहा कि हजारों सालों में देश ने कई बदलाव देखे हैं! लेकिन, ब्राह्मणों की अपनी संस्कृति और राज करने की उनकी शैली में कोई भी बदलाव देखने को नहीं मिला।

नियाज खान एक चर्चित आईएएस हैं। कुछ महीने पहले जब फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ रिलीज हुई थी, तब उनके कुछ बयान काफी चर्चा हुई थी। उन्होंने कहा था कि मुसलमानों की हत्या दिखाने के लिए भी ‘द कश्मीर फाइल्स’ की तरह एक फिल्म बननी चाहिए। इस बयान के बाद वे सुर्खियों में आ गए थे। इस बयान को लेकर उन पर कार्रवाई की बातें भी की गई!

ब्राह्मणों के हाथ में ही संस्कृति की रक्षा

नियाज खान ने ब्राह्मणों की प्रशंसा करते हुए कहा कि तीन हजार साल बाद भी वेद विकसित होते रहे और उनका महत्व भी कम नहीं हुआ। भारतीय संस्कृतियां तेजी से बदल रही है और केवल ब्राह्मण ही हैं, जो हमारी संस्कृति की रक्षा कर सकते हैं। नियाज के मुताबिक, उनकी इस किताब में केवल ब्राह्मणों की पूजा-पाठ परंपरा का उल्लेख नहीं है, बल्कि इतिहास में उनकी भूमिका का भी विस्तार होगा।