संघ के दखल से जारी हुई शराब नीति!

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*संघ के दखल से जारी हुई शराब नीति!*

मप्र की नई शराब नीति को लागू कराने में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत जी की अहम भूमिका बताई जा रही है। खबर आ रही है कि शराब नीति को लेकर उमा भारती के सुझावों को राज्य सरकार स्वीकार करने तैयार नहीं थी। उमा के बगावती तेवरों को लेकर शिवराज सिंह चौहान ने पार्टी आलाकमान से बात की तो वहां से सुझाव दिया गया कि उमा के मुद्दे पर नागपुर बात की जाए।

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शिवराज सिंह चौहान नागपुर पहुंचे तो संघ प्रमुख ने दो टूक शब्दों में कहा कि शराब नीति को लेकर जो सुझाव उमा भारती दे रही हैं उनसे संघ सहमत है। संघ प्रमुख ने गुजरात की तरह पूर्ण शराब बंदी पर विचार करने को कहा। नागपुर से उल्टे पांव लौटे सीएम ने तत्काल पांच मंत्रियों की समिति बनाई। कुछ घंटे में ही उमा भारती के सुझावों को शामिल कर नई शराब नीति को कैबिनेट में मंजूरी दे दी गई।

*दोनों संवैधानिक संस्थाओं के चीफ होंगे एक्सटेंशन पर!*

मप्र के इतिहास में शायद पहली बार होगा जब दोनों संवैधानिक संस्थाओं कार्यपालिका और विधायिका के प्रशासनिक मुखिया एक्सटेंशन वाले होंगे। मुख्यसचिव इकबाल सिंह बैस पहले से ही एक्सटेंशन पर हैं। अब मप्र विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह को एक्सटेंशन देने की फाइल दौड़ने वाली है। एपी सिंह का रिटायरमेंट 31 मार्च को है। फिलहाल विधानसभा सचिवालय में ऐसा कोई अधिकारी नहीं है जो एपी सिंह की जगह पीएस का काम सम्हाल सके। वैसे चर्चा यह भी है कि स्पीकर गिरीश गौतम और उनकी टीम एपी सिंह को पसंद नहीं कर रही है।

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यदि स्पीकर की चली तो एपी सिंह के स्थान पर किसी जिला जज को प्रतिनियुक्ति पर लाया जा सकता है। लेकिन एपी सिंह का खूंटा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा के यहां गहरा गड़ा है। यह दोनों नेता शायद ही विधायिका के किसी अनुभवहीन जज को यहां लाकर बिठाएंगे। यानि एपी सिंह को एक्सटेंशन मिलना तय माना जा रहा है।

*चुनाव आयोग के पचड़े में पड़ सकता है सीएस का एक्सटेंशन!*

प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस का 6 महीने का एक्सटेंशन 31 मई को पूरा होने जा रहा है। ऐसे में उनका एक्सटेंशन बढ़ाने पर फिर प्रशासनिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है। चर्चा यह भी है कि इस बार का एक्सटेंशन चुनाव आयोग के पचड़े में पड़ सकता है। क्योंकि यदि बैंस को 6 महीने का एक और एक्सटेंशन मिलता है तो विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में ही होंगे।

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इससे पहले कांग्रेस चुनाव आयोग में एक्सटेंशन का विरोध कर सकती है। हालांंकि चुनाव आयोग में पचड़े से पहले जीएडी इसकी काट तलाश रही है। साथ ही कांग्रेस भी मई का इंतजार कर रही है। खबर है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हरहाल में चुनाव तक इकबाल सिंह बैस को बनाये रखना चाहते हैं। इसके लिए भारत सरकार से भी हरसंभव मदद ली जाएगी।

*बहू की बगावत और नेताजी का सरेंडर*

सागर जिले में भाजपा और कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं का झगड़ा लंबे समय से चर्चा में रहा है। जिसकी सरकार आती है वह नेता दूसरे पर हावी हो जाता है। फिलहाल पलडा भाजपा के दिग्गज नेता का भारी है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और उनके समर्थकों पर इतने मुकदमे लाद दिये गये हैं कि कांग्रेस नेता को कांग्रेस छोड़ने पर विवश कर दिया गया।

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पहले चर्चा थी कि वे भाजपा में आएंगे, लेकिन भाजपा के दरवाजे भी बंद करा दिए गये। अब हारे थके कांग्रेस नेता के साथ घर में बगावत की खबर आ रही है। बताते हैं कि उनकी बहू ने ही परिवार से बगावत कर दी है। यह भी खबर आ रही है कि बहू मोटा माल समेटकर प्रेमी के साथ छू हो गई। इस घटना से हैरान परेशान कांग्रेस नेता ने अब भाजपा नेता के सामने पूरी तरह समर्पण कर दिया है। बहू के मुद्दे पर वे भाजपा नेता से मदद की गुहार लगाते नजर आ रहे हैं।

*रिवाल्वर की रिश्वत भी हुई मंहगी!*

मप्र में रिवाल्वर का लायसेंस बनवाने के लिए लगने वाली रिश्वत की राशि में पिछले तीन वर्ष में तीन गुनी वृद्धि हो गई है। इसके लिए राजधानी में दलाल सक्रिय हैं जो पूरी ईमानदारी से काम करते हैं। जिले से रिवाल्वर के लायसेंस का प्रस्ताव भिजवाने की गारंटी आवेदक की है। प्रस्ताव भोपाल आने के बाद बिना उचित दलाल या दबाव के आपका रिवाल्वर का लायसेंस नहीं बन सकता। तीन वर्ष पहले दलाल पूरी ईमानदारी से दो लाख ऊपर वाले के लिए और पचास हजार खुद के लिए लेकर लायसेंस बनवा देते थे। धीरे धीरे यह राशि दो से तीन, चार, पांच और अब छह लाख पहुंच गई है। मजेदार बात यह है कि इतनी मोटी रिश्वत राशि देकर भी लोग रिवाल्वर का लायसेंस लेने लाईन लगाकर तैयार हैं।

*नया जहाज लाता है नई सरकार!*

मप्र में पिछले 20 वर्ष से ऐसी किदवंती है कि राज्य सरकार जब भी कोई नया हवाई जहाज खरीदती है तो प्रदेश में नई सरकार बन जाती है। 20 वर्ष पहले 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समय सरकार ने विमान खरीदा था। उसी वर्ष प्रदेश में सरकार बदल गई।

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इसके बाद 2018 में शिवराज सरकार ने विमान खरीदने के आदेश जारी कर दिए थे, लेकिन मप्र में जब विमान आया तब कमलनाथ की सरकार बन चुकी थी। अब मप्र सरकार एक बार फिर नया विमान खरीदने का आदेश जारी करने की तैयारी में है। खास बात यह है कि इसी साल चुनाव होना है। ऐसे में विमान को लेकर जमकर चुटकी ली जा रही है कि क्या इस बार भी नया हवाई जहाज नई सरकार लेकर आएगा?

*और अंत में…!*

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पौधरोपण अभियान के 2 वर्ष पूरे होने पर इस सप्ताह रविवार को राजाभोज एयरपोर्ट के पास मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों ने पौधरोपण किया। इसे मानव निर्मित वन बताया गया है। खास बात यह है कि इस वन की देखभाल का जिम्मा एक एनजीओ श्रीराम आस्था मिशन को मिला है। मिशन के संस्थापक लंबे समय तक एक आईएएस अधिकारी की पत्नी के साथ एनजीओ का संचालन करते थे। आईएएस की पत्नी भोपाल में लोगों को दौड़ाने का काम एनजीओ के माध्यम से करती थीं। इसके लिए कई संस्थाओं से जमकर आर्थिक मदद आती थी। जो राजधानी में चर्चा का विषय रहा है।