पंजाब के ‘तूफ़ान ‘ पर भूले नहीं राजनीतिक कमजोरी से शुरू हुआ खालिस्तानी नर संहार
पंजाब में पिछले कुछ हफ्ते के दौरान खालिस्तान के नाम पर शुरू हुई घटनाओं , पुलिस थाने पर अमृतपाल समर्थकों द्वारा हथियारों से हमला , कब्ज़ा , उसके एक साथी की तत्काल रिहाई और गृह मंत्री अमित शाह सहित सरकार को दी जा रही घटनाएं बहुत गंभीर है | पंजाब सरकार या सत्तारूढ़ पार्टी के नरम रुख के आरोप से 1980 के दशक में जरनैल सिंह भिंडरावाले को केंद्र और राज्य में बैठे कांग्रेसी नेताओं से मिले प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सहयोग समर्थन और सहानुभूति से विस्फोटक आतंकवादी गतिविधियां बढ़ने और पाकिस्तान से उन्हें धन तथा हथियारों से सहायता मिलने की बातें आँखों के सामने आ रही है | इन गतिविधियों से करीब दो दशकों तक हुए प्रभाव पर एक पत्रकार के नाते मैंने इन घटनाओं पर निरंतर रिपोर्टिंग की और सम्पादकीय टिप्पणियां लिखी हैं |
पत्रकार ही नहीं भारत सरकार की सुरक्षा एजेंसियों के पूर्व प्रमुख और इंदिरा राजीव गाँधी के निकटस्थ रहे कांग्रेस के नेता बाकायदा अपनी आत्म कथाओं में विस्तृत विवरण देते हैं कि भिंडरावाले को पहले अकाली को कमजोर करने और फिर कांग्रेस के ही बड़े नेता दरबारा सिंह और ज्ञानी जेलसिंह की आपसी लड़ाई के कारण बढ़ने का अवसर मिला | इंटेलिजेंस ब्यूरो के तत्कालीन प्रमुख टी वी राजेश्वर के अनुसार पंजाब में कांग्रेस के मुख्यमंत्री भिंडरावाले को सहयोग देकर उपयोग कर रहे थे | वहीँ भिंडरावाले ने धर्म और अलग खालिस्तान के नाम पर समर्थन जुटाना शुरू कर दिया | उसका हौसला बढ़ने से सांप्रदायिक हत्याएं होने लगी | इसी क्रम में हिन्द समाचार समूह और दैनिक पंजाब केसरी के प्रकाशक लाला जगत नारायण की हत्या कर दी गई , क्योंकि उनका अख़बार आतंकवादी और अलगाववादी लोगों तथा गतिविधियों के विरुद्ध निरंतर लिख और छाप रहे थे | इस हत्या के पीछे भिंडरावाले का ही हाथ था , लेकिन कांग्रेस नेताओं का नरम रुख रहने से पुलिस ने गिरफ्तारी में देरी की और बाद में केंद्र में गृह मंत्री जेलसिंह ने भी बयान दे दिया कि पर्याप्त सबूत नहीं होने से उसे रिहा कर दिया गया |
पंजाब में खालिस्तानी आतंकवादियों की घटनाएं बढ़ने पर दरबारा सिंह की सरकार भंग कर राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया | राजेश्वर तो यहाँ तक बताते हैं कि एक बार केंद्र सरकार ने उच्च स्तर पर गोपनीय बैठक में भिंडरावाले को मुंबई से अमृतसर आने के रास्ते में गिरफ्तारी की योजना बनाई | लेकिन भिंडरावाले को इसकी सूचना मिल गई और वह एक ट्रक में छिपकर भाग गया | बाद में यह पुष्टि हुई कि ज्ञानी जेलसिंह ने ही उसे किसी विश्वसनीय के माध्यम से इस योजना की पूर्व सूचना दे दी थी | इसी तरह इंदिरा राजीव गाँधी के सबसे करीबी रहे नेता माखनलाल फोतेदार ने भी कांग्रेसियों की आपसी खींचातानी से भिंडरावाले और अन्य तत्वों के बढ़ने , 1983 में स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को निकालने के लिए सैन्य कार्रवाई की नौबत की बात मानी है | सबसे गंभीर मुद्दा यह भी था कि भिंडरावाले समूह ने खालिस्तान को सिख – हिन्दू समाज को बांटने के लिए मासूम हिन्दुओं की हत्या का तरीका अपना लिया था | उस दौर में पंजाब सहित देश के अन्य हिस्सों में बड़े पैमाने पर हत्याएं हुई और 1984 में प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद सामान्य सिख भाइयों की नृशंस हत्याएं हुई |
अमृतपाल सिंह के सन्दर्भ में दो तथ्य और याद रखे जा सकते हैं | खालिस्तानी आतंकवादियों को पाकिस्तान से सहयोग समर्थन मिलने के प्रमाण रहे | तब पाकिस्तान से तस्कर करने वाले एक अमृतलाल पर सुरक्षा कानून के तहत प्रवर्तन निदेशालय ने मामला दर्ज किया | तब विभाग के एक अधिकारी ने मुझे बताया कि राष्ट्रपति ज्ञानी जेलसिंह के एक सहयोगी ने उसे छिपा दिया है और वहां से जब तक वह बाहर नहीं निकलता , उसकी गिरफ्तारी संभव नहीं है | कुछ दिनों बाद ‘ शरण स्थली ‘ से बाहर आते ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया | तब मैंने यह खबर लिखी तो हंगामा मच गया , क्योंकि यह राष्ट्रपति भवन की तरफ संकेत करने वाली थी | बहरहाल अमृतलाल पर अदालती कार्रवाई हुई और उस दौरान वह जेल में भी रहा |
दूसरा तथ्य यह कि भिंडरावाले का अभ्युदय भी अप्रेल 1978 में बैसाखी पर्व के आसपास हुआ था और वह गुरूद्वारे तथा धर्म के नाम पर समर्थन जुटाता था | अब अचानक देश दुनिया में चर्चित खालिस्तानी सरगना अमृतपाल भी बैसाखी पर्व से थोड़ा पहले सक्रिय हुआ है और उसके बयान भी सिख हिन्दू समुदाय को बांटने और अलग खालिस्तान को मान्यता देने की मांग वाले हैं |
अमृतपाल सिंह पर केंद्र सरकार अब तक 2 बड़ा एक्शन ले चुकी है| पहला, अक्टूबर में अमृतपाल सिंह का ट्विटर अकाउंट डिलीट कर दिया गया| इस अकाउंट पर 11 हजार फॉलोअर्स थे. दिसंबर में सरकार ने अमृतपाल के इंस्टाग्राम अकाउंट को भी ब्लॉक कर दिया सरकारी खुफिया एजेंसी ने पिछले महीने पंजाब सरकार को अलर्ट भी जारी किया था |एजेंसी का कहना था कि अमृतपाल की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जाए. वरना पंजाब में बड़ी घटना हो सकती है |
गृह मंत्री को धमकी देने, थाने में धावा बोलने और अपहरण के कई मामलों के आरोपी अमृतपाल खुले में घूम रहा है |लगातार भड़काऊ बयान भी देता है | इसके बावजूद उस पर कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है | ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कौन सी शक्ति अमृतपाल के पीछे खड़ी है? सत्तारूढ़ नेता और सरकार क्या नरम रुख अपना रही है ?
इसमें कोई शक नहीं कि पंजाब में शांत पड़े खालिस्तान आंदोलन को भड़काने के पीछे पाकिस्तान का हाथ है| पिछले कुछ महीनों में वहां आरपीजी और ड्रोन का अटैक हुआ है, जो पाकिस्तान का ही था | खुफिया रिपोर्ट में भी इसका जिक्र किया गया है |
पिछले साल संगरूर में हुए लोकसभा उपचुनाव में जब सिमरनजीत सिंह मान चुनाव जीते, उस वक्त से भी माना जा रहा था कि खालिस्तान आंदोलन फिर तेज होगा| मान पूर्व पुलिस अधिकारी रहे हैं और उन पर एसएसपी रहने के दौरान खालिस्तान उग्रवादियों के लिए हथियार सप्लाई में सहयोग करने का आरोप लगा था |पंजाब में जब ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू हुआ तो मान ने आईपीएस पद से इस्तीफा दे दिया |सितंबर में अमृतपाल समर्थकों के साथ जब भिंडरावाले के गांव गए थे, तो उस वक्त मान भी उनके साथ थे |पुलिस उन पर कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रही है?
अब हौसला बढ़ गया है , अमृतपाल सिंह ने मीडिया के सामने आकर बड़े-बड़े बयान दे डाले| उसने देश के गृह मंत्री अमित शाह को सीधी धमकी दे दी | ये भी कहा कि खालिस्तान की मांग जारी है और कभी खत्म नहीं होगी |खुलेआम दिए गए इन बयानों से एक बात तो सीधे-सीधे समझ में आती है कि खालिस्तान के समर्थक अपनी मांग के साथ डटे हुए हैं | इस एक घटना से पहले भी हाल के सालों में बहुत कुछ ऐसा हुआ जिससे पता चलता है कि खालिस्तानी आतंकवादी समूह फिर से सिर उठा रहे हैं | इसी फरवरी की बात है. शिवरात्रि पर ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड के गायत्री मंदिर में पाकिस्तान से एक फोन आया| फोन पर धमकी दी गई |कॉल करने वाले ने मंदिर की समिति के अध्यक्ष से खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने को कहा. कॉलर ने धमकी दी कि खालिस्तान जिंदाबाद कहने पर ही मंदिर में शिवरात्रि का त्यौहार मनाने की इजाजत मिलेगी |ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में हाल ही में कई हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की गई. आरोप सीधे तौर पर खालिस्तान समर्थक आंदोलन से जुड़े लोगों पर लगा. 12 जनवरी, 2023 को ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में स्वामीनारायण मंदिर पर हमला किया गया. इसके बाद 16 जनवरी को विक्टोरिया में श्री शिवा विष्णु मंदिर में तोड़फोड़ हुई, तो वहीं 23 जनवरी को मेलबर्न के इस्कॉन टेंपल में भी बवाल हुआ | जनवरी में ही ऑस्ट्रेलिया से एक वीडियो आया. मेलबर्न स्क्वायर में भारत का तिरंगा लिए कुछ लोगों के साथ मारपीट की जा रही थी| हमला करने वाले खालिस्तानी समर्थक थे और उन्होंने ‘खालिस्तान’ का झंडा भी अपने हाथों में पकड़ रखा था| मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, खालिस्तान समर्थित संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) ने 29 जनवरी को खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह करवाने की घोषणा की थी | भारतीयों ने जनमत संग्रह का विरोध किया था | इसके बाद ही मारपीट शुरू हुई. हमला करने वालों ने ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे भी लगाए | इसी तरह ब्रिटेन और कनाडा में खालिस्तानियों को पाकिस्तानी समर्थन मिल रहा है | इसलिए अब पंजाब और केंद्र सरकारों को मिलकर भारत की एकता और अखंडता के लिए आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित करना होगा |