पूरी आबादी पर पूरा फोकस…यह बजट चुनावी गजट है…
आंकड़ों को नदी में बहा दें और फिर आम आदमी की नजर से देखें तो मध्यप्रदेश सरकार का यह बजट हर वर्ग में खुशियां बिखेरने की पक्की गारंटी दे रहा है। विपक्ष की नजर से देखें तो यह बजट एक फक्कड़ की दरियादिली की तरह है। वहीं सत्ता पक्ष की नजर से देखा जाए तो यह बजट पूरी आबादी पर पूरा फोकस करने वाला है। बजट पढ़कर लगता है कि चुनावी साल में इसकी ड्राफ्टिंग में परिश्रम की पराकाष्ठा हुई है। पर फिर भी आम जनता में वह वर्ग अब भी हैं, जिन्हें बजट से शिकायत बनी हुई है। हालांकि अब सरकार सबको खुश करने की लाख कोशिश करे, लेकिन लोग भी “दिल है कि मानता नहीं” की तर्ज पर सरकार को आइना दिखाने से चूकते भी नहीं हैं। अब उस गैस की आंच भी मध्यप्रदेश के मनभावन बजट पर पड़ ही गई, जिसकी कीमतें बढ़ने और घटने से प्रदेश सरकार का कोई लेना देना ही नहीं था।
खैर बजट की बात करें तो आधी आबादी को आबाद करने में सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी है। सरकार ने महाकाल को याद कर अपनी मंशा जताई है कि सुख का मूल धर्म है और धर्म का मूल अर्थ है। अर्थ का मूल राज्य है और राज्य का मूल है इंद्रियों पर विजय। और अपनी सरकार की विशेषता बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि हिमगिरि सा श्वेत धवल जीवन, विश्वास अचल विंध्याचल सा। यह दोनों ही बातें शायद आम आदमी की समझ में न आ सकें। पर यह तो समझ में आएगा कि सरकार ने बेटियों के जन्म से लेकर उनकी सेहत, पढ़ाई लिखाई, शादी-ब्याह, घर-द्वार, कमाई सबका ख्याल रखा है। और इसका प्रमाण भी दिया है कि लिंगानुपात 2015-16 में 927 से बढ़कर 2020-21 में 956 हो गया है। लाड़ली लक्ष्मी योजना, उदिता कार्यक्रम, महिला स्वसहायता समूह, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, नई आबकारी नीति में अहातों को बंद कर शराब को हतोत्साहित कर परिवारों की खुशियां लौटाने, जनजातियों को कुपोषण से मुक्त कराने के लिए आहार अनुदान योजना और इन सब पर भी भारी जून से एक हजार रुपए पात्र बहनों के खाते में डालने वाली लाड़ली बहना योजना है। जिसका असर इतना होने वाला है कि खाते में हर माह एक हजार पाने वाली बहना भाई के दल कमल को वोट देने के लिए अपने पति से भी बगावत कर दे, तब भी कोई बड़ी बात नहीं। 2023 के चुनाव परिणाम यही कहानी बयां करने वाले हैं, ऐसा कोई और न भी सोचे पर शिवराज तो सोच ही रहे होंगे।
युवाओं पर तो मानो सरकार ने सब कुछ न्यौछावर करने की ठान ली है। एक लाख सरकारी नौकरियां देने का अभियान, भोपाल की तर्ज पर ग्वालियर, रीवा, जबलपुर और सागर में स्किल सेंटर तैयार करना जो उद्योगों की अपेक्षा पर युवाओं को तैयार करेंगे। युवाओं को स्वरोजगार के लिए ऋण और रोजगारमूलक योजनाओं के लिए बजट का प्रावधान सहित मुख्यमंत्री कौशल एप्रेंटिसशिप योजना लागू की जा रही है। हिंदुस्तान का दिल धड़का दो यानि खेलो इंडिया यूथ गेम्स का हवाला देते हुए बरखेड़ा नाथू अंतर्राष्ट्रीय स्पोर्ट्स कांप्लेक्स का निर्माण व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्पोर्ट्स साइंस सेंटर की स्थापना की जानकारी देते हुए युवाओं को ऊर्जा से ओतप्रोत करने की कोशिश सरकार ने की है। पर्याप्त बजट प्रस्तावित है। तो युवाओं का भरोसा भी जीतने का जतन बजट में है।
बजट में सरकार ने किसान समाधान योजना के तहत डिफाल्टर किसानों का कर्ज पर ब्याज भरने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत प्रदेश के ऐसे 22 लाख किसानों को शामिल किया जाएगा, जिन्होंने कोरोना या बाढ़ के कारण बर्बाद हुई फसलों के चलते अपने ऋणों का भुगतान नहीं कर पाए हैं और डिफाल्टर घोषित किए गए। बजट में मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना की घोषणा करते हुए इसके लिए 3200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। फूलों और मछली की खेती पर सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। तो नर्मदा का पानी किसानों तक पहुंचाया जाएगा। किसानों का विश्वास जीतने का यह प्रयास बजट में साफ झलक रहा है।
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प्रदेश सरकार ने 15 किलोमीटर के दायरे में बच्चियों को स्कूल लाने-ले जाने के लिए बस सुविधा दिए जाने की घोषणा की है। इसका खर्च सरकार उठाएगी। इस योजना के लिए सरकार द्वारा बजट में 1000 करोड़ का प्रावधान किया गया है और सबसे चमत्कारिक प्रावधान यह है कि बारहवीं में फर्स्ट क्लास आने वाली छात्राओं को स्कूटी दी जाएगी। चुनाव से पहले यह लाखों स्कूटी जब सड़क पर दौड़ेगीं तो दिल किसके लिए धड़केगा। यह छात्राएं वोटर भी बनेंगी।
900 किलोमीटर लंबा नर्मदा प्रगति पथ बनेगा। 105 नए ओवरब्रिज बनाए जाएंगे। सड़क निर्माण और विकास के लिए 10,182 करोड़ का प्रावधान किया गया है। 109 रेलवे ओवरब्रिज सहित,354 पुल बनेंगे। सिंगरौली में खनन प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय खुलेगा। सीएम ग्रामीण सड़क योजना के तहत 8000 किलोमीटर सड़क बनेगी। बुंदेलखंड के 6 जिलों में जल संकट की योजना शुरू की।सिंचाई योजना के लिए 11 हजार 500 करोड रुपए प्रस्तावित हैं। सीएम कन्यादान योजना की राशि 51,000 से बढ़ाकर 55,000 की गई। सलकनपुर में श्रीदेवी महालोक, सागर में संत रविदास स्मारक, ओरछा में रामराजा लोक, चित्रकूट में दिव्य वनवासी राम लोक को डेवलप किया जाएगा। तीर्थों तक हैलीकॉप्टर सेवा का जिक्र भी है।
कुल मिलाकर चाहे नगरीय निकाय विभाग हो, चाहे स्कूली शिक्षा-उच्च शिक्षा या चिकित्सा शिक्षा, किसान शक्ति की बात हो या फिर अधोसंरचना विकास, पुल-पुलिया सड़कें निर्माण हो, अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक पिछड़ा वर्ग कल्याण हो, ऊर्जा, उद्योग व्यापार हो, संस्कृति पर्यटन हो, ग्राम विकास हो या कोई भी क्षेत्र हो, सरकार ने सभी सहूलियत देने की पूरी कोशिश की है। नया कर नहीं लगाया, पुराने कम किए। और पूरा स्नेह मध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता पर बरसाकर स्वर्णिम मध्यप्रदेश का भरोसा जगाया है।
सरकार को उम्मीद यही है कि यह पेपरलेस डिजिटल बजट चुनावी गजट की तरह काम करेगा और जब दो-तीन माह में बजट स्वर्णिम लक्ष्य हासिल करेगा तो चाहे आधी आबादी महिला हो, युवा हो, छात्र-छात्राएं हों या किसान हो, व्यापारी हो या उद्योगपति, सभी के चेहरों पर जो मुस्कान बिखरेगी तो कमल खिलेगा और नाथ मुरझाएंगे। वहीं नाथ भी बेफिक्र हैं कि आगामी छह माह में डिजिटल बजट रियल में कितना खरा साबित होता है, यह प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता समझ जाएगी और तब तक मतदान की बेला आ जाएगी। तो शिव भी खुश और नाथ भी फील गुड में हैं और वित्त मंत्री देवड़ा “गीत नया गाता हूं” संग बजट पेश कर चिंतामुक्त हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा फिर कार्यकर्ताओं को याद दिला रहे हैं कि हर बूथ पर 51 फीसदी वोट हासिल करना है। यह तय है कि परिश्रम की पराकाष्ठा कर बजट में प्रदेश की पूरी साढ़े आठ करोड़ आबादी पर पूरा फोकस किया गया है…। यह बजट वास्तव में चुनावी गजट है…।