Ujjain Panchkroshi Yatra: पंचक्रोशी यात्रा 15 अप्रैल से, समापन 19 अप्रैल को

पंचक्रोशी यात्रियों की व्यवस्था बेहतर हो, कलेक्टर ने सम्बन्धित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये

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Ujjain Panchkroshi Yatra: पंचक्रोशी यात्रा 15 अप्रैल से, समापन 19 अप्रैल को

उज्जैन से अजेंद्र त्रिवेदी की रिपोर्ट

Ujjain: आस्था के सैलाब को लेकर चलने वाली 115 किलोमीटर की पंचक्रोशी यात्रा 15 अप्रैल से प्रारम्भ होगी। यात्रा का समापन 19 अप्रैल को होगा।

कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने पंचक्रोशी यात्रा के सम्बन्ध में बैठक लेकर सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि पंचक्रोशी यात्रा एक बड़ा त्यौहार है, इसलिये सौंपे गये दायित्व का निर्वहन अपने-अपने मातहतों को जिम्मेदारी सौंपी जाये। पंचक्रोशी यात्रियों के लिये व्यवस्थाएं बेहतर करें। कलेक्टर ने एडीएम को निर्देश दिये कि बैठक में दिये गये निर्देशों का पालन हेतु 15 दिन के बाद पुन: बैठक ली जाये।

कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने पंचक्रोशी यात्रियों के लिये पड़ाव एवं उप पड़ाव पर की जाने वाली पेयजल, प्रकाश, साफ-सफाई, टेन्ट आदि की व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये। कलेक्टर ने विद्युत, लोक निर्माण विभाग, नगर निगम, पुलिस, राजस्व, जनपद, होमगार्ड, स्वास्थ्य, पीएचई, दुग्ध संघ, जनपद पंचायत सीईओ, शिक्षा, खाद्य, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय, होमगार्ड, महिला बाल विकास, जिला पंचायत आदि के अधिकारियों को पंचक्रोशी यात्रा के पड़ाव एवं उप पड़ाव स्थलों पर व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। कलेक्टर ने यात्रा के दौरान यात्रा मार्ग, पड़ाव एवं उप पड़ाव स्थलों पर निजी संस्थाओं के द्वारा किये जाने वाले भण्डारों के संचालकों से समन्वय कर उन्हें आवश्यक हिदायत दी जाये।

उल्लेखनीय है कि पंचक्रोशी यात्रा अनादिकाल से प्रचलित थी, जिसे राजा विक्रमादित्य ने प्रोत्साहित कर 14वी शताब्दी से चली आ रही है। स्कंदपुराण के अनुसार अनन्तकाल तक काशीवास की अपेक्षा वैशाख मास में मात्र पांच दिवस अवंतिवास का पुण्य फल अधिक है। वैसाख कृष्ण दशमी पर शिप्रा स्नान व नागचंद्रेश्वर पूजन के पश्चात यात्रा प्रारम्भ होती है, जो 118 किमी की परिक्रमा करने के बाद कर्क तीर्थवास में समाप्त होती है और तत्काल अष्टतीर्थ यात्रा आरम्भ होकर वैशाखा कृष्ण अमावस्या को शिप्रा स्नान के पश्चात पंचक्रोशी यात्रा का समापन होता है। उज्जैन का आकार चौकोर है। क्षेत्र रक्षक देवता श्री महाकालेश्वर का स्थान मध्य बिन्दु में है। इस बिन्दु के अलग-अलग अन्तर से मन्दिर स्थित है, जो द्वारपाल कहलाते हैं। इनमें पूर्व में पिंगलेश्वर, दक्षिण में कायावरोहणेश्वर, पश्चिम में बिल्वकेश्वर तथा उत्तर में दुर्देश्वर महादेव जो चौरासी महादेव मन्दिर श्रृंखला के अन्तिम चार मन्दिर हैं।

नागचंद्रेश्वर से पिंगलेश्वर पड़ाव की दूरी 12 किमी, पिंगलेश्वर से कायावरोहणेश्वर पड़ाव की दूरी 13 किमी, कायावरोहणेश्वर से नलवा उप पड़ाव की दूरी 21 किमी, नलवा उप पड़ाव से बिल्केश्वर पड़ाव अंबोदिया की दूरी 6 किमी, अंबोदिया पड़ाव से कालियादेह उप पड़ाव की दूरी 21 किमी, कालियादेह से दुर्देश्वर पड़ाव जैथल की दूरी 12 किमी, दुर्देश्वर पड़ाव जैथल से उंडासा की दूरी किमी, उंडासा उप पड़ाव से शिप्रा घाट की दूरी 12 किमी है।

बैठक में जिला पंचायत सीईओ अंकिता धाकरे, एडीएम संतोष टैगोर, अपर कलेक्टर एवं प्रशासक संदीप सोनी, स्मार्ट सिटी सीईओ आशीष पाठक, उज्जैन व घट्टिया एसडीएम तथा सम्बन्धित विभागों के जिला अधिकारी उपस्थित थे।