New Delhi: एक साल पहले पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय के मामले सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया था, उसकी पुनः समीक्षा की जाएगी। यह उलझन उस समय खडी हुई जब उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी का केट, इलाहाबाद के एक आदेश को रद्द कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जनवरी में आदेश दिया था कि कैट की प्रिंसिपल बैच के अध्यक्ष के आदेश को केवल दिल्ली हाईकोर्ट में ही चुनौती दी जा सकती है।
वकील श्याम दीवान ने 3 मार्च को अदालत में दलील दी थी कि भारत में 25 हाईकोर्ट है और सभी समानरूप से प्रमुख बैंच के अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ सुनवाई करने मे सक्षम है। दूर दराज के कर्मचारियों को अपील के लिए दिल्ली आने मे बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दलील के बाद सर्वोच्च न्यायालय अपने उस पुराने फैसले की पुनः समीक्षा को तैयार हो गया।
अलपन का तबादला पिछले साल जब केंद्र सरकार ने दिल्ली किया था तब वे कलकत्ता स्थित कैट की शरण में गये जहां से उन्हें राहत मिल गई। केंद्र सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गयी और हस्तक्षेप की मांग की। तब सर्वोच्च न्यायालय ने प्रिसिंपल बैंच के अध्यक्ष के निर्णय के खिलाफ केवल दिल्ली हाईकोर्ट को ही अधिकृत किया था।