Great Traditions: बस्तर का अनूठा फागुन मंडई उत्सव

636

Great Traditions: बस्तर का अनूठा फागुन मंडई उत्सव

बस्तर से ओम सोनी की खास रिपोर्ट

बस्तर के दंतेवाड़ा में इन दिनों फागुन मंडई का उत्साह अपने चरम पर है। फागुन शुक्ल षष्ठी में कलश स्थापना से प्रारंभ होकर होली में रंग भंग उत्सव के बाद भी विदाई तक अनेक रस्मे निभाई जाती है।

WhatsApp Image 2023 03 13 at 11.25.15 AM

प्रतिदिन मंदिर से शाम को मां दंतेश्वरी एवम देवी मावली की पालकी नारायण मंदिर के लिए प्रस्थान करती है। रात्रि को बढ़ते क्रम के समय में शिकार के नाट्य रूपों का मंचन आदिवासी करते हैं जिसमे कोडरी मार, लम्हामार, चितलमार, गंवर मार मुख्य है।

WhatsApp Image 2023 03 13 at 11.25.14 AM

देवी की पालकी देवी दंतेश्वरी के तालाब मेनका डोबरा के तट पर स्थित श्री नारायण मंदिर के समक्ष लाई जाती है यहां विश्राम उपरांत पालकी पुन मंदिर वापस ले जाई जाती है। यह दूरी एक किलोमीटर से भी कम है किंतु इसे तय करने में दो घंटे से अधिक जाने और उतना ही समय वापसी में लगता है। देवी दंतेश्वरी के दरबार में हजार देवी देवताओं के ध्वजा और उनके छत्र ग्रामीण क्रमबद्ध रूप से लेकर बढ़ते हैं।

पालकी के आगे बायसन हॉर्न मूरियाओ का गौर नृत्य, कुआंकोंडा के युवाओं का डंडारी नृत्य और उड़िया नाट्य सिंग बाजा वाले, मुंडा बाजा वाले मस्ती में नाचते गाते आगे बढ़ते हैं और हजारों लोग धीरे धीरे साथ साथ चलते हैं। देवी के सम्मान का दृश्य बेहद ही आकर्षक होता है।

बस्तर के सारे देवी देवताओं के प्रतीक और आसमान में लहराती उनकी रंग बिरंगी ध्वजाएं, नाचते गाते आदिवासी, तरह तरह के गीत संगीत, देवी की पालकी, बस्तर महाराजा, पुजारी, बारह लंकवार, सेवादार, शहर