Boxing Women : किसान परिवार से निकली बॉक्सिंग वुमेन मंजू बंबोरिया

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Boxing Women : किसान परिवार से निकली बॉक्सिंग वुमेन मंजू बंबोरिया

 

खाचरौद से ऋतुराज बुड़ावनवाला की रिपोर्ट 

Khachrod (Ujjain) : जिले की तहसील खाचरोद कस्बे में साधारण कृषक परिवार में जन्मी और पली-बढ़ी मंजू बंबोरिया ने शनिवार को नई दिल्ली में इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में चल रही महिला विश्व चैंपियनशिप में अपने भार वर्ग में प्री-क्वार्टर में प्रवेश किया। मंजू (66 किग्रा) ने न्यूजीलैंड की कारा व्हारेरू को 5-0 से हराया। ये सिर्फ खाचरौद, उज्जैन या प्रदेश की ही नहीं देश की भी उपलब्धि है।

सीधे-साधे किसान परिवार की संतान बॉक्सिंग खिलाड़ी मंजू बंबोरिया 8 साल की उम्र में तकिये की खोल में बालू रेत भरकर बॉक्सिंग किया करती थी। स्कूल चैंपियनशिप में जूनियर वर्ग में, फिर जिला, संभाग और स्टेट में शानदार प्रदर्शन के बाद स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के चयनकर्ताओं ने उसे भोपाल की एकेडमी में प्रवेश दिया।

प्रतिदिन 8 घंटे नियमित प्रैक्टिस करने वाली मंजू बंबोरिया ने शुरुआत में गोआ, कोलकाता, चेन्नई, बैंगलोर, गुवाहाटी, कुरुक्षेत्र, रोहतक, हिसार, जालंधर, विशाखापत्तनम, हैदराबाद, दिल्ली, भोपाल, जबलपुर,सहित अन्य शहरों में राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में भाग लिया। राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिता में इसके प्रदर्शन को देखकर सन 2012 में भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) भोपाल में कार्यरत जयवीर सिंह जागलान तथा वर्षा त्रिपाठी ने मंजू बंबोरिया का चयन कर अपनी अगुवाई में बेसिक कोच बनकर इसकी तैयारी करवाई।

इसके बाद 2013 में मंजु ने नेशनल खेलकर कांस्य पदक जीता। नेशनल कैंप में चयन होने के बाद पहली बार सन 2014 में बुल्गारिया (सोफिया) में आयोजित मुक्केबाजी की। यहां अंतरराष्ट्रीय विश्व महिला प्रतियोगिता में भाग लिया और इसी साल ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी बनारस में कांस्य पदक जीता। सन 2015 में रशिया में 15 दिन का ट्रेनिंग कैंप किया।

ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी कुरुक्षेत्र में रजत पदक, ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी एलपीयू पंजाब में कांस्य पदक, तीसरी इलाईट वुमन नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप (कर्नाटक) में भी कांस्य पदक जीता। 2016 में सर्बिया में पांचवी नेशनल कैंप किया। इस बीच सन 2017 में घुटने में चोट लगी। सन 2018 में दिल्ली में आपरेशन हुआ और इसके केरियर में रुकावट आई।

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वे दो साल बॉक्सिंग रिंग से दूर रही, किंतु हार नहीं मानी और रिहैबिलेशन के लिए बैंगलोर गई। सन 2017 से 2018 तक 2 साल का समय घुटने की चोट को ठीक करने में लगा। इन दो साल में इनकी दोस्त अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी निखत जरीन तेलंगाना (हैदराबाद) ने हौसला अफजाई करते हुए आगे की तैयारी के लिए अपने साथ ट्रेनिंग सेंटर में एडमिशन करा दिया। वहां डॉक्टर तथा फिजियो और ट्रेनिंग कोच की अच्छी सुविधा उपलब्ध कराई, जिससे घुटने की चोट से उबर ग‌ई।

जनवरी 2019 में वापसी की और नेशनल चैंपियनशिप में ब्रांज मेडल जीता उसके साथ ही इंटरनेशनल चैंपियनशिप के लिए चयनित होकर दिल्ली में आयोजित होने वाले नेशनल कैंप में शामिल हुई और 4 महीने की ट्रेनिंग के बाद इंटरनेशनल रिंग में वापसी की। सन् 2019 में 2th इंडिया ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग चैंपियन शीप गुवाहाटी में कांस्य पदक जीता तथा इलाईट वुमन वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप रसिया में भागीदारी की। 2019 में ही 13वीं साउथ एशियन गेम्स नेपाल में मंजू बंबोरिया ने स्वर्ण पदक प्राप्त कर विश्व में भारत के नाम का डंका बजा कर तहलका मचा दिया।

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मंजू बंबोरिया उज्जैन जिले की तहसील खाचरौद जैसे छोटे से कस्बे के सामान्य कृषक परिवार की बेटी हैं। विश्व पटल पर खाचरौद का नाम रोशन कर क्षेत्रवासियों की आंख का तारा बन गई। इस बेटी के पिता शांतिलाल बंबोरिया ने बेटी मंजू बंबोरिया को इस मुकाम तक पहुंचाने में कई आर्थिक कठिनाइयों का सामना किया। अपनी पत्नी के जेवरात गिरवी रखकर उन्होंने इसे समय-समय पर बॉक्सिंग की रिंग तक पहुंचाया।

मंजू बंबोरिया और इनका परिवार कांग्रेस नेता दिलीप सिंह गुर्जर (वर्तमान कांग्रेस विधायक नागदा-खाचरौद) को इन सारी उपलब्धियों के सहयोगी का श्रेय देते नहीं अघाते। वे अपने कंधे से कंधा मिलाकर हर समय इनका साथ देते हैं। मंजू ने यहां तक बहुत स्ट्रगल किया। सन 2014 में जब इनके पास आर्थिक रूप से कुछ नहीं था तो पहली बार बॉक्सिंग में दिलीप सिंह गुर्जर की मदद से नेपाल के काठमांडू में पहुंच कर वहां आयोजित 13वें दक्षिण एशिया गेम्स में नेपाल की पूनम को हराकर स्वर्ण पदक जीता था। खाचरौद (उज्जैन) से शुरुआत कर मंजू बंबोरिया ने हाल ही में वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में न्यूजीलैंड की प्रतिद्वंदी को हराकर एक बार पुनः भारत का नाम रोशन किया। भारतीय मुक्केबाजों ने अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा।