अमेरिकी भांजी के हत्यारे मामा को 7 साल बाद मिली सजा

अपनी करोड़ों की जमीन पाने आई थी, मिली निर्मम मौत

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अमेरिकी भांजी के हत्यारे मामा को 7 साल बाद मिली सजा

जिला ब्यूरो चीफ चंद्रकांत अग्रवाल की एक्सक्लूसिव रपट

सोहागपुर। मौत उसे अमेरिका से इंडिया खींच लाई। पर फिल्म दृश्यम जैसी इस मर्डर मिस्ट्री का अंत फिल्म दृश्यम 2 के क्लाइमेक्स जैसा नहीं हुआ क्योंकि उसकी डेड बॉडी की पहचान उसकी बहन के डी एन ए टेस्ट से हो गई। फिर हत्यारे मामा व तत्कालीन ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष को भी जुर्म में सहभागी रहे अपने दो नौकरों की गवाही के कारण अपना जुर्म कुबूल करना ही पड़ा। अमेरिकी दूतावास की पूर्व कर्मचारी लीना शर्मा जो 2016 में अचानक गायब हो गई थी। उसकी गुमशदगी के 7 दिन बाद उसके सगे मामा, जिसने उसकी हत्या की थी ने ही नर्मदापुरम (होशंगाबाद) जिले के सोहागपुर थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी।

शिकायत के 10 दिन बाद ही पुलिस को पहला क्लू मिला। फिर करीब 15 दिनों की खोजबीन के बाद नाले में दफन उसकी लाश मिल गई। लेकिन इस मर्डर मिस्ट्री की कड़ियां जोड़ने में और परिवार को न्याय मिलने में 7 साल का लंबा समय लग गया । विगत 21 मार्च को कोर्ट ने तीनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। हालांकि गांव वाले आज भी यही कहते हैं कि जिस जमीन के लिए लड़की ने जान गंवाई, वो तो आज भी उसके हत्यारे मामा प्रदीप शर्मा के कब्जे में ही है।

मामा प्रदीप ने भांजी की हत्या के बाद शव को नष्ट करने के लिए अपने नौकरों से गड्ढा खुदवाया था। गड्ढे में नमक और यूरिया डालने के बाद शव को निर्वस्त्र कर दफना दिया था। उसके पर्स से वसीयतनामा निकालकर, जींस पेंट और पर्स को अपने घर के पीछे मेढ़ पर जला दिया था। वसीयतनामा को अपने पास रख लिया था। लीना मर्डर मिस्ट्री के मुख्य आरोपी ने हत्या से दो साल पहले आई फिल्म दृश्यम की तरह पुलिस को गुमराह करने की हर संभव कोशिश की।

भांजी को मौत के घाट उतारने के बाद उसके दोनों मोबाइल को इटारसी से जबलपुर की ओर जाने वाली पैसेंजर ट्रेन में फेंक दिया, ताकि पुलिस उसकी लोकेशन को लेकर भ्रमित होती रहे। पर वह दृश्यम 2 के हीरो की तरह अपने इरादों में सफल न हो सका। संयोग से ये मोबाइल पुलिस को घटनास्थल से करीब 30 किलोमीटर दूर ही पिपरिया स्टेशन पर एक लड़के के पास से मिल गए।

इन्हीं मोबाइल की कॉल डिटेल से पूरे मामले की कड़ियां जुड़ती गईं। लापता होने के 15 वें दिन पुलिस ने एसडीएम, तहसीलदार की उपस्थिति में गड्ढा खुदवाकर लाश को निकलवाया। वहीं एक खास बात यह भी रही कि लीना के लापता होने से 15 वें दिन शव मिलने की अवधि में ही उसके दोस्तों ने सोशल साइट पर ‘सेव लीना’ नाम से एक कैंपेन भी चलाया था। जिसे अच्छा-खासा जन समर्थन भी मिल रहा था।

पुलिस पर इस मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने का दबाव भी लगातार बढ़ रहा था। प्रदेश ही नहीं राष्ट्रीय स्तर के मीडिया में भी लीना के लापता होने और फिर उसकी हत्या की खबर छाई हुई थी, लेकिन हत्या के मुख्य आरोपी प्रदीप शर्मा के राजनीतिक प्रभाव की वजह से कोई भी उसके खिलाफ बयान देने को तैयार नहीं था। एक तरफ पुलिस लीना की तलाश में जुटी थी। वहीं भोपाल और दिल्ली से लीना के दोस्त पुलिस को लगातार फोन कर रहे थे। लीना के कुछ दोस्तों ने पुलिस को बताया कि लीना का अपने मामा के साथ जमीन का विवाद चल रहा है। हो सकता है कि उसके गायब होने में उनका हाथ हो, लेकिन पुलिस के पास कोई ठोस सबूत नहीं थे, इसलिए गिरफ्तारी नहीं हो पा रही थी। पर हत्यारे मामा के सिर्फ एक झूठ ने पुलिस को उस तक पहुंचा दिया।

मामा ने अपनी भांजी लीना की गुमशुदगी की शिकायत में कहा था कि 28 अप्रैल सुबह 9 बजे लीना आई थी। जबकि लीना को खेत तक छोड़ने वाले ऑटो चालक ने कहा था कि उसने खुद लीना को 29 अप्रैल की सुबह 9 बजे खेत पर छोड़ा था। वहीं, लीना के दोस्त भी पुलिस को मामा प्रदीप पर शक होने की बात कहते रहे। लीना के डूडादेह पहुंचने की तारीख को लेकर बोले गए मामा प्रदीप शर्मा के सिर्फ एक झूठ ने पूरी मिस्ट्री को सुलझा दिया।

पुलिस ने प्रदीप शर्मा के दो नौकरों गोरेलाल और राजेंद्र को हिरासत में लेकर कड़ाई से पूछताछ शुरू की तो दोनों ने बताया कि प्रदीप ने ही हत्या को अंजाम दिया है। हम दोनों तो बस उनका सहयोग कर रहे थे। फिर पुलिस ने प्रदीप शर्मा को हिरासत में लिया तो उसने लीना के डूडादेह गांव पहुंचने से लेकर उसकी हत्या करने और शव को ठिकाने लगाने की पूरी कहानी पुलिस को बता दी। प्रदीप ने बताया कि फेंसिंग करने को लेकर विवाद इतना बढ़ा कि मैंने लीना पर पत्थर से और नौकर गोरेलाल, राजेंद्र ने उसके सिर पर डंडे से हमला कर दिया। गहरी चोट लगने से वह जमीन पर गिर गई। थोड़ी देर तक तड़पने के बाद उसकी मौत हो गई।

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इसके बाद शव को ट्रैक्टर में रखकर नौकरों के साथ सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र के कामती के जंगल में पहुंचे। वहां बरसाती नाले में ‘गड्ढा खोदकर उसे दफना दिया। शव पर मिले टैटू और ब्रेसलेट से लीना शर्मा की बहन ने शिनाख्त की क्योंकि लीना शर्मा की लाश काफी सड़ चुकी थी। अतः उसकी पहचान कराने के लिए बहन हेमा शर्मा का भोपाल में डीएनए टेस्ट कराया गया था। डीएनए रिपोर्ट से लीना के शव की पहचान हुई थी।

हत्या के खुलासे के बाद लीना के मामा प्रदीप शर्मा, नौकर गोरेलाल, राजेंद्र को जेल भेजा गया । हालांकि प्रदीप शर्मा 9 महीने बाद 22 फरवरी 2017 को जमानत पर जेल से बाहर आ गया। जिसके सवा महीने बाद 1 अप्रैल 2017 को गोरेलाल और राजेंद्र भी जमानत पर बाहर आ गए। लीना शर्मा 10.41 एकड़ की अपनी पुश्तैनी जमीन को अपने कब्जे में पाने के लिए तार फेंसिंग करना चाहती थी।

20 अप्रैल 2016 को लीना ने सीमांकन कराकर मामा के कब्जे से जमीन को मुक्त कराया था। वह चाहती थीं कि अपने कब्जे की जमीन पर फेंसिंग करा दे, ताकि दोबारा कोई कब्जा न कर सके। तार की फेंसिंग कराने के लिए उसने प्रताप कुशवाहा से बात की। 29 अप्रैल 2016 की सुबह करीब 9 बजे वह प्रताप कुशवाहा, उसके कर्मचारी गंगाराम और तुलाराम के साथ मौके पर गई थीं। मामा प्रदीप शर्मा ने उन्हें फेंसिंग कराने से रोका। मामा ने कहा कि मैं भी अपनी जमीन की फेंसिंग कराने वाला हूं। साथ में ही करा देंगे। मामा की इस बात पर लीना मान गई।

उसने मजदूरों को फेंसिंग का सामान खेत के पास ही रहने वाले पड़ोसी डेनियल प्रकाश के घर पर रखने के लिए कहा। इसके बाद वो अपने मामा प्रदीप के घर की तरफ चली गई। यह जानकारी सरकारी अधिवक्ता शंकरलाल मालवीय ने दी। 64 गवाहों की गवाही और भौतिक साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने पूर्व ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप शर्मा (63), नौकर गोरेलाल (32) और राजेंद्र (27) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

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कोर्ट ने कहा कि वारदात जरूर निर्मम है, लेकिन उक्त परिस्थिति मृत्युदंड दिए जाने के लिए पर्याप्त नहीं है। मामा प्रदीप शर्मा ने अपनी भांजी की जमीन हड़पने के लिए नौकरों के साथ मिलकर उसकी हत्या की। यह अपराध पारंपरिक पारिवारिक संबंधों पर आधारित सामाजिक ताने-बाने पर विपरीत प्रभाव डालने वाला है। प्रदीप शर्मा, गोरेलाल, राजेंद्र का आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। दोबारा ऐसे कोई अपराध करने की संभावना नहीं है।

अभियुक्त समाज के लिए खतरा है, ऐसा भी प्रतीत नहीं होता। इस कारण ये केस ‘विरल से विरलतम’ रेयरेस्ट ऑफ द रेयर की श्रेणी में नहीं आता है। जहां मृत्यु दंड (फांसी) अपेक्षित हो। पर इस हत्या का कारण बनी वो जमीन आज भी हत्यारे मामा प्रदीप शर्मा के ही परिवार के कब्जे में है। उन्हीं के परिजन उस पर फसल उगा रहे हैं। लीना शर्मा की बहन हेमा शर्मा, अपने पति के साथ दूसरे राज्य में ही रहती है।

ग्रामीणों का कहना है कि वारदात के बाद जमीन को पाने वो अब तक गांव नहीं आई है। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा है कि लीना शर्मा की भूमि को प्रदीप शर्मा ने अपने उपयोग के लिए रख लिया है। इसे लीना शर्मा के वैध उत्तराधिकारी को देना न्यायोचित है। इसके लिए भी कोर्ट ने आदेश दिया है। इस तरह मध्यप्रदेश के बहुचर्चित लीना शर्मा हत्याकांड में कोर्ट ने सगे मामा समेत 3 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दिल्ली में अमेरिकी दूतावास में सहायक प्रबंधक के पद पर कार्य कर चुकीं लीना शर्मा हत्याकांड में नर्मदापुरम जिले के सोहागपुर कोर्ट ने 21 मार्च को यह फैसला सुनाया।