TDR Policy की सुस्त चाल, नियम बने साढ़े 4 साल बीते, लाभ किसी को नहीं
भोपाल: मध्यप्रदेश में TDR Policy पर काफी सुस्त गति से काम हो रहा है। इसके लिए नियम बने साढ़े चार साल साल बीत चुके है लेकिन अब तक इसके लिए स्थान चिन्हित नहीं होंने से किसी को भी इस पॉलिसी का लाभ नहीं मिल पाया है।
राज्य सरकार ने सितंबर 2018 में मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम के तहत मध्यप्रदेश हस्तांतरणीय विकास अधिकार नियम बनाए थे। सभी लोक परियोजनाओं, उत्पादन क्षेत्रों और प्राप्ति क्षेत्रों में इसका उपयोग किए जाना था। इसके तहत प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जो लोक परियोजनाएं शुरु होना है वहां निजी जमीन की जरुरत होंने पर राज्य सरकार अधिग्रहित की गई निजी जमीन के बदले उसकी क्षतिपूर्ति नगद राशि के रुप में न देकर उस भूमि के कलेक्टर गाइड लाईन की कीमत के आधार पर उतनी ही जमीन का हस्तांतरणीय विकास अधिकार पत्र जारी करेगी। इसमें जिस भूमिस्वामी या भवन स्वामी की सम्पत्ति लोक परियोजना के लिए ली जाएगी उसे वह टीडीआर जारी किया जाएगा। जिसे वह किसी अन्य को बेच सकेगा या खुद भी अन्य स्थानों पर उपयोग कर सकेगा।इस अधिकार पत्र के तहत भूमि स्वामी को अन्य स्थान पर अतिरिक्त निर्माण करने का अधिकार दिया जाना है। इस अधिकार को वह मूल्य लेकर अन्य व्यक्ति को भी बेच सकेगा। इससे जिन क्षेत्रों में चार मंजिला या सात मंजिला भवन बनाने की अनुमति है वहां एक टीडीआर में तय आकार में एक अतिरिक्त तल पर अतिरिक्त निर्माण करने का अधिकार दिया जाएगा। यही फार्मूला सार्वजनिक सड़कों और अन्य बड़ी परियोजना के लिए अपनाया जाना है।
नियम बने लेकिन क्रियान्वयन शुरु नहीं-
राज्य सरकार ने TDR Policy तो बनाकर जारी कर दी लेकिन इसका क्रियान्वयन अभी तक शुरु नहीं हो पाया है। इसमें TDR नियमों का लाभ किन क्षेत्रों में मिलेगा। याने किस-किस क्षेत्र में टीडीआर जारी किए जाएंगे और जो टीडीआर जारी होंगे उन्हें किन क्षेत्रों में मिल सकेगा यह अभी तक तय नहीं हुआ है। इसके लिए एक पोर्टल भी बनाया जाना है जिसमें यह सारी जानकारी रहेगी कि किस क्षेत्र में किस परियोजना के लिए किस दर पर टीडीआर जारी किए जाएंगे। कौन पात्र है। कितने लोगों को टीडीआर जारी किए जा चुके है। इसके अलावा इस पोर्टल पर यह जानकारी भी रहेगी कि टीडीआर का लाभ प्रदेश में किन-किन स्थानों पर लिया जा सकता है। उनकी दरें क्या रहेंगी। इसमें टीडीआर प्राप्त करने वाले और इसे स्वयं उपयोग करने वाले और बेचने वाले लोगों की भी पूरी जानकारी रहेगी लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई काम नहीं हो पाया है। यह चुनावी साल है और यदि इसके क्रियान्वयन की दिशा में सरकार आगे बढ़ती है तो उसे जमीन और सम्पत्ति अधिग्रहित करने पर तुरंत नगद मुआवजा या दूसरी जमीन नहीं देनी पड़ती। बिना खर्च के उसका काम हो जाता। वहीं टीडीआर जारी होंने पर इसका लाभ लेने वाले व्यक्ति को व्यावसायिक क्षेत्र में इसका उपयोग कर लाभ कमाने का मौका भी मिलता लेकिन यह सब नहीं हो पा रहा है।
शासन का देखना है कि इस बार में नगरी प्रशासन के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई कहना है कि
यह सही है कि टीडीआर पॉलिसी को लेकर विलंब हुआ है। जो नियम है उनमें संशोधन होना है और इसके लिए पोर्टल बनाया जाना है जल्द ही यह काम पूरा करेंगे।