नए वित्तीय वर्ष में खर्च के लिए फायनेंस ने तय की लिमिट, 80 फीसदी बजट खर्च पाएंगे विभाग

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नए वित्तीय वर्ष में खर्च के लिए फायनेंस ने तय की लिमिट, 80 फीसदी बजट खर्च पाएंगे विभाग

भोपाल: वित्त विभाग ने नए वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए बजट खर्च करने सभी विभागों की लिमिट तय कर दी है। पूंजीगत मदों में मुक्त श्रेणी के खर्चो में सौ प्रतिशत और राजस्व व्यय के बजट में अस्सी प्रतिशत बजट आवंटन किया गया है। इससे अधिक आवश्यकता होंने पर वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजना होगा।

वित्त विभाग ने नए वित्तीय वर्ष के लिए बजट आवंटन की जो व्यवस्था तय की है उसके तहत पूंजीगत व्यय के अन्य बजट शीर्षो में प्रावधानित बजट का सौ प्रतिशत बजट जारी किया गया है।

बजट खर्च के लिए त्रैमासिक कार्य योजना-
मुक्त श्रेणी के ऐसे खर्च जिन्हें वर्तमान में त्रैमासिक, विशेष व्यय सीमा से मुक्त रखा गया है जिनमेें वेतन, भत्ते, मजदूरी, न्यायालयीन डिक्री, छात्रवृत्ति, शिष्यवृत्ति, प्राकृतिक आपदा,ऋण अदायगी आदि आवश्यक व्ययों को मुक्त श्रेणी के खर्च में शामिल किया गया है। ऐसे खर्चो पर त्रैमासिक, विशेष व्यय सीमा लागू नहीं होगी। सामान्य श्रेणी के व्यय ऐसे सभी व्यय जो मुक्त श्रेणी में वर्गीकृत नही है उनके लिए त्रैमासिक खर्च सीमा का ध्यान रखना होगा। विभागों की कुछ मदों के लिए विशेष व्यय सीमा तय की जाएगी।

दो तिमाही में 55 प्रतिशत से ज्यादा खर्च नहीं-
त्रैमासिक व्यय सीमा का निर्धारण मुक्त श्रेणी एवं विशेष व्यय सीमा के अंतर्गत उपलब्ध आवंटन को छोड़कर शेष वार्षिक आवंटन के आधार पर किया जाएगा। पहली दो तिमाही में अधिकतम 55 प्रतिशत और प्रथम तीन त्रैमास में आवंटन का अधिकतम 80 प्रतिशत तथा केवल चतुर्थ त्रैमास के लिए बजट प्रावधान का तीस प्रतिशत खर्च सीमा तय की गई है।

विशेष व्यय सीमा-
वित्तीय वर्ष 23-24 के लिए पूंजीगत कार्यो के लिए विशेषज्ञ व्यय सीमा निर्धारित की गई है। यह विशेष व्यय सीमा त्रैमासिक व्यय सीमा की जगह लागू होगी।

त्रैमासिक व्यय सीमा में परिवर्तन-
अनुपूरक बजट प्रावधानों को शामिल करने के बाद वित्तीय वर्ष की शेष अवधि के लिए त्रैमासिक व्यय सीमा परिवर्तित की जा सकेगी। यदि एक बीसीओ दूसरे बीसीओ को राशि हस्तांतरित करता है तो दूसरे बीसीओ द्वारा हस्तांतरित राशि में से किए गए व्यय को पहले बीसीओ की त्रैमासिक व्यय सीमा के अंतर्गत माना जाएगा। ऐसी स्थिति में त्रैमासिक व्यय सीमा में परिवर्तन हो सकेगा।

आईएफएमआईएस से निगरानी-
वित्तीय वर्ष 23-24 के बजट प्रावधानों की आईएफएमआईएस के माध्यम से विभागों को उपलब्ध कराने की कार्यवाही पर आयुक्त कोष एवं लेखा कार्यवाही करेंगे। वे इसकी निगरानी भी करेंगे। बजट नियंत्रण अधिकारियों द्वारा इस बजट आवंटन आदेश से जारी होंने वाला बजट आईएफएमआईएस के माध्यम से संबंधित आहरण एवं संवितरण अधिकारी को उपलब्ध कराया जाएगा। वित्तीय वर्ष की समग्र आवश्यकता का अनुमान लगाने के बाद ही सामग्री खरीदी की कार्यवाही की जा सकेगी। मितव्ययता संबंधी आदेशों का कड़ाई से पालन करना होगा।

बजट से ज्यादा नवीन कार्य नहीं-
बजट में स्वीकृत कार्यो से अधिक के नवीन कार्य और दायित्व निर्मित नहीं किए जा सकेंगे पुराने लंबित दायित्वों का निपटारा करने के बाद शेष उपलब्ध आवंटन से वित्तीय वर्ष के लक्ष्य तय किए जाएं। महालेखाकार कार्यालय को उपयोगिता प्रमाणपत्र जारी करने होंगे। इसके बाद ही वित्तीय वर्ष 23-24 से अनुदान की राशि जारी होगी।

इन मदों पर खर्चो में शत प्रतिशत छूट-
छात्रवृत्ति, वेतन-भत्ते, प्राकृतिक आपदा, अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मुआवजा, न्यायालयीन आदेश, डिक्री के भुगतान,ऋण भुगतान, ब्याज भुगतान, स्थापना व्यय, पंद्रहवे वित्त से जुड़े खर्चे अन्य आवश्यक खर्चे।