संतुष्टि भरे यह 43 साल …

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संतुष्टि भरे यह 43 साल …

भारतीय जनता पार्टी स्थापना के 43 साल 6 अप्रैल 2023 को पूरा कर उत्सव मना रही है। यह उत्सव मनाने का हक भाजपा के करोड़ों कार्यकर्ताओं ने परिश्रम की पराकाष्ठा और अपनी विचारधारा के दम पर हासिल किया है। कार्यकर्ता आधारित इस राजनैतिक दल की वास्तविक पूंजी इसके वही कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने जनसंघ के समय से प्रतिकूल परिस्थितियों में हर तरह के जुल्म सहकर भी कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और चरैवेति चरैवेति के मंत्र पर अमल कर आगे बढ़ते रहे। सत्ता को जिन्होंने कभी सुख और समृद्धि का साधन नहीं माना। सत्ता को अंत्योदय का साधन मानकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सपनों को साकार करने में ऐसे कार्यकर्ताओं ने चना और मुरमुरे खाकर जीवन न्यौछावर कर दिया। 1980 में जब भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ, उसके बाद भी संघर्ष का एक लंबा समय संसाधनों के अभाव में भी हंसते हुए सफलतापूर्वक संपन्न किया। और उन्हीं जमीनी कार्यकर्ताओं के खून पसीना की कमाई है, जो आज भाजपा को सत्ता के साथ विश्व का सबसे बड़ा राजनैतिक दल होने का गौरव हासिल हो पाया है। निश्चित तौर पर जब बात 43 साल की होगी, तो यह संतुष्टि भरे साल वर्तमान भाजपा नेताओं के खुशहाल होने के पीछे के संघर्ष भरे दिनों को याद दिलाते रहेंगे। और नींव के उन पत्थरों पंडित दीनदयाल उपाध्याय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और कुशाभाऊ ठाकरे जैसे अनगिनत चेहरों की याद दिलाती रहेगी। मध्यप्रदेश में संगठन की बात करें तो ठाकरे से लेकर विष्णु दत्त शर्मा तक सभी उसी विचारधारा के अनुयायी बन कमल के खिलने की यात्रा के पथिक हैं।
सत्ता में मध्यप्रदेश की बात करें तो इक्कीसवीं सदी में 2003 से 2018 तक लगातार पंद्रह साल तक सरकार में रहने की उपलब्धि भाजपा के लिए बहुत बड़ी थी। इन अठारह साल में इससे भी बड़ी उपलब्धि यह थी कि भाजपा का एक ही चेहरा लगातार 13 साल 17 दिन तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर रिकार्ड बना पाया। बेशक वह चेहरा शिवराज सिंह चौहान का था। और इक्कीसवीं सदी के इन पहले अठारह साल के दौर में छत्तीसगढ़ में लगातार 15 साल तक मुख्यमंत्री बनने का रिकार्ड रमन सिंह ने बनाया था। साथ ही गुजरात में तो जहां नरेंद्र मोदी बारह साल से ज्यादा समय तक चार बार मुख्यमंत्री पद संभालकर देश में करीब चार साल तक प्रधानमंत्री के पद पर भी आसीन हो चुके थे। इक्कीसवीं सदी के 23 साल में अब तक की स्थिति पर गौर करें तो मध्यप्रदेश में पंद्रह माह के अंतराल के बाद शिवराज पुनः चौथी बार मुख्यमंत्री बने। और अब मुख्यमंत्री के रूप में सोलह वर्ष पूरा कर एक रिकॉर्ड बना चुके हैं। वहीं नरेंद्र मोदी वर्ष 2014 से नौ साल तक लगातार देश के प्रधानमंत्री पद पर आसीन हैं और गुजरात में लगातार भाजपा सरकार में बनी हुई है। देश में कमल दल उत्तर पूर्व से पश्चिम तक और उत्तर से दक्षिण तक अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा चुका है। कमल खिल रहा है और खिलता जा रहा है। इन यादों में मध्यप्रदेश के उस हीरे को नहीं भुलाया जा सकता, जिसने उदारतापूर्वक गठबंधन के कंटीले ताज को सिर पर रखकर कमल खिलाया‌ था। वह चेहरा स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का था।
वैसे तो ऐसे हजारों नाम हैं, जो कमल के साथ खिले हैं और हजारों नाम हैं जो लगातार खिलते जा रहे हैं। और लाखों चेहरे कमल बन खिलते रहेंगे। पर ऐसे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिक्र बिना भाजपा के 43 साल की चर्चा बेमानी ही रहेगी। संघ ने लगातार जनसंघ और भाजपा के संगठन को भी मजबूती दी है और सत्ता तक पहुंच की राह भी बनाई है। कमल कीचड़ में खिलता है, पर यह एक सुखद अनुभूति भी देता है। राजनैतिक दल होने के नाते चक्र की स्थिति बदलने की संभावना से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता।पर विचार में वह ताकत है जो कभी हताश नहीं होने देता और वक्त में वह ताकत है, जो राई को पर्वत कर अपना अहसास करा देता है। भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए 43 साल की उपलब्धियां संतुष्टि से भरी हैं, पर अंत्योदय का कमल लगातार खिलता रहे…यही उम्मीद और यही कामना है।