क्या संकेत दे रही केसवन, रेड्डी और एंटोनी की एंट्री…

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क्या संकेत दे रही केसवन, रेड्डी और एंटोनी की एंट्री…

कांग्रेस के दिग्गज नेता इन दिनों भाजपा का दामन थाम रहे हैं। एंटोनी, केसवन और रेड्डी जैसे चेहरे यही संकेत दे रहे हैं कि 2024 के पहले भाजपा में शामिल होकर वह सत्ताधारी दल की सोच और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अपना भरोसा जता रहे हैं। कांग्रेस छोड़कर आने वाले यह दिग्गज भी खूब सोच-विचार कर इस फैसले पर पहुंचे होंगे। पार्टी ने भी सोच रखा है कि मिशन 2024 में चार सौ पार का उनका लक्ष्य पाने दक्षिण भारत की उर्वरा भूमि पर कमल खिलाना जरूरी है। ऐसे में एंटोनी, रेड्डी और केसवन जैसे बड़े-बड़े चेहरों को देखकर आखिर दक्षिण भारत के मतदाताओं का मन भी कमल की तरफ करवट लेने का विचार बनाएगा। और तब ही चार सौ पार की राह पर अमल संभव हो सकेगा।
एक नजर डालें तो कांग्रेस नेता और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटोनी के बेटे अनिल एंटोनी दो दिन पहले भाजपा में शामिल हुए हैं। केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और मनमोहन सिंह सरकार में रक्षा मंत्री रहे एके एंटोनी के पुत्र अनिल एंटोनी ने भाजपा का दामन थाम लिया। कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले इसे कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। एंटोनी के भाजपा में शामिल होने से पार्टी को केरल में अपना जनाधार बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इसी साल की शुरुआत में बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी पर एंटोनी ने गहरा आक्रोश जताया था। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा भी दे दिया था।
अनिल एंटोनी
इसके बाद से ही उनके भाजपा से जुड़ने की अटकलों लगाई जा रही थीं। अनिल एंटोनी केरल कांग्रेस की मीडिया का काम संभाल रहे थे। अनिल एंटोनी ने कहा है कि आजकल कांग्रेस के कई नेता यह मानते हैं कि उनका धर्म एक ‘परिवार’ की सेवा करना है, लेकिन उन्हें लगता है कि उनका धर्म राष्ट्र की सेवा करना है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संपूर्ण देश का विकास करना चाहते हैं और वे उनके कार्यो को अपनी क्षमता के अनुसार आगे बढाने में अपना सहयोग देना चाहते हैं। दूसरी खबर संयुक्त आंध्र के आखिरी सीएम किरण रेड्डी के भाजपा में शामिल होने की है। उन्होंने बीते महीने कांग्रेस का हाथ छोड़ा था और अब वह कमलमय हो गए हैं। तीसरी खबर कांग्रेस के पूर्व नेता और राजगोपालाचारी के परपोते सीआर केसवन के बीजेपी में शामिल होने की है। तो जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के मुख्य गुलाम नबी आजाद ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की।
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इस दौरान उन्होंने राहुल गांधी और अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस पर जमकर हमला किया। पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने पीएम पद की गरिमा रखी। आजाद ने कहा, ”पीएम मोदी ने फेयरवेल के दौरान मेरी तारीफ की और भावुक हुए तो मुझे लगा कि उनके पास दिल भी है। वो अच्छे भी हैं। इसमें कौन सी बुरी बात है।” तो अब एनसीपी मुखिया शरद पवार भी अडानी मामले में सत्ताधारी दल की सोच की तरफ झुके दिखे। एनसीपी चीफ ने अडानी, हिंडनबर्ग रिपोर्ट और जेपीसी की मांग को लेकर जो बयान दिया उससे विपक्षी एकता को करारा झटका पहुंचा था। हालांकि शनिवार को उन्होंने एक और प्रेस वार्ता करके यह स्पष्ट करने करने का प्रयास किया कि आखिर वह जेपीसी क्यों नहीं चाहते हैं। उन्होंने जेपीसी के गठन का गणित सामने रखते हुए इसे नकारने की वजह बताई है।
खैर लग तो कुछ ऐसा ही रहा है कि जैसे सारी नदियां कितनी भी लंबी दूरी तय कर आखिर समुद्र में मिल जाती हैं। उसी तरह अब अलग-अलग दलों के नेता लंबी लंबी राजनैतिक पारी खेलने के बावजूद भाजपा और मोदी विचारधारा में रंगे नजर आ रहे हैं। केसवन, रेड्डी और एंटोनी की भाजपा में एंट्री की बात हो या फिर आजाद और पवार के बयानों के निहितार्थ…बात वहीं आकर ठहरती है कि 2024 में मोदी का जादू बरकरार रहने वाला है। विपक्षी एकता और इसके टूटने की झलक मतदाताओं को नजर आती रहेगी और इसी बीच मोदी का नेतृत्व कमल को खिलाने के लिए चार सौ पार की बाउंड्री को छूने के लक्ष्य‌ की तरफ बढ़ता रहेगा।