भवन में जलवाहित शौचालय नहीं बनाया तो अब नहीं होगी सजा, केवल 5 हजार रुपए जुर्माना
भोपाल: मध्यप्रदेश में अब भवन निर्माता द्वारा जलवाहित शौचालय की व्यवस्था नहीं करने और शुष्क शौचालय का उपयोग किए जाने पर भवन स्वामी को कोई सजा नहीं दी जाएगी बल्कि उस पर नगर निगम आयुक्त या सीएमओ पांच हजार रुपए तक का जुर्माना लगा सकेगा।
इसके लिए मध्यप्रदेश नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 और 1961 में संशोधन के प्रस्ताव को राज्यपाल की अनुमति मिलने के बाद नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने प्रदेश में लागू कर दिया है।
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने मध्यप्रदेश नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 और 1961 में संशोधन कर दिया है। नियम 1956 में अब यदि किसी भवन या भूमि का स्वामी या अधिभोगी इस धारा के अधीन शुष्क शौचालय समाप्त कर उसके स्थान पर जलवाहित शौचालय निर्माण की सूचना या आदेश की तामीली के बावजूद उसमें उल्लेखित कार्य यथा स्थिति उस सूचना या आदेश में दर्शाई अवधि के भीतर करने में असफल रहता है तो आयुक्त उस पर पांच हजार रुपए जुर्माना लगा सकेगा।
नोटिस मिलने के बाद जब तक यह कार्य पूरा नहीं किया जाएगा तो उस भवन या सम्पत्ति स्वामी, भू स्वामी जिसकी जमीन पर यह शुष्क शौचालय निर्मित है और उसका उपयोग किया जा रहा है उस पर दो सौ रुपए प्रतिदिन तक जुर्माना लगाया जा सकेगा। सजा संबंधी धारा 290, 36, और 362 समाप्त कर दी गई है। इसी तरह अधिनियम 1961 में नगर पालिका के लिए भी इसे लागू कर दिया गया है।
शुष्क शौचालय समाप्त करने के लिए नोटिस जारी होंने के बाद भी तय समय में जलवाहित शौचालय निर्माण नहीं करने पर पांच हजार रुपए जुर्माना और दो सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा। इसमें भी सजा के लिए धारा 288 और 290 विलोपित कर दी गई है। नियमों का उल्लंघन करने के बाद जुर्माने के लिए कार्यवाही की जा सकेगी और अभिकरण अपने माध्यम से यह काम करवा सकेगा और इसके लिए हुए खर्च की वसूली भवन, भू स्वामी से की जा सकेगी।