Water Scarcity In Tribal Areas: पानी के लिए भटकते लोग

पानी के लिए 2 से 3 किमी का मुश्किलों भरा सफर करना पड़ता है तय

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Water Scarcity In Tribal Areas

Water Scarcity In Tribal Areas: पानी के लिए भटकते लोग

बड़वानी से सचिन राठौर की खास रिपोर्ट

बड़वानी जिले के पाटी विकासखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के लिए संघर्ष करते लोगों की ऐसी तस्वीर हम आपको दिखाने जा रहे हैं जो आपको हैरान भी कर देगी और आपको सोचने को मजबूर भी कर देगी? कुछ ऐसे गांव की तस्वीरें जहां पर पानी के लिए 2 से 3 किलोमीटर का मुश्किलों भरा सफर करना पड़ता है उसके बाद भी पानी नालें या झिरी से भरना पड़ता है। ना सिर्फ महिलाएं बल्कि गधे और खच्चर के माध्यम से भी लोग यहां पानी भरते हैं। लोगों का दावा है कि कई बार आवेदन निवेदन किया लेकिन उनकी कोई नहीं सुनता।

बड़वानी: जिले का आदिवासी क्षेत्र पाटी क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र जहां आकर ऐसा लगता है कि सरकार का विकास यहां आकर रुक गया है या यूं कह सकते हैं कि सरकारों के बड़े-बड़े दावे यहां देखने पर खोखले साबित होते हैं। दरअसल पाटी विकासखंड के गोलगांव, खेरवानी,सेमलेट गांव के कई फलियों में पानी के लिए लोगों को काफी संघर्ष करना पड़ता है।

Water Scarcity In Tribal Areas: पानी के लिए भटकते लोग

गांव में विशेष कर गर्मियों में पानी की व्यवस्था नहीं होने के चलते यह लोग 2 से 3 किलोमीटर दूर पानी लेने जाते हैं। वह भी किसी नाले से या झिरी से किसी डब्बे के माध्यम से पानी के बर्तन भरना पड़ता है। यहां पानी की शुद्धता तो दूर की बात है लेकिन लोगों को पानी मिल जाता है यही बहुत है।

 

कई बार ऐसा भी होता है कि खराब पानी पीने से लोग बीमार हो जाते हैं।  गांव की महिलाएं अपने सर पर पानी के बर्तन लेकर चलती है। रास्ता पहाड़ी का भी है और कच्चा भी। कई घंटों में यह सफर पूरा होता है। वही गांव में जिन लोगों के पास गधे और खच्चर है, लोग अपने जानवर के माध्यम से पानी लेकर आते हैं। गांव के लोगों का कहना है कि गर्मी में जानवर भी पानी के लिए परेशान होते हैं। गांव के लोग बोलते हैं कई बार हमने आवेदन निवेदन किया, जनप्रतिनिधियों को भी समस्या से अवगत कराया, कलेक्ट्रेट तक जाकर समस्या बताई लेकिन हमारी कोई नहीं सुनता।

वही जब इस पूरे मामले पर हमने बड़वानी एसडीएम घनश्याम धनगर से बात की तो उन्होंने बताया की पूर्व में भी इस तरह की समस्या आई थी जिसके चलते बोरवेल करवाया गया था। यदि अभी भी इस तरह की समस्या है तो की पी एच ई ओर संबंधित पंचायत से मामले की जांच कराएंगे और अगर आवश्यक हुआ तो वहां पेयजल के लिए और बोरवेल से खनन करवाएंगे।