Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : कर्नाटक चुनाव का मध्यप्रदेश कनेक्शन!

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Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : कर्नाटक चुनाव का मध्यप्रदेश कनेक्शन!

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : कर्नाटक चुनाव का मध्यप्रदेश कनेक्शन!

कर्नाटक के विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए एक तरह से लिटमस टेस्ट की तरह होंगे। इस चुनाव के नतीजे आगे होने वाले तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के कई फैसलों पर असर डालेंगे। यदि कर्नाटक में भाजपा को जीत हासिल होती है, तो उसका रवैया अलग होगा। हो सकता है पार्टी नेतृत्व का रवैया सख्त हो जाए। लेकिन, यदि भाजपा कर्नाटक में हारती है, तो इन तीनों राज्यों में भाजपा का रवैया बिल्कुल अलग होगा।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : कर्नाटक चुनाव का मध्यप्रदेश कनेक्शन!

खासकर मध्यप्रदेश में भाजपा का पार्टी नेतृत्व कोई रिस्क लेना नहीं चाहेगा। क्योंकि, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश के साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में एक मध्य प्रदेश ही है, जहां भाजपा की सरकार है और वह इसे किसी कीमत पर खोना नहीं चाहती। यदि कर्नाटक में भाजपा को जीत हासिल नहीं होती है, तो यह मानकर चलना चाहिए कि विधानसभा चुनाव से पहले एमपी में बहुत कुछ बदल सकता है और जो बदलाव होगा वह चुनाव जीतने की कोशिशों के लिए होगा।

भाजपा इस बार कोई कसर नहीं छोड़ रही!

भाजपा इस बार विधानसभा चुनाव को लेकर काफी मुस्तैद है। इस बार पार्टी हर सीट को गंभीरता से ले रही है। क्योंकि, पिछली बार अति आत्मविश्वास की वजह से जो गलती हुई, उसे किसी भी कीमत पर दोहराना नहीं चाहती। एक-एक जिले से कई तरीकों से फीडबैक लिया जा रहा है। अब कार्यकर्ताओं की भी पूछ परख हो रही है। बड़े नेता छोटे कार्यकर्ता की बात को गंभीरता से ले रहे हैं।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : कर्नाटक चुनाव का मध्यप्रदेश कनेक्शन!

पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को प्रदेश के हर जिले की रिपोर्ट भेजी जा रही है। कहा जा रहा है कि ये रिपोर्ट विधानसभा चुनाव में टिकट फाइनल करने का भी आधार बनेगी। भाजपा ने पिछला चुनाव हारा था। लेकिन, इस बार उसी हार को चुनौती की तरह लिया जा रहा है। इसलिए कि जो गलतियां हुई थी वो दोहराई न जाए!

पार्टी अपनी भावी रणनीति के तहत एक-एक सीट का गंभीरता से अध्ययन कर रही है। जीत को पुख्ता बनाने के लिए हाल पार्टी नेतृत्व ने प्रदेश के 14 प्रमुख नेताओं को जिलों की जिम्मेदारी बांटी है। इन सभी नेताओं ने अपने-अपने जिलों का दौरा कर रिपोर्ट को राज्य नेतृत्व के साथ साझा किया। इस दौरान विधायकों, सांसदों, राज्य सरकार के प्रभारी मंत्रियों व अन्य मुद्दों पर कार्यकर्ताओं की राय जानी गई। कई क्षेत्रों में पार्टी के मौजूदा विधायकों को लेकर नाराजगी भी सामने आई। खास बात यह है कि इन नेताओं के सामने कई जगह कार्यकर्ताओं ने भावी चेहरे को लेकर भी राय दी।

अब MP वापस नहीं लौटेंगे अनुराग जैन

भारतीय प्रशासनिक सेवा में मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी अनुराग जैन को केंद्रीय रोड ट्रांसपोर्ट मंत्रालय का सचिव बनना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि वे अब मध्य प्रदेश वापस नहीं लौटेंगे।

माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने बहुत विश्वास करके उन्हें यह महत्वपूर्ण जवाबदारी सौंपी है। वैसे भी अनुराग जैन प्रधानमंत्री के विश्वसनीय अधिकारियों में शामिल हैं।

अब MP वापस नहीं लौटेंगे अनुराग जैन

अगले 1 साल बाद लोकसभा का चुनाव होना है और पूरे देश में सड़कों का जाल फैलाया जा रहा है। चुनाव दृष्टि से यह काम बहुत अहम है। इसमें कोई शक नहीं कि अनुराग एक योग्य और परिणाम देने वाले अधिकारी हैं और निश्चित रूप से इस मंत्रालय में वे अपनी योग्यता को साबित कर दिखाएंगे। बता दें कि अभी तक उन्हें मध्य प्रदेश के अगले चीफ सेक्रेट्री की लिस्ट में भी जोड़कर देखा जा रहा था। लेकिन, रोड ट्रांसपोर्ट मंत्रालय में सचिव का पद मिलने के बाद अब उनके मध्य प्रदेश लौटने की संभावना नहीं के बराबर है। यह भी कहा जा रहा है चीफ सेक्रेटरी बनने में वे रुचि भी नहीं रखते। क्योंकि, दिल्ली में उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी गई है वह उनकी रूचि की भी है।

राजनीति में महाकाल का नाम आने से पंडित नाराज!

राजनीति में भगवान महाकाल का नाम लेना महाकाल मंदिर के पुजारियों को ठीक नहीं लगा! इसलिए कि उनकी नजर में भगवान महाकाल कभी किसी का बुरा नहीं करते, इसलिए अपनी राजनीतिक बद्दुआ में महाकाल का नाम नहीं लिया जाना चाहिए। इसलिए कि भगवान के लिए सभी बराबर हैं।

प्रदेश की राजनीति में इन दिनों नेताओं के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है। कांग्रेस के बड़े नेता दिग्विजय सिंह ने मीडिया के एक सवाल के जवाब में ज्योतिरादित्य सिंधिया पर टिप्पणी की थी। थोड़ी देर बाद सिंधिया ने ट्वीट करके उसका जवाब दिया। लेकिन, ये जुबानी जंग दोनों नेताओं तक सीमित नहीं रही और न रहना थी। इसके बाद कैलाश विजयवर्गीय, सीएम शिवराज सिंह और यहां तक कि मंत्री महेंद्र सिसोदिया और तुलसी सिलावट भी जुबानी जंग का हिस्सा बन गए।

राजनीति में महाकाल का नाम आने से पंडित नाराज!

राजनीतिक बयानबानी में बार-बार भगवान महाकाल का नाम लिया गया। सभी ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए की आड़ ली, जिसे सही नहीं कहा जा सकता। यही कारण है कि महाकाल मंदिर के पंडित और पुरोहितों के लिए ये नाराजगी का कारण बन गया। उनका कहना है कि नेताओं को अपने फायदे के लिए भगवान का नाम लेना गलत है। भगवान से किसी के लिए गलत प्रार्थना करना ठीक नहीं है। उनका अनुरोध है कि नेता भगवान महाकाल को अपने राजनीतिक बयानों से दूर रखें।

आखिर कब फिरेंगे रिटायर्ड IAS उप्पल के दिन

भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी शमशेर सिंह उप्पल अपने रिटायरमेंट के बाद से लगातार भारतीय जनता पार्टी की सेवा में एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप में लगे हुए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें अपने पिछले कार्यकाल में राज्य मंडी बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। ये शिवराज सरकार की पुरानी पारी की कहानी है। शिवराज सरकार की वर्तमान पारी को भी 3 साल हो गए, लेकिन शमशेर सिंह उप्पल के दिन नहीं फिर रहे। सरकार आए दिन किसी आयोग, बोर्ड और प्राधिकरण में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति कर रही है लेकिन उप्पल का नाम कहीं अभी तक दिखाई नहीं दिया है।

पूर्व अधिकारी शमशेर सिंह उप्पल

बताया गया है कि उनकी याद तो सरकार को तब आती है, जब चुनाव के दिन होते हैं। क्योंकि, वे चुनाव में पार्टी की तरफ से पत्र आदि तैयार करने के विशेषज्ञ माने जाते हैं। लेकिन, उनका उपयोग केवल उतना ही होता है। बाद में सरकार उनको भूल जाती हैं। भाजपा के एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप में आखिर उनमें ऐसी क्या कमी है, जो सरकार उनको उपकृत नहीं कर रही!

नंदकुमार सिंह जब प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष थे तब वे उनके विशेष सचिव हुआ करते थे। पार्टी में उनकी स्थिति पावरफुल थी। उनके निधन के बाद उनकी पूछ परख में भी बहुत कमी आ गई। अब तो स्थिति ये आ गई कि वे हाशिए से भी किनारे कर दिए गए!


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एमपी काडर के IPS अधिकारी की केंद्र से वापसी

मध्य प्रदेश काडर के IPS अधिकारी बलबीर सिंह अपने काडर वापस जा रहे हैं। डीओपीटी के आदेश के अनुसार 1996 बैच के सिंह की डेपुटेशन अवधि में छूट देते हुए उन्हे तत्काल प्रभाव से वापस किया जा रहा है।

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वे आई बी मे संयुक्त निदेशक के पद पर तैनात थे। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि उन्हें एमपी में किस पद पर तैनात किया जाता है।

केंद्र में सचिव स्तर के फेरबदल से एमपी भी प्रभावित

केंद्र सरकार में हाल ही में सचिव स्तर के अधिकारियों के फेरबदल में मध्यप्रदेश कैडर के अधिकारी भी प्रभावित हुए हैं।
1989 बैच के अनुराग जैन को परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय का सचिव बनाया गया है। पहले वे डिपार्टमेंट आफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड के सचिव थे जिस पर मेक इन इंडिया के कार्यान्वयन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। माना जा रहा है कि केंद्र में यह अहम जवाबदारी मिलने के बाद मुख्य सचिव की दौड़ में किसी समय अग्रणी रहे अनुराग जैन अब मध्यप्रदेश में वापसी नहीं करेंगे।

परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय की सचिव अलका उपाध्याय को पशुपालन और डेयरी विभाग का सचिव बनाया गया है। श्रीमती उपाध्याय मध्य प्रदेश काडर की 1990 बैच की IAS अधिकारी है।

केंद्र में फैज अहमद किदवई की दूसरी पारी

मध्य प्रदेश काडर के IAS अधिकारी फैज अहमद किदवई दूसरी बार केंद्र में डेपुटेशन पर आ रहे हैं। यू पी ए सरकार के समय वे राष्ट्रपति भवन में निदेशक के पद पर कार्यरत थे। इस बार वे कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय मे अपर सचिव हो कर आ रहे हैं।

IAS अधिकारी फैज अहमद किदवई

इस मंत्रालय के कबीना मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर है और वे भी मध्य प्रदेश के ही है। किदवई 1996 बैच के आईएएस अधिकारी हैं।

Author profile
Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।