Mission Vatsalya : बेसहारा बच्चों की ‘मिशन वात्सल्य’ योजना को क्या MP सरकार भूल गई!
Bhopal : केंद्र सरकार ने पिछले साल के बजट में बेसहारा, अनाथ बच्चों के के संरक्षण और पुनर्वास के लिए ‘मिशन वात्सल्य’ योजना का प्रावधान कर इसे लागू किया था। राज्य और केंद्र सरकार की साझेदारी वाली इस योजना में 60 फीसदी आवंटन केंद्र का और 40 फीसदी राज्य सरकार को मिलाना था। केंद्र ने 2022 के बजट में इसके लिए राशि भी आवंटित की। कई गैर भाजपा शासित राज्यों ने इस योजना को लागू भी कर दिया, पर मध्यप्रदेश में अभी तक इसे लागू नहीं किया गया।
देश के अन्य राज्यों के साथ केंद्र ने मध्यप्रदेश को भी 60% राशि आवंटित कर दी, पर योजना एक साल बाद भी लागू नहीं हुई। बताया जाता है कि मध्यप्रदेश में इस योजना पलीता लगाने में महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों का हाथ है। यह भी जानकारी मिली कि इससे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी अनभिज्ञ रखा गया। पूर्व में संचालित एकीकृत बाल संरक्षण योजना (आईसीपीएस) को केंद्र सरकार ने नए प्रावधानों के साथ पिछले साल 1 अप्रैल से देशभर में लागू कर दिया था। फिर क्या कारण है कि मध्य प्रदेश इससे अछूता रहा! राज्य का महिला बाल विकास विभाग इसे साल बाद भी लागू नहीं कर सका।
वित्त विभाग के अधिकारियों ने भी बगैर जांचे-परखे इस संवेदनशील मामले में प्रदेश के हजारों अनाथ और बेसहारा बच्चों का हक़ छीन लिया। जबकि, गैर भाजपा शासित छत्तीसगढ़, झारखंड, दिल्ली, राजस्थान और पंजाब इसे पिछले साल ही लागू कर चुके हैं। ‘मिशन वात्सल्य’ के तहत जिला बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड जैसी संस्थाओं और एजेंसियों के लिए नए नाम एवं वित्तीय प्रावधान लागू किए गए हैं। मिशन वात्सल्य केंद्र और राज्य की 60-40 की भागीदारी पर आधारित योजना है इसका 60% अनुदान मध्य प्रदेश को केंद्र ने अप्रैल 2020 में ही जारी कर दिया था। लेकिन, प्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी पिछले वित्तीय वर्ष में अपने हिस्से का 40% अनुदान नहीं दे पाए।
इस साल भी अभी तक मंजूरी नहीं
संचालनालय महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को ‘मिशन वात्सल्य’ को सालभर बाद इसी 1 अप्रैल 2023 से लागू करने का प्रस्ताव भेजा है। लेकिन, बताते हैं कि अभी इसे मंजूरी नहीं मिली। अब सवाल ये उठता है कि पिछले साल अप्रैल में केंद्र से अनाथ और बेसहारा बच्चों के लिए मिली 60% राशि का क्या हुआ? उसका कहीं और उपयोग कर लिया गया या वो लेप्स हो गई!
वेतन और मानदेय नहीं मिला
विभाग की लापरवाही का प्रमाण ये है कि सालभर से आईसीपीएस योजना के तहत कार्यरत 500 से ज्यादा कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल सका। इसके अलावा प्रदेश में किशोर न्याय बोर्ड, सीडब्ल्यूसी के सदस्यों को भी 7 महीने से मानदेय नहीं दिया गया। बाल देखरेख संस्थाओं में निवास करने वाले 5 हजार से ज्यादा अनाथ और बेसहारा बच्चों के भोजन, कपड़े और अन्य सुविधाओं के लिए भी केंद्र सरकार ने बजट राशि बढ़ाकर दो हजार से बढ़ाकर तीन हजार कर दी है, लेकिन प्रदेश में बेसहारा बच्चे उससे भी महरूम हो गए।
लापरवाही पर लीपा-पोती होने लगी
इसे महिला एवं बाल विकास की लापरवाही ही माना जाना चाहिए कि आईबीपीएस मिशन वात्सल्य कर्मचारियों के वेतन एवं योजना के घटक जैसे बाल देखरेख संस्था, सीडब्ल्यूसी, जेजेबी, दत्तक ग्रहण, पोस्टर केयर के मद में केंद्र से बड़े मानदेय और बजट देने की फाइल को वित्त विभाग लौटा दिया। पिछले महीने लौटाई इस फाइल पर यह टीप दर्ज की गई कि 1 अप्रैल 2022 से इसे दिया जाना संभव नहीं है। जब केंद्र सरकार ने में साल भर पहले ही इसे लागू कर दिया तो महिला एवं बाल विकास अभी तक हाथ पर हाथ रखकर क्यों बैठा रहा!
इसके पीछे वित्त विभाग का कहना है कि भारत सरकार ने मिशन वात्सल्य के तहत जिलों की संख्या कम करने को कहा था। वित्त विभाग 1 अप्रैल 23 से मिशन इसे लागू करने की बात कर रहा है, पर किसी के पास इस बात का जवाब नहीं है कि अप्रैल 22 में केंद्र से जारी बजट का क्या होगा! साथ ही इस योजना से जुड़े लोगों के वेतन और मानदेय अभी तक नहीं मिलने का जवाबदेह कौन है!