‘मन की बात’ हर मन तक पहुंचाने में सफल रहे मोदी…

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‘मन की बात’ हर मन तक पहुंचाने में सफल रहे मोदी…

तीन अक्टूबर 2014 से शुरू हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ 8 साल 6 महीने 27 दिन का सफर तय कर कीर्तिमान बना चुकी है। पहली ‘मन की बात’ किसी विषय पर सीमित न हो मोदी के मन से निकले उद्गार थे। मोदी ने इस ‘मन की बात’ की शुरुआत विजयदशमी के पावन पर्व पर गंदगी से मुक्ति का संकल्प दिलाकर की थी। इससे एक दिन पहले ही देश ने मोदी की पहल पर 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की जन्म जयंती पर ‘स्वच्छ‍ भारत’ का अभियान शुरू किया था। मोदी ने इस ‘मन की बात’ में खादी निर्माण से जुड़े लोगों के कल्याण हेतु खादी का कम से कम एक वस्त्र खरीदने का आह्वान किया था। और चेताया था कि अगर आगे बढ़ना है तो सवा सौ करोड़ देशवासियों को… एक काम करना पड़ेगा ….. हमें खुद को पहचानना पड़ेगा, अपनी शक्ति को जानना पड़ेगा। सरकार के भरोसे रहने से काम नहीं चलेगा। और यह कहते हुए याद दिलाया था कि मैं सच बताता हूं हम विश्व में अजोड़ लोग हैं। हमारी ताकत में कमी नहीं है, सिर्फ हम अपनी शक्ति को भूल चुके हैं। अपने आपको भूल चुके हैं।

हम जैसे निराश्रित बन गए हैं.. नहीं मेरे प्यारे भइयों बहनों ऐसा नहीं हो सकता। उन्होंने उद्देश्य पूर्ति के लिए चलने का संकल्प लेने की अपील की थी। स्पेशली एबल्ड बालकों को पूरे समाज की जिम्मेदारी मानने की बात कही थी। स्वामी विवेकानंद जी की बात याद दिलाते हुए कहा था कि मेरे देशवासियों, सवा सौ करोड़ देशवासियों के भीतर अपार शक्ति है, अपार सामर्थ्य है। हमें अपने आपको पहचानने की जरूरत है। हमारे भीतर की ताकत को पहचानने की जरूरत है और फिर जैसा स्वामी विवेकानंदजी ने कहा था उस आत्म-सम्मान को ले करके, अपनी सही पहचान को ले करके हम चल पड़ेंगे, तो विजयी होंगे और हमारा राष्ट्र भी विजयी होगा, सफल होगा। मुझे लगता है हमारे सवा सौ करोड़ देशवासी भी सामर्थ्यवान हैं, शक्तिवान हैं और हम भी बहुत विश्वास के साथ खड़े हो सकते हैं। साथ ही अपील की थी कि अगर आप मुझे कहीं पर भी कोई सत्य घटना भेजेंगे, जो सकारात्मरक हो, जो मुझे भी प्रेरणा दे,  देशवासियों को प्रेरणा दे, अगर ऐसी सत्य घटनाएं सबूत के साथ मुझे भेजोगे तो मैं जरूर जब ‘मन की बात’ करूंगा, जो चीज मेरे मन को छू गयी है वो बातें मैं जरूर देशवासियों तक पहुंचाऊंगा। और सबसे महत्वपूर्ण यह कि आगे चलकर के मैंने मन में यह भी सोचा है कि जब भी बात करूंगा तो रविवार होगा और समय प्रात: 11 बजे का होगा तो आपको भी सुविधा रहेगी और मुझे भी ये संतोष होगा कि मैं मेरे ‘मन की बात’ आपके मन तक पहुंचाने में सफल हुआ हूं। तो निश्चित तौर पर मोदी देश के सवा सौ करोड़ लोगों को यह अहसास कराने में सफल रहे थे कि एक-एक कदम चलने पर देश सवा सौ करोड़ कदम चलता है। और यह सवा सौ करोड़ कदम दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनने की क्षमता रखते हैं।

और अब 8 साल 6 माह 27 दिन बाद “मन की बात” पूरे 100 कदम चल चुका है और देश के जन-जन के मन को छू चुका है। ‘मन की बात’ कार्यक्रम टीवी, मोबाइल और रेडियो तीनों ही प्लेटफार्म पर खासा लोकप्रिय है। 44.7 प्रतिशत लोग इसे टीवी पर और 37.6 फीसदी मोबाइल पर और शेष रेडियो पर सुनते हैं। टीवी पर कार्यक्रम को सुनने वाले लोगों में 62 प्रतिशत 19 से 34 साल की उम्र के हैं, जो इस कार्यक्रम के युवाओं में लोकप्रियता को दिखाता है। श्रोताओं में 65 फीसदी हिंदी और 18 फीसदी अंग्रेजी में इस कार्यक्रम को सुनते हैं। विभिन्न भाषाओं और बोलियों में कार्यक्रम का प्रसारण होता है। इसका असर भी सामने है। ‘मन की बात’ से लोकप्रिय हुआ स्वच्छ भारत अभियान दलों से परे हर दिल पर राज कर रहा है। देश में सर्वाधिक स्वच्छ शहर के रूप में मध्य प्रदेश का इंदौर शहर लगातार पहले पायदान पर रहकर दुनिया में अपना नाम रोशन कर रहा है। पुनर्जीवित हुआ मोटा अनाज जन-जन को नया जीवन दे रहा है।

अंगदान का महत्व लोगों की समझ में आ चुका है। यही बात ‘मन की बात’ में आ चुके हर विषय पर लागू होती है। काला धन,नशे का विरोध,अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ जनता के पत्रों के उत्तर,परीक्षाओं हेतु छात्रों का उत्साहवर्धन, किसानों के साथ मन की बात,नोटबन्दी, इसरो की सफलता की चर्चा, भीम ऐप, अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस, स्वच्छ भारत अभियान, अंगदान, स्वास्थ्य, अमृत सरोवर सहित सामाजिक सरोकारों  के सभी विषय “मन की बात” के एपीसोड में शामिल रहे हैं। तो मोटे अनाज की लोकप्रियता मन की बात की ही देन है। ‘मन की बात’ रेडियो प्रोग्राम कई मायनों में खास है। इसके असर को समझने के लिए प्रसार भारती ने आईआईएम रोहतक की मदद से स्टडी करवाई, जिसमें कई अनोखी बातें निकलकर आईं। जैसे, 9 सालों के दौरान इसे 1 अरब लोग कम से कम एक बार सुन चुके हैं। वहीं लगभग 23 करोड़ लोग नियमित तौर पर इस कार्यक्रम को सुनते और कुछ न कुछ नया जानते हैं।

इसके अलावा ‘मन की बात’ की सबसे खास बात है कि पीएम सीधे ऐसे लोगों से संवाद करते हैं, जिन्हें कोई नहीं जानता, लेकिन जो देश और समाज के लिए कुछ न कुछ कर रहे हैं। इनमें महिला-सशक्तीकरण और पर्यावरण-प्रेम की मिसाल बन चुकी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की रहने वाली बसंती देवी हों या कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ में अद्यानाडका गांव के किसान अमाई महालिंग नाइक जिन्होंने बंजर ढलान वाली एक पहाड़ी को उपजाऊ खेत में बदल दिया। पीएम मोदी ने उन्हें टनल मैन की संज्ञा दी। गौरैया बचाने का मकसद लिए उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहनेवाले इंद्रपाल सिंह बत्रा हों, जिन्हें मोदी ने ‘स्पैरो मैन’ कहा या कोरोनाकाल में भीख में मिले पैसों से समाजसेवा करने वाले पठानकोट के दिव्यांग राजू, जिन्हें मोदी ने कर्मवीर नाम दिया। पांच दशक से मणिपुर की टेक्स्टाइल कला ‘लीबा’ के संरक्षण संवर्धन के लिए काम कर रही साल 1944 में जन्मी बिनो देवी हों या झारखंड के संजय कच्छप जिन्हें मोदी ने लाइब्रेरी मैन के नाम से संबोधित किया। तपती जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती की मुहिम को मूर्त रूप देने वाली झांसी की युवती गुरलीन चावला हों या देश की पहली सौर ऊर्जा पंचायत पल्ली के रहवासी विनोद कुमार जिन्होंने मधुमक्खी पालन के जरिए न केवल अपना जीवन चलाया, बल्कि कई लोगों को रोजगार दिया हुआ है।पीएम ने उन्हें आत्मनिर्भरता की मिसाल बताते हुए दूसरों को भी कुछ नया आजमाने और डटे रहने की सलाह दी थी। तो ‘मन की बात’ के 99वें एपिसोड में एक खास महिला का जिक्र हुआ- ओडिशा की वैज्ञानिक ज्योतिर्मयी मोहंती। ये देश की पहली महिला साइंटिस्ट हैं जिन्हें इंटरनेशनल यूनियन ऑफ प्योर एंड एप्लाइड केमिस्ट्री (आईयूपीएसी) अवार्ड 2023 से सम्मानित किया गया है।

वहीं साल 2015 के जून में, हरियाणा के बीबीपुर गांव के तत्कालीन सरपंच सुनील जागलान ने ‘सेल्फी विद डॉटर’ अभियान शुरू किया। अपनी बेटी के साथ सेल्फी पोस्ट करते हुए जागलान ने अपने समुदाय से बच्चियों के लिए नजरिया बदलने की गुजारिश की। बता दें कि हरियाणा एक वक्त पर लैंगिक भेदभाव और बेटियों की भ्रूणहत्या के लिए कुख्यात था। अब बदलाव तो है लेकिन उतना नहीं। मोदी ने ‘मन की बात’ में उनका जिक्र किया। तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जून 2021 को मन की बात में मध्यप्रदेश के एक किसान सतना के पिथौराबाद में रहने वाले किसान राम लोटन कुशवाहा का जिक्र किया था। इन्होंने अपने घर में कई दुर्लभ औषधियां लगा रखी हैं। उनका घर एक नर्सरी की तरह खूबसूरत दिखाई देता है।मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व की ‘कॉलर वाली बाघिन’ यानी ‘सुपर माॅम’ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी भावुक कर दिया था। सुपर मॉम का जिक्र उन्होंने एक साल पहले ‘मन की बात’ में किया था। उन्होंने कहा कि बाघिन की मृत्यु ने लोगों को इतना भावुक कर दिया, जैसे उनका कोई अपना दुनिया छोड़ गया हो।

तो अब पीएम मोदी के मन की बात की सेंचुरी लग रही है। इस सेंचुरी एपिसोड के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय खास तैयारियां कर रहा है। इसी के तहत 26 अप्रैल 2023 को राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में 105 लोगों को विशेष तौर पर बुलाया गया, जिनके रचनात्मक और सामाजिक कामों का पीएम मोदी ने जिक्र अपने कार्यक्रमों में किया था। ये सभी लोग तीन दिन तक सरकारी मेहमान के रूप में राजधानी में रहेंगे।

मध्यप्रदेश में भी मन की बात की सेंचुरी को लेकर उत्सव का माहौल है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के नेतृत्व में भाजपा संगठन ने 30 अप्रैल 2023 को होने वाली ‘मन की बात’ जन-जन को सुनाने की तैयारी कर ली है।कार्यक्रम को यादगार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी प्रदेश के सभी 64100 बूथों और 25 हजार चिह्नित स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित करेगी। कार्यक्रम में समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़कर नए इनोवेटिव आइडिया का काम करने वाले लोगों को जोड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राजधानी भोपाल में ‘मन की बात’ सुनेंगे, जिसमें स्थानीय विधायक कृष्णा गौर सहित 5000 से अधिक मातृशक्ति उपस्थित रहेंगीं। प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद महाकाल की नगरी उज्जैन में प्रधानमंत्री को सुनेंगे। तो अब यह प्रमाणित हो चुका है कि अपनी मंशा के मुताबिक ‘मन की बात’ जन-जन के मन तक पहुंचाने में सफल रहे हैं मोदी…और यही कामना है कि सामाजिक सरोकारों का पर्याय बन चुका यह प्रेरणास्पद गैर राजनैतिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ का सफर जारी रहे।