जब कैदी की शादी में बाराती बने पुलिस वाले, विवाह के बाद फिर ले गए जेल
भोपाल. सतना जिले में न्यायालय की संवेदनशीलता के चलते एक विचाराधीन कैदी की शादी कराने पुलिस वालों को बाराती बनना पड़ा। इस कैदी को जमानत पर घर तो नहीं जाने दिया गया पर न्यायालय के फैसले के चलते उसका विवाह जरूर हो गया। विवाह की रस्में पूरी होने के बाद उसे वापस जेल पहुंचा दिया गया।
यह पूरा मामला हाल ही में सतना जिले के मैहर तहसील के करुआ गांव में हुआ। बताया गया कि सतना शहर के कोलगवां थाना क्षेत्र के संतनगर में रहने वाले विक्रम चौधरी और उसके पिता ददन चौधरी को 15 मई को आबकारी एक्ट के एक मामले में विचाराधीन कैदी के रूप में सेंट्रल जेल भेजा गया था।
विक्रम की शादी 16 मई मंगलवार को पहले से तय थी। उसकी बारात सतना से मैहर तहसील के भेड़ा गांव के पास करुआ जानी थी। जेल जाने के बाद भी विचाराधीन कैदी विक्रम ने तय तारीख पर ही अपनी शादी करने की ठानी और इसके लिए न्यायालय में आवेदन किया और जमानत मांगी। उसके आवेदन को कोर्ट ने स्वीकार किया और पुलिस को इसके लिए आदेश जारी किए।
पुलिस के अनुसार विक्रम की शादी तय रीति रिवाज से कराने के न्यायालय के आदेश पर विक्रम को उसकी होने वाली ससुराल करुआ ले जाया गया जहां पूरी रस्मों और रिवाज के मुताबिक विवाह कराया गया। विवाह की रस्म के बाद विदाई हुई और दूल्हा विक्रम अपनी दुल्हन के साथ अपने घर पहुंचा। इसके बाद पुलिस उसे वापस जेल ले गई।
पुलिस टीम ने घेर कर रखा
पूरे वैवाहिक कार्यक्रम के दौरान पुलिस कर्मचारी विक्रम की निगरानी करते रहे। पुलिस टोलियां उसे दूर से घेरा बनाकर वॉच करती रहीं। इसके बाद उसे बुधवार को वापस जेल पहुंचा दिया गया। बताया जाता है कि विक्रम बड़े पैमाने पर शराब का अवैध कारोबार करता है। पुलिस ने विक्रम चौधरी और उसके पिता ददन चौधरी को 14 मई की रात उनके घर संत नगर घूरडांग से गिरफ्तार किया था। इन दोनों के पास से 63 लीटर अवैध शराब बरामद की गई थी।
बता दें कि सतना में अवैध शराब बेचने के मामले में जिस विचाराधीन कैदी की शादी कराने पुलिस तैनात रही उसके पास से करीब 29 हजार रुपए की शराब जब्त हुई थी। इसके बाद आठ पुलिसकर्मी और जेल वाहन के जेल से कैदी को उसके वैवाहिक कार्यक्रम स्थल और गांव तक लाने ले जाने का खर्च सरकार को उठाना पड़ा। हालांकि इस कार्यक्रम में आरोपी विक्रम का पिता जेल में ही रहा, वह अपने बेटे की शादी में शामिल नहीं हो सका।