गलियों-गलियों चौपाल लगाकर कलेक्टर ने जानी ग्रामीणों की समस्यायें
ग्वालियर: कलेक्टर श्री अक्षय कुमार सिंह ने गलियों-गलियों जाकर और चौपाल लगाकर ग्रामीणों की कठिनाईयाँ व परेशानियाँ जानी। साथ ही पैदल-पैदल लम्बी दूरी तय कर सरकार के अनुदान से एक प्रगतिशील किसान द्वारा स्थापित बकरी व मुर्गी पालन केन्द्र का जायजा लिया। वे बुधवार को मुरार जनपद पंचायत के ग्राम बिजौली और शहर के वार्ड-62 से जुड़े ग्राम मैथाना में मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान – द्वितीय चरण एवं मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना में पंजीकृत महिलाओं के डीबीटी कार्य की जमीनी हकीकत जानने पहुँचे थे।
कलेक्टर श्री सिंह ने ग्राम बिजौली की चौपाल में ग्रामीणों के बीच बैठकर उनकी समस्यायें सुनीं। साथ ही उन्हें रचनात्मक कार्यों के लिये प्रेरित किया। उन्होंने ग्रामीणों से आग्रह किया कि वे गाँव में पनप रही गाजर घास का मिलजुलकर खात्मा करें। इसी तरह गाँव की गलियों में चौक हो चुकीं नालियों को साफ करने में ग्राम पंचायत की मदद करें। उन्होंने इस अवसर पर स्थानीय किसानों को भरोसा दिलाया कि आपके क्षेत्र की नहर की मरम्मत की पहल की जायेगी।
ग्राम बिजौली के अंतर्गत प्रगतिशील किसान राजेन्द्र सिंह पाल द्वारा राष्ट्रीय पशुधन विकास मिशन के तहत एक करोड़ रूपए की लागत से स्थापित किए गए बकरी फार्म का जायजा भी कलेक्टर श्री सिंह ने इस दौरान लिया। यह फार्म स्थापित करने के लिये सरकार द्वारा 50 लाख रूपए का अनुदान प्रदान किया गया है। श्री राजेन्द्र सिंह इस फार्म में सफलतापूर्वक मुर्गी पालन का काम भी कर रहे हैं।
जब सांफा पहनाने के लिये कलेक्टर का रास्ता रोककर खड़े हो गए बुजुर्ग!
शासकीय सेवाओं की जमीनी हकीकत के संबंध में ग्रामीणों से चर्चा के बाद कलेक्टर श्री अक्षय कुमार सिंह ने ग्राम मैथाना में अनौपचारिक माहौल में ग्रामीणों से सुख-दु:ख व शांति-सुकून की बातें की। एक आम आदमी की तरह कलेक्टर श्री सिंह ने जब शांति-सुकून की बातें कीं, तो एक प्रकार से आध्यात्मिक माहौल बन गया और ग्रामीण यह भूल गए कि हम सब अपने जिले के जिलाधीश से रूबरू हैं।
कार्यक्रम के बाद जब कलेक्टर अगले गाँव के दौरे पर जाने लगे तो गाँव के सर्वश्री देव सिंह, कप्तान सिंह, रामसिंह, जगपाल व लक्ष्मीनारायण सहित अन्य बुजुर्गों ने उनका रास्ता रोक लिया और कहा कि सरोफा (स्वाफा) पहनाए बगैर हम आपको अपने गाँव से जाने नहीं देंगे। कलेक्टर श्री सिंह उनके आग्रह को टाल नहीं पाए उन्होंने सरोफा पहनने के बाद पुष्पाहारों से बुजुर्गों व महिलाओं का स्वागत किया।
सफल दुग्ध उत्पादन से जुड़े मैथाना गाँव के मेहनतकश किसानों ने आस-पास के गाँव के लिये मिसाल कायम की है। लगभग 50 घरों वाले इस गाँव के लगभग एक दर्जन घरों में उन्नत नस्ल की 20 – 20 भैंसों की डेयरी स्थापित है। गाँव के शेष घरों में भी 2 से लेकर 5 भैंसें ग्रामीणों ने पाल रखी हैं। गाँववासी प्रतिदिन सुबह-शाम अपना दूध लेकर ग्वालियर जाते हैं। इससे उन्हें अच्छी खासी आमदनी हो रही है। सबसे बड़ी बात यह भी है कि गाँव का कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार का नशा नहीं करता। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि जब से यह गाँव बसा है तब से अब तक कभी भी पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है। छोटे-मोटे आपसी मन-मुटाव गाँव के बुजुर्ग पंचायत में निपटा लेते हैं।