भाजपा मंडल अध्यक्ष की हत्या के मामले में तत्कालीन भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य समेत 7 को आजीवन कारावास

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सिंहस्थ-2004

भाजपा मंडल अध्यक्ष की हत्या के मामले में तत्कालीन भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य समेत 7 को आजीवन कारावास

बड़वानी : मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के सेंधवा की एक अदालत ने बलवाड़ी के भारतीय जनता पार्टी मंडल अध्यक्ष मनोज ठाकरे की सुपारी देकर हत्या के मामले में आज तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य और क्षेत्र के बाहुबली ताराचंद राठौर समेत 7 लोगों को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है।

 

द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश रूपेश नाइक ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिए फैसले में मनोज ठाकरे की हत्या के मामले में ताराचंद राठौर उसके पुत्र दिग्विजय सिंह, झगड़िया, अनिल डाबर, कैलाश उर्फ नानू, रवि व करण सिंह को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है। इस मामले में तीन अन्य आरोपियों दिलीप ,धवलिया और रेमू को दोषमुक्त करार दिया है।

ताराचंद राठौर भारतीय जनता पार्टी की प्रादेशिक कार्यकारिणी का सदस्य रहा है और पूर्व मंत्री तथा सेंधवा से विधायक रहे अंतर सिंह आर्य का काफी नजदीकी माना जाता है। उसका पुत्र दिग्विजय सिंह राठौड़ पंचायत सचिव था। ताराचंद राठौर बलवाड़ी मंडी अध्यक्ष रहने के अलावा भारतीय जनता पार्टी में अन्य पदों पर भी रहा था।

अतिरिक्त लोक अभियोजक संजय मोरे के अनुसार 20 जनवरी 2019 को मॉर्निंग वॉक पर निकले भारतीय जनता पार्टी के बलवाड़ी मंडल अध्यक्ष मनोज ठाकरे की उनके घर से करीब 1 किलोमीटर दूर कुल्हाड़ी और पत्थर मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में तत्कालीन गृहमंत्री बाला बच्चन के निर्देश पर एसआईटी का गठन हुआ था।

उन्होंने बताया कि क्षेत्र में राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के चलते ताराचंद राठौर और उसके पुत्र दिग्विजय ने 5 लाख की सुपारी आपराधिक प्रवृत्ति के झगड़िया को दी थी जिसने अनिल डावर के माध्यम से देकर मनोज ठाकरे की हत्या करवाई थी। दोनों के बीच में मनोज ठाकरे के बढ़ते राजनीतिक कद को लेकर पूर्व में भी विवाद हुए थे।

उन्होंने बताया कि इसमें परिस्थिति जन्य साक्ष्य की बड़ी भूमिका रही। अनिल डाबर ने हत्या करने के बाद अपनी सिगरेट का टुकड़ा लाश के पास ही फेंक दिया था जिसे साक्ष्य के रूप में एकत्रित कर अनिल के ब्लड सैंपल का डीएनए कराया गया, जो मैच कर गया था। इसके अलावा आरोपियों की मोबाइल टावर लोकेशन तथा कॉल रिकॉर्ड की भी भूमिका रही। इस मामले में 1,60,000 रु भी जब्त हुए थे।